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आतंकियों के 42 हमले सहे थे शौर्य चक्र है उसका प्रमाण

पंजाब में जब आतंकवाद चरम सीमा पर था तो तरनतारन को खालिस्तान की राजधानी कहा जाता था। इस जिले के कस्बा भिखीविंड निवासी परिवार ने आतंकियों का इस कदर मुकाबला किया कि परिवार के चार सदस्यों को एक साथ शौर्य चक्र से नवाजा गया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 12:21 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:14 AM (IST)
आतंकियों के 42 हमले सहे थे शौर्य चक्र है उसका प्रमाण

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : पंजाब में जब आतंकवाद चरम सीमा पर था, तो तरनतारन को खालिस्तान की राजधानी कहा जाता था। इस जिले के कस्बा भिखीविंड निवासी परिवार ने आतंकियों का इस कदर मुकाबला किया कि परिवार के चार सदस्यों को एक साथ शौर्य चक्र से नवाजा गया था। सीपीएम के साथ जुड़े कामरेड बलविंदर सिंह भिखीविंड में शिक्षा विभाग में तैनात थे। उनके भाई रणजीत सिंह संधू पंजाब रोडवेज में मुलाजिम थे। दोनों भाई सीपीएम की विचारधारा से जुड़े और हिदू-सिख एकता के लिए लोगों को प्रेरित करने लगे। उस दौरान आतंकवाद चरम सीमा पर था। आतंकियों को बलविंदर सिंह संधू और रणजीत सिंह संधू का प्रचार सहन नहीं हुआ और उनके परिवार पर हमले शुरू कर दिए। दोनों भाइयों ने आतंकियों के साथ मुकाबला किया। जिस पर बाद भी केंद्र सरकार द्वारा 'पंजाब एक यात्रा कबहूं न छाड़े खेत' नाम पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई गई । आतंकियों से लोहा लेने वाले बलविंदर सिंह संधू और रणजीत सिंह संधू की पत्‍ि‌नयों जगदीश कौर, बलराज कौर ने भी उन दिनों आतंकियों के खिलाफ लड़ने के लिए बंदूक थाम ली।

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इस परिवार ने दैनिक जागरण को बताया कि आतंकवाद का मुकाबला करने लिए सरकारी नौकरियां छोड़ दीं। आतंकियों ने उन दिनों हम पर कुल 42 हमले किए। इन हमलों का मुकाबला करने लिए घर पर मोर्चा बंदी की गई। दोनों भाइयों ने अपनी पत्‍ि‌नयों के सहयोग से आतंकियों के 20 हमलों का मुकाबला 303 बोर राइफलों से किया। उस समय डीजीपी केपी एस गिल ने इस परिवार को सुरक्षा के मद्देनजर असलहा मुहैया करवाया था। बाकी के 22 हमलों का मुकाबला एलएमजी और एसएलआर राइफलों से किया था।

100 से 200 आतंकी करते थे हमला : बलविंदर सिंह संधू ने बताया कि खालिस्तान कमांडो फोर्स, भिंडरावाला टाइगर फोर्स, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, बब्बर खालसा इंट्रनेशनल फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के एक साथ 100 से 200 आतंकी उनपर हमला करते थे। इन आतंकियों का मुकाबला करने के बदले 14 अप्रैल 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति शकर दयाल शर्मा ने बलविंदर सिंह संधू, उनकी पत्‍‌नी जगदीश कौर, भाई रणजीत सिंह संधू, भाभी बलराज कौर को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।

परिवार के जीवन पर बने फिल्म : बलविंदर सिंह संधू कहते हैं कि देश में यह पहला मामला है कि आतंकियों द्वारा इतने हमले किए गए हो, जिनमें कई आतंकियों को मार गिराया गया हो। एक ही परिवार के चार सदस्यों को शौर्य चक्र अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना अपने-आप में बड़ी मिसाल है। बॉलीवुड को चाहिए कि उनके परिवार की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनाई जाए। फोटो -ए- अपनी पत्‍‌नी बलराज कौर के साथ शौर्य चक्कर दिखाते रणजीत सिंह संधू।

फोटो -बी- आतंकियों से मुकाबला करने बदले मिले शौर्य चक्कर दिखाते बलविंदर सिंह संधू साथ है जगदीश कौर।


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