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जहरीली शराब मामला: 86 आरोपितों में चार मास्टरमाइंड सहित 16 अभी भी फरार

जहरीली शराब के मामले में पुलिस ने 86 लोगों को आरोपित बनाया। इनमें से 16 आरोपित अभी भी फरार हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 06:00 AM (IST)
जहरीली शराब मामला: 86 आरोपितों में चार मास्टरमाइंड सहित 16 अभी भी फरार
जहरीली शराब मामला: 86 आरोपितों में चार मास्टरमाइंड सहित 16 अभी भी फरार

जासं, तरनतारन : 30 जुलाई की रात से लेकर दो अगस्त तक जहरीली शराब ने जिले में 112 लोगों की जान ले ली और 15 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस मामले में पुलिस ने कुल सात एफआइआर दर्ज कर 86 लोगों को आरोपित बनाया। इनमें से 31 लोग जमानत ले चुके हैं जबकि 16 आरोपित अभी भी फरार हैं। इनमें से चार मास्टरमाइंड माने जाते रछपाल सिंह उर्फ शाली निवासी ढोटियां, जैमल सिंह, सकत्तर सिंह दोनों निवासी गांव पंडोरी गोला, धरमिदर सिंह निवासी वेईपुई को पुलिस इश्तिहारी मुजरिम (भगोड़ा) करार दे चुकी है। मुख्य आरोपित रछपाल सिंह शाली का छोटा भाई गुरपाल सिंह उर्फ पाली को मई माह में जमानत मिल गई थी।

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इस मामले में सब डिवीजन गोइंदवाल साहिब के तत्कालीन डीएसपी कमलप्रीत सिंह, थाना सिटी के एसएचओ सब इंस्पेक्टर अमृतपाल सिंह, थाना सदर एसएचओ सब इंस्पेक्टर बलजीत कौर को राज्य सरकार ने सस्पेंड किया था। डीएसपी अभी भी सस्पेंड है जबकि सब इंस्पेक्टर अमृतपाल सिंह की तीन माह पहले सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। इस मामले में विपक्षी दलों ने खडूर साहिब के विधायक रमनजीत सिंह सिक्की व उनके पीए जर्मनजीत सिंह कंग को भी जिम्मेदार करार दिया था। हालांकि एसआइटी और मजिस्ट्रेटी जांच में उनको क्लीन चिट मिल गई थी। इस केस में धारा 302 के तहत पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ स्थानीय अदालत में चालान पेश कर दिए थे जिसके बाद केस अंडर ट्रायल है। चल रहे मुकदमे के दौरान कुल 31 आरोपितों को अभी तक जमानत मिल चुकी है जबकि 16 आरोपित अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।

जिन लोगों की मौत हुई थी, उनमें से सिर्फ 33 लोगों के स्वजनों की सहमति से मृतकों का पोस्टमार्टम हो पाया था। इसकी रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने स्थानीय अदालत में चालान पेश किए थे। नौकरी देने का वादा अधूरा

जहरीली शराब से मरने वाले व आंखों की रोशनी खो चुके पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकार ने पांच-पांच लाख का मुआवजा जारी किया था। साथ ही परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का एलान किया था। पीड़ितों में अधिकत को तो मुआवजा मिल चुका है। परंतु सरकारी नौकरी नहीं मिली। प्रशासन जागता तो न होती मौतें

जुलाई 2020 में थाना सिटी के गांव रटौल में मटका लगाकर जहरीली शराब बेची गई थी। यह शराब पीने से गांव में तीन लोगों की मौत हुई थी। दैनिक जागरण ने यह मामला प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद डीसी कुलवंत सिंह ने एसडीएम रजनीश अरोड़ा को जांच के आदेश दिए थे। परंतु पुलिस ने तीसरे दिन जहरीली शराब बेचने वाले प्रकाश सिंह पाशा नामक आरोपित के खिलाफ आबकारी एक्ट तहत केस दर्ज करके मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया था। हालांकि जहरीली शराब से 100 से अधिक मौतें होने के बाद पुलिस ने आरोपित पाशा को भी धारा 302 के तहत नामजद कर लिया था।


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