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बढ़ रहे तापमान से झुलस रहा धान, उत्पादन प्रभावित होने की आशंका

जागरण संवाददाता संगरूर सितंबर का माह अंतिम छोर पर पहुंच चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 10:27 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 05:07 AM (IST)
बढ़ रहे तापमान से झुलस रहा धान, उत्पादन प्रभावित होने की आशंका

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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सितंबर का माह अंतिम छोर पर पहुंच चुका है, लेकिन गर्मी की प्रकोप अभी भी लगातार जारी है। सावन के दिनों में बेशक लोगों ने गर्मी से कुछ राहत महसूस ली, किंतु अब पिछले कुछ दिन से बढ़ता तापमान धान की फसल के लिए भी नुकसानदायक बन सकता है। शनिवार को संगरूर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस पर रहा, जबकि पिछले वर्ष की बात करें तो इन दिनों तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस तक रहता था। गर्मी के कारण ही धान की फसल प्रभावित होने की संभावना है, जिसे लेकर किसान चितित भी दिखाई दे रहे हैं। अगर अगले दिनों में मौसम का मिजाज यही रहा तो धान के पौधों की बल्लियों में मौजूद दूधिया रस सूखने का डर है।

उल्लेखनीय है कि खेतों में धान को लगाए करीब तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है। गत तीन महीनों में किसानों ने फसल पर काफी खर्च किया है। अब तक किसान हरी सूंडी, झुलस रोग की स्प्रे के अलावा यूरिया, पोटाशियम, फॉसफोर्स की खादें डाल चुके हैं। इसकी बदौलत अब धान चावल से भरी अपनी झालरें निकालकर किसानों को मोहित कर रही है। पत्तों में धान की छींटे कुछ-कुछ दिखना शुरू हो चुके हैं। परन्तु सितंबर महीने के मध्य दौरान पड़ रही गर्मी किसानों को चिता में डाल रही है, क्योंकि धान के छींटों में अभी दाना नहीं बना है। इसमें कच्चा दूध जैसा पदार्थ भरा है, जो ठोस होकर चावल का रूप लेगा। गर्मी की वजह से छींटों में भरा दूध सूखने का डर बढ़ता जा रहा है। बढ़ते तापमान के कारण किसानों में डर है कि दूध सूखेगा तो दाना नहीं बनेगा व पूरी बल्ली खाली रह जाएगी। अगर थोड़ा बहुत दाना बनेगा तो वह आधा होगा।

किसान गुरजीत सिंह ढंड़ोली कलां, मक्खन सिंह, गुरदेव सिंह, गुरमीत सिंह ने बताया कि सितंबर की शुरुआत में फसल पर हरी सूंडी व झुलस रोग ने हमला कर दिया था। जिससे बचाव हेतु उन्होंने कीटनाशक का इस्तेमाल किया। अब जब सुंडी से छुटकारा मिला है तो गर्मी से दाना सूखने व बीमारी का खतरा बढ़ गया है। हालांकि धान की जड़े पानी में भीगी हुई है, लेकिन सूर्य की तेज किरणें दानों पर सीधा असर डाल रही है। फसल की पैदावार घटने के अलावा अन्य किसी प्रकार की भयानक बीमारी लगने का डर है। अगर धूप के साथ हवा चले तो गर्मी का असर उतना नहीं पड़ता, लेकिन अब हवा बंद होने व तेज धूप से उमस भरी गर्मी धान पर भारी पड़ रही है।

कृषि विज्ञान केंद्र के सहायक डायरेक्टर डॉ. मनदीप सिंह ने कहा कि बढ़ते तापमान से धान की फसल को नुकसान होने की संभावना पूरी तरह से बनी हुई है। अगर अगले दिनों में भी मौसम ऐसा ही रहा तो चावल के दानों को नुकसान होगा। किसान किसी भी प्रकार की अनावश्यक स्प्रे इत्यादि फसल पर न करें व किसी भी प्रकार का रोग फसल पर दिखाई देने पर तुरंत विभाग की मदद लें। अगले एक सप्ताह तक यूं ही रहेगी गर्मी

मौसम विभाग के अधिकारी कमलइंद्र सिंह ने बताया कि तापमान 37 डिग्री तक पहुंचा हुआ है, जबकि इन दिनों मे मौसम 30 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। अगले एक सप्ताह तक भई मौसम का मिजाज गर्म ही रहने की संभावना है। बेशक सावन के माह में बरसात का दौरा जारी रहा, लेकिन सावन के बाद तापमान में गिरावट आने की बजाए, वृद्धि हुई है। गत तीन वर्ष सितंबर का तापमान वर्ष अधिकतम न्यूनतम

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