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गुरु ने दिखाए राह से हासिल किए मुकाम

जागरण संवाददाता संगरूर हर सफल इंसान की सफलता के पीछे एक गुरु का योगदान अमूल्य होता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 10:11 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:10 AM (IST)
गुरु ने दिखाए राह से हासिल किए मुकाम

जागरण संवाददाता, संगरूर : हर सफल इंसान की सफलता के पीछे एक गुरु का योगदान अमूल्य होता है। गुरु के दर्शाए मार्ग पर चलकर ही जिदगी में सफलता की सीढ़ी को चढ़ा जा सकता है। गुरु खुद मोमबत्ती की भांति जलकर अपने शिष्य के जीवन को रोशन करता है, जिसकी बदौलत ही शिष्य जिदगी में एक सफल मुकाम पर पहुंचता है व अपने गुरु का नाम रोशन करता है। आज गुरु पुर्णिमा के दिन हर शिष्य को अपने गुरु का धन्यवाद करना चाहिए व भविष्य मे भी गुरु के दर्शाए मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए। फोटो फाइल: 10

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जिस स्कूल में पढ़े, आज वहीं का देख रहे प्रबंध

जिला इंडस्ट्रियल चैंबर संगरूर के प्रधान घनश्याम कांसल ने बताया कि वह आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उस मुकाम तक पहुंचने में उनके गुरु आदर्श पब्लिक स्कूल सुनाम के प्रिसिपल हेम राज शर्मा का अमूल्य योगदान है। उन्हें इस स्कूल में मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल की। आगे की पढ़ाई उन्होंने अलग-अलग संस्थानों से प्राप्त की है, लेकिन प्रिसिपल हेमराज शर्मा द्वारा दी गई शिक्षा आज भी उनके जीवन का आधार है। वह हमेशा कहा करते थे कि लगन व मेहनत से किया गया हर कार्य सफलता दिलाता है। उनकी बातें आज भी याद आती हैं, जिसकी बदौलत वह अब भी अपनी जिदगी को उनके द्वारा दी गई शिक्षा पर चला रहे हैं। उनकी बदौलत जिदगी में सफलता मिली और आज उन्हें यह सौभाग्य भी प्राप्त है कि वह आज उसी स्कूल का प्रबंधन संभाल रहे हैं। आज भी जब वह स्कूल जाते हैं तो कक्षाएं देखकर अपना बचपन याद आता है।

फोटो फाइल: 11

अध्यापक ने दिया हौसला, पहले चांस में बने पीसीएस

एसडीएम बबनदीप सिंह ने बताया कि आज उनकी सफलता के पीछे उनकी दो अध्यापिका जसवंत कौर व तेजिदर कौर का अहम योगदान है। गुरु नानक पब्लिक स्कूल मुल्लापुर में उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल की, जहां अध्यापिका जसवंत कौर व डीएवी पब्लिक स्कूल लुधियाना मे अध्यापिका तेजिदर कौर ने उन्हें कदम कदम पर प्रेरित किया। उन्होंने सफलता का एक ही मूलमंत्र दिया कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। अगर व्यक्ति मेहनत करे तो हर मुकाम आसानी से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बैचलर डिग्री आफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिग की हासिल की। पीसीएस की परीक्षा की आनलाइन पढ़ाई की। अध्यापकों का मूलमंत्र उनके जेहन में था, जिसकी बदौलत पीसीएस की परीक्षा दी व पहले ही चांस में सफलता मिली। वह अब भी शिक्षा से दूर नहीं हुए हैं, कदम-कदम पर सीख रहे हैं। अगर उक्त अध्यापकों ने मुझे प्रेरित न किया होता तो शायद वह आज इस मुकाम पर न होते।

फोटो फाइल: 12

माता-पिता ही मेरे गुरु, दिखई सही राह : डीएसपी मोहित अग्रवाल

माता-पिता के चरणों में स्वर्ग होता है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन माता पिता के दिए संस्कार व मार्गदर्शन ही इंसान को सफलता दिलाते हैं, यहीं सबसे बड़ा सत्य है। डीएसपी मोहित अग्रवाल ने कहा कि उनके पिता शीशन कुमार व माता मधुबाला ही उनके गुरु हैं। उन्होंने आज तक उनका कदम-कदम पर मार्गदर्शन किया है। सीनियर सेकेंडरी स्तर की शिक्षा उन्होंने पटियाला के मॉर्डन स्कूल व आगे की पढ़ाई पटियाला यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। एमए राजनीतिक शास्त्र में करने के बाद अब वह पीएचडी कर रहे हैं। खाकी पहनकर लोगों की सेवा करने का सपना उनके पिता ने ही दिखा था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की व अपने परिवार का सपना पूरा किया। उनके माता-पिता ने उनका भरपूर साथ दिया व हमेशा से उन्हें प्रेरित करके हौसला बढ़ाया। जब उन्हें पुलिस में ज्वाइन किया तो यह खुशी उनके परिवार के लिए बेशकीमती थी, जिसे वह शब्दों में बयान नहीं कर सकते। फोटो फाइल: 13 राजनीति के गुरु ने दिलाई पहचान: विधायक धीमान

हलका अमरगढ़ के विधायक व दिड़बा के रहने वाले सुरजीत धीमान ने कहा कि इलाके की नामवर शख्सियत व दानी कामरेड भीम सिंह की सोच के सदका ही आज वह सियासत में इमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। मरहूम भीम सिंह की उनके सियासी, सामाजिक गुरु रहे हैं। उनके दिए गुण उनमें कूट-कूट कर भरे हुए हैं। समाज सेवा करना, सही को सही कहना, गलत व अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने का हौंसला उन्होंने ही दिया है, जिसकी बदौलत आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। लोग राजनीति को एक अलग नजर से देखते हैं, लेकिन राजनीति में उतरकर ही इसे समझा जा सकता है। कामरेड भीम सिंह के दर्शाए मार्ग पर चलते हुए ही आज यह लोगों की सेवा कर रहे हैं व लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में सफल हुए। हमेशा से सच पर पहरा देते हुए राजनीति की है और आगे भी करते रहेंगे। फोटो फाइल: 14

मिट्टी के ग्राउंड से मैट तक पहुंचाने में कोच का योगदान : गुरप्रीत सिंह

एशियन खेलों में कबड्डी के खेल में भारत की नुमाइंदगी करके स्वर्ण पदक जीतने वाले कबड्डी खिलाड़ी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि दिड़बा के कच्चे मिट्टी के मैदान से विदेशों में मैट पर खेलने योग्य बनाने में उनके कोच गुरमेल सिंह का अमूल्य योगदान है। सरकारी कोच परमजीत सिंह की उनके जीवन में एक अलग अहमियत है, जिन्हें कभी अनदेखा नहीं किया जा सकता, परंतु स्कूल से लेकर हर टूर्नामेंट तक अंतरराष्ट्रीय कोच गुरमेल सिंह ने उनका मार्गदर्शन किया। कबड्डी की बारीकियां, दांव-पेच गुरमेल सिंह ने उनके भीतर इस कदर भर दिए थे कि अखाड़े में उतरते ही वह जोश से भर जाते हैं। आज पंजाब पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर नौकरी कर रहे गुरप्रीत सिंह ने कहा कि स्कूल स्तर पर गुरमेल सिंह की बदौलत बेहतर खेल का प्रदर्शन करके ही वह पंजाब पुलिस में इस जगह पर पहुंचे हैं। जिदगी में वह अपने कोच के योगदान को कभी नहीं भुला सकते। उनकी योगदान को वह शब्दों में बयान नहीं कर सकते।

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- बचपन में लगी फटकार ने बदली दी जिदगी : डॉ. राज कुमार

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार ने कहा कि कोटकपुरा के स्कूल में दसवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले उनके अध्यापक सहज सिंह आज भी उनके मार्गदर्शक हैं। जिदगी के कई पड़ाव वह गुजार चुके हैं, लेकिन अपने अध्यापक की फटकार आज भी उनके कानों में गूंजती है। स्कूल का समय याद करते डॉ. राज कुमार ने कहा कि उनके द्वारा की गई एक शरारत के कारण उनके अध्यापक सहज सिंह ने उन्हें फटकार लगाई थी और साथ ही कहा था कि जिदगी में अपने परिजनों का नाम रोशन करने से बड़ी खुशी परिवार के लिए कुछ नहीं है। अध्यापक की सिखाई एक बात उनके जहन में बैठ गई और उन्होंने बेहतर तरीके से पढ़ाई की व डॉक्टरी करके आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। आज भी वह अपने अध्यापक से मिलते हैं तो वह उन्हें गले लगा लेते हैं।


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