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कुछ जातिय समीकरण, तो कुछ राहुल से नजदीकी ने बचाई कुर्सी

पूर्व कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला अपनी कैबिनेट कुर्सी बचाने में आखिर कामयाब हो गए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 04:31 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 04:31 PM (IST)
कुछ जातिय समीकरण, तो कुछ राहुल से नजदीकी ने बचाई कुर्सी

सचिन धनजस, संगरूर

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पूर्व कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला अपनी कैबिनेट कुर्सी बचाने में आखिर कामयाब हो गए। हालांकि, सिगला के कैबिनेट में शामिल होने से कई कांग्रेसी भी सकते में हैं, लेकिन सिगला के हक में जहां राहुल फैक्टर गया, वहीं मुख्यमंत्री के चयन के दौरान हिदू वोट बैंक की हुई अनदेखी का इसे डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि, हिदू कोटे से एक डिप्टी सीएम बनाया गया था। ऐसे में कयास लगया जा रहा था कि सिगला का पत्ता कटेगा, लेकिन महाजन वोट बैंक में सिर्फ सिगला ही होने की वजह से उनका दांव सीधा पड़ गया और उन्हें दोबारा कैबिनेट में जगह मिल गई।

उल्लेखनीय है कि सिद्धू बनाम कैप्टन की जंग में हर मोर्चे पर सिगला कैप्टन के साथ खड़े दिखाई दिए हैं। समय-समय पर सिद्धू टीम के बयानों के खिलाफ हाईकमान तक सिगला द्वारा ही कार्रवाई की मांग की जाती रही है। इसी लिहाज से माना जा रहा था कि नई कैबिनेट में कैप्टन के करीबियों की छुट्टी लाजिमी होगी और हुआ भी वैसे ही। लगभग कैप्टन कैंप के नजदीकियों को हटा दिया गया, लेकिन दिल्ली दरबार तक सिगला की सीधी पहुंच उनके हक में गई। यही नहीं, अंदरखाते यह संदेश देने में भी कामयाब रहे कि जातिय समीकरण में महाजन वर्ग का प्रतिनिधित्व सिर्फ वह ही कर रहे हैं, इसलिए सिगला की कैबिनेट में एंट्री जरूर होनी चाहिए। यही नहीं, सिगला के हक में यह गणित पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा बिठाया गया बताया जाता है। सिगला की वजह से फिर कटा धीमान का पत्ता

साफ है कि नई सरकार में तीन बार विधायक रहे सुरजीत धीमान को कैबिनेट में लिया जाना था, लेकिन एक ही जिले में तीन कैबिनेट मंत्री देना सरकार को सही नहीं लगा। संसदीय हलका संगरूर से रजिया सुल्ताना, विजयइंद्र सिगला और सुरजीत धीमान कैबिनेट की दौड़ में शामिल थे। रजिया को मुस्लिम कोटे से कैबिनेट मिली है, वहीं सिगला को महाजन कोटे से कैबिनेट में जगह मिली है। जबकि, सुरजीत धीमान को बीसी कोटे से जगह मिलनी थी, जिसे संगत सिंह गिलजियां लेने में कामयाब हो गए और हमेशा कैप्टन सरकार को घेरने वाले धीमान फिर खाली हाथ रह गए।


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