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सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बिक रहा नरमा

जागरण संवाददात संगरूर अनाज मंडियों में नरमे की फसल की आमद शुरू हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 09:46 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 09:46 PM (IST)
सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बिक रहा नरमा
सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बिक रहा नरमा

जागरण संवाददात, संगरूर

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अनाज मंडियों में नरमे की फसल की आमद शुरू हो गई है। किसान अपनी सफेद सोना मंडियों में ला रहे हैं, लेकिन शुरूआती समय में ही किसानों को उनके नरमे की उचित कीमत नहीं मिल रही है। तय समर्थन मूल्य से किसानों को करीब आठ सौ रुपये कम कीमत मिलने से जहां किसान निराश हैं, वहीं किसानों ने 6500 रुपये प्रति क्विटल कीमत देने की मांग की। बेशक नरमे की खरीद अक्टूबर माह में आरंभ होनी है, लेकिन नरमे की आमद शुरू हो चुकी है। लहरागागा की मंडी में मंगलवार से नरमे की खरीद आरंभ हुई है।

लहरागागा की अनाज मंडी में नरमे की फसल लेकर पहुंचे किसान दर्शन सिंह कोटड़ा, रूप सिंह गंढ़ुआ, हरदीप सिंह लहलकलां ने बताया कि वह नरमे की फसल मंडी में बेचने के लिए लेकर आए तो यहां पर प्राइवेट व्यापारियों की ओर से 4500 रुपये प्रति क्विटल रेट लगाया गया है। यह नरमा कृष्णा काटन कंपनी व नितन कॉटन कंपनी ने खरीदा। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ नरमे का मुल्य पांच हजार रुपये यसे अधिक निर्धारित किया गया है, जबकि मंडी में व्यापारी किसानों को 4200-4500 रुपये तक ही रेट दे रहे हैं। नरमे की फसल पर खाद, सप्रे, कीटनाशक का खर्च व फिर नरमे की चुगाई पर लेबर का खर्च किसान को उठाना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों को नरमे का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाता है। इस कारण वह लोग बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। नरमे का कम से कम 6500 रुपये प्रति क्विटल रेट मिलना चाहिए, ताकि किसानों का खर्च पूरा हो सकें व उन्हें नरमे की फसल का कुछ मुनाफा मिल सके।

मार्केट कमेटी के चेयरमैन जसविदर सिंह रिपी, उपचेयरमैन जीवन कुमार मित्तल, ओम प्रकाश जवाहरवाले, मार्केट कमेटी सचिव सुरेश कुमार ने नरमे की फसल की खरीद आरंभ करवाई। उन्होंने कहा कि किसानों को नरमे की फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। किसानों को किसी प्रकार की परेशानी पेश नहीं आने दी जाएगी। किसान मंडी में पूरी तरह से सूखी फसल ही लेकर आए, ताकि उनकी नरमे की फसल का सही मूल्य मिल सके। कृष्णा कॉटन मिल से मुनीष कुमार व नितिन कॉटन मिल से शिव कुमार ने कहा कि बेशक नरमे की फसल की आमद आरंभ हो गई है, लेकिन अभी नरमे में नमी की मात्रा है। किसानों को नरमे का पूरी फसल दी जा रही है। जैसे-जैसे अगले दिनों में नरमे की सूखी फसल आएगी। वैसे ही उसकी कीमत भी अधिक लगेगी। कॉटन की क्वालिटी के आधार पर ही मूल्य तय किया जाता है। नरमे की सरकारी खरीद करे सरकार:-

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के प्रतिनिधि गुरचरण सिंह ने मांग की कि नरमे की फसल की पंजाब सरकार सरकारी तौर पर खरीद करवाए, ताकि किसानों को फसल का सही मूल्य मिल सके। सरकार ने बेशक समर्थन मूल्य पांच हजार से अधिक तय किया है, लेकिन किसानों को 4200-4500 तक ही रेट मिल रहा है, जबकि नरमे की फसल पर लागत मूल्य कहीं अधिक है। किसानों को नरमे की फसल का मूल्य 6500 रुपये प्रति क्विटल मिलनी चाहिए। व्यापारी भी किसानों को उचित मूल्य नहीं देते हैं। वर्ष दर वर्ष कम हुआ उत्पादन:

जिला संगरूर में अगस्त 2019 से अब तक 14965 क्विटल नरमे की खरीद की गई है। सुनाम में 4926 क्विटल, अहमजगढ़ में 677, लहरागागा में 8134, संगरूर में 1228 क्विटल नरमे की खरीद हुई है, जबकि वर्ष 2018-19 दौरान जिले में 16557 क्विटल नरमे की खरीद हुई थी।


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