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कोरोना के बाद किसानों के धरने ने तोड़ी दुकानदारों की कमर

सुखदेव सिंह पवार संगरूर डीसी कार्यालय के समक्ष गत शुक्रवार से लगे किसानों के पक्के धरने जारी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 01:46 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 01:46 AM (IST)
कोरोना के बाद किसानों के धरने ने तोड़ी दुकानदारों की कमर
कोरोना के बाद किसानों के धरने ने तोड़ी दुकानदारों की कमर

सुखदेव सिंह पवार, संगरूर :

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डीसी कार्यालय के समक्ष गत शुक्रवार से लगे किसानों के पक्के धरने व दफ्तर के घेराव के कारण जहां सरकारी मुलाजिम दफ्तर नहीं पहुंच पा रहे हैं वहीं खरीदारी के लिए भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

डीसी दफ्तर के करीब 60 दुकानदार धरना उठने का इंतजार कर रहे हैं, क्यों कि जिस दिन से किसानों ने डीसी दफ्तर का घेराव करने के लिए पक्का धरना लगाया है उसी दिन से कामकाज पूरी तरह से बंद पड़ा है। सदर बाजार को जाने वाली मुख्य सड़क होने के कारण शहर की काफी आबादी यहीं स होकर गुजरती है। इस बारे में प्रभावित दुकानदारों ने कहा कि उन्होंने महामारी के बाद उन्हें त्योहारों में घाटा पूरा होने की उम्मीद थी, मगर धरना प्रदर्शनों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर कर रख दिया है।

दिन में 100 से 200 की आमदन ही हो रही : दुकानदार

दुकान करने वाले नत्थू राम, राधे श्याम, हैपी सिंह, विक्की, परमजीत सिंह, रणजीत सिंह, लक्की, बब्बू सिंह ने बताया कि डीसी दफ्तर के सामने उनकी रेडीमेड कपड़े की, प्रेस की, बिजली के सामान की, कंप्यूटर के सामान की, करियाना की, रंगाई की, मोबाइल रिपेयर की टेलर की दुकान के अलावा एक डेयरी भी है। यहां पर अक्सर धरने लगे ही रहते हैं, जिसकी वजह से काम प्रभावित ही रहता है। जिस दिन से धरना लगा है उसी दिन से उनका कारोबार ठप्प हो गया है। दिन में एक आध ग्राहक ही दुकान पर पहुंच पाता है। उनके घरों का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से चलता है। उनके पक्के ग्राहक भी ओर दुकानों पर जाने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले भी कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी समस्या के बारे में गुहार लगा चुके हैं मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं करता है। उन्होंने मांग की कि धरना प्रदर्शन करने वालों को या तो कहीं ओर जगह धरना लगाने के लिए दी जाए या धरना लगाने वालों को आधी सड़क छोड़ धरना लगाने की कड़ी हिदायत दी जाए जिससे उनके घरों का गुजारा चलता रहे। अपनी इस समस्या को लेकर उन्होंने डीसी से बैठक भी की है। उन्होंने निराश होते हुए कहा कि उनको लाक डाउन में कारण पड़े घाटे की त्योहारों में भरपाई की उम्मीद थी मगर किसानों के पक्के धरने ने उनकी उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। उन्होंने खुद भी किसानों को आधी सड़क छोड़ अपना संघर्ष जारी रखने की अपील की।


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