किसी भी स्थिति में न हो विचलित: विज्ञान मुनि
अहमदगढ़ (संगरूर) जैन स्थानक अहमदगढ़ में तपस्वी ओम मुनि महाराज, धर्म प्रचारक सौरभ मुनि महाराज व युवा प्रचारक विज्ञान मुनि ने प्रवचन करते हुए कहा कि आत्मदर्शन होने पर व्यक्ति में सछ्वावना व सहनशीलता कूट-कूटकर भर जाती है। वह किसी भी स्थिति में विचलित नही होता।
संवाद सहयोगी, अहमदगढ़ (संगरूर) : जैन स्थानक अहमदगढ़ में तपस्वी ओम मुनि महाराज, धर्म प्रचारक सौरभ मुनि महाराज व युवा प्रचारक विज्ञान मुनि ने प्रवचन करते हुए कहा कि आत्मदर्शन होने पर व्यक्ति में सछ्वावना व सहनशीलता कूट-कूटकर भर जाती है। वह किसी भी स्थिति में विचलित नही होता। आत्मदर्शन के लिये अहम को तोड़ना जरूरी है। न ¨नदा सुने, न प्रशंसा से फूल कर कुप्पा हो जाए। जब ऐसी स्थिति आएगी, तब आपकी आत्मा शुद्ध हो जायेगी। सहनशीलता वह ताकत है, जो परिवारों को समाज को, राष्ट्र को टूटने से बचा सकती है। आदमी में अच्छाई कर भूलने की आदत होनी चाहिए। जब व्यक्ति में इतनी ताकत आ जाती है। सामने से कितनी भी मुसीबत उत्पान हो जाए, लेकिन मन में यह संकल्प होना चाहिए कि मुझे ये कार्य पूरा करना ही है, तो उसे कोई हिला नही सकता। शुद्ध ,पवित्र हृदय में ही धर्म ठहर सकता है। छल-प्रपंच से पूर्ण हृदय कदापि धर्म का स्थान नही हो सकता है। अर्पित हृदय में परमात्मा आएंगा, तो बैठ नही सकता, क्योंकि अशुद्ध व पवित्र हृदय में तो क्रोध, काम आदि बैठे हुए है। परमात्मा को अपने हृदय रूपी मंदिर में स्थान देने के लिए हृदय को शुद्ध पवित्र बनाना चाहिए।