आओ धरती मां को बचाएं, पराली को आग न जलाएं
संगरूर कृषि विज्ञान केंद्र खेडी द्वारा फसलों के अवशेष (पराली-नाड) की संभाल के लिए आरंभ की गई जागरूकता मुहिम के तहत किसानों को जागरूक करने को रविवार को सेमिनार का आयोजिन किया। आओ धरती मां बचाएं, पराली को आग न लगाएं की मुहिम तहत सफेद रंग के चोले पहनकर केवीके के अधिकारियों व स्टाफ की ओर से निकाले गए इस मार्च के जरिये किसानों को धान की पराली व गेहूं की नाड को आग न लगाने की अपील की गई।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी द्वारा फसलों के अवशेष (पराली व नाड़) की संभाल के लिए आरंभ की गई जागरुकता मुहिम के तहत किसानों को जागरूक करने के लिए रविवार को सेमिनार करवाया गया।
आओ धरती मां बचाएं, पराली को आग न लगाएं की मुहिम तहत सफेद रंग के चोले पहनकर केवीके के अधिकारियों व स्टाफ की ओर से निकाले गए इस मार्च के जरिए किसानों को धान की पराली व गेहूं की नाड़ा को आग न लगाने की अपील की।
इसके साथ ही किसानों को पराली की संभाल के लिए इस्तेमाल होने वाली कृषि मशीनरी की स्टाल का दौरा करवाया गया। हैपीसीडर, सुपर एसएमएस सिस्टम, चौपर, मलचर, पलटावे हल के बारे में किसानों को जानकारी दी गई। केवीके के सहयोगी निर्देशक (सिखलाई) डॉ. मनदीप ¨सह ने कहा कि इस मेले दौरान जहां किसानों ने खुद पराली न जलाने का प्रण लिया, वहीं उन्होंने मेले का दौरा करके अन्य किसानों को भी जागरूक किया। डा. मनदीप ¨सह ने कहा कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से वातावरण दूषित होता है,ड्ड वहीं कई प्रकार की बीमारियों पैदा होती है। जमीन के मित्र कीड़े मरने से धरती की उपजाऊ शक्ति खत्म हो जाती है। धान की पराली को आग लगाने की बजाए, इसे जमीन में ही दबाकर खेती करने की नई तकनीक को किसान अपनाएं व जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाएं। डा. राजबीर ¨सह डायरेक्टर पीएयू लुधियाना ने कहा कि पंजाब के समूह कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किसानों को पराली संभालने की तकनीकी जानकारी देने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। इस मौके पर डॉ. सतबीर ¨सह, डॉ. र¨वदर कौर, डॉ. मोनिका चौधरी आदि उपस्थित थे।