मिल रहा सात 700 रुपये प्रति क्विंटल तक अधिक दाम
संगरूर पंजाब सरकार किसानों को खेती विभिन्नता अपनाने व धान के सीजन में किसानों की फसल का पर्याप्त दाम देने के दावे करती है, लेकिन दूसरी तरफ किसानों को बासमति का पर्याप्त दाम न मिलने के कारण किसान हरियाणा की मंडी में अपनी बासमति की फसल बेचने को मजबूर हैं। यहीं नहीं संगरूर जिले के मुकाबले पटियाला जिले की मंडी में भी किसानों को बासमति का अधिक मुल्य मिल रहा है, जिस कारण किसान अपनी फसल को जिले से बाहर लेकर जाने को मजबूर हैं। मौजूदा समय में किसान अपनी बासमति की फसल हरियाणा की गुल्ला चीका मंडी या पटियाला इलाके की पातड़ा मंडी मं बेचने में अधिक रूचि दिखा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
पंजाब सरकार किसानों को खेती विभिन्नता अपनाने व धान के सीजन में किसानों की फसल का पर्याप्त दाम देने के दावे करती है, लेकिन दूसरी तरफ किसानों को बासमती का पर्याप्त दाम न मिलने के कारण किसान हरियाणा की मंडी में अपनी बासमती की फसल बेचने को मजबूर हैं। यहीं नहीं संगरूर जिले के मुकाबले पटियाला जिले की मंडी में भी किसानों को बासमति का अधिक मूल्य मिल रहा है, जिस कारण किसान अपनी फसल को जिले से बाहर लेकर जाने को मजबूर हैं। मौजूदा समय में किसान अपनी बासमती की फसल हरियाणा की गुल्ला चीका मंडी या पटियाला इलाके की पातड़ा मंडी मं बेचने में अधिक रूचि दिखा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जिला संगरूर की सीमा हरियाणा राज्य व पटियाला से लगती है। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में किसानों को बासती की दाम अधिक मिलता है। लहरागागा से लेकर खनौरी इलाके के अधिकतर किसान हरियाणा राज्य में ही बासमति धान को बेचने को तवज्जो देते हैं। लहरागागा में केवल दो ही सैला प्लांट मौजूद हैं। इन प्लांटों में खपत भी बेहद कम है। वहीं लहरा का तीसरा सैला प्लांट बंद हो चुका है। किसानों व बासमति के व्यापारियों में अक्सर रेट को लेकर तनातानी चलती रहती है, जिस कारण किसान अपनी धान की फसलें हरियाणा की तरफ लेकर चल पड़ते हैं। गौर हो कि 1509 किस्म जिला संगरूर में 2600 रुपये प्रति ¨क्वटल बिक रही है, वहीं पातड़ा में व्यापारी इसका दाम 3000 रुपये, हरियाणा में 3200 तक दे रहे हैं। 1121 किस्म संगरूर जिले में 3100 रुपये प्रति ¨क्वटल है तो पातड़ा में 3600 रुपये, हरियाणा में 3750 रुपये तक, वीटी मुच्छल संगरूर में 2700 रुपये प्रति ¨क्वटल है तो पातड़ा में 3100 रुपये प्रति ¨क्वटल व हरियाणा में 3300 रुपये प्रति ¨क्वटल के रेट पर बिक रही है। बेशक हरियाणा व पातड़ा इलाके में धान की बासमती फसल लेकर जाने पर किसानों को ट्रैक्टर-ट्राली का किराया भी भरना पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी किसान उन मंडियों में बासमती बेचने को तरजीह दे रहे हैं।
पातड़ा के पंजाब ट्रै¨डग एंड सन्नज के मालिक आढ़ती ओम प्रकाश ¨सगला ने कहा कि अन्य जिलों से पातड़ा में आकर फसल किसानों द्वारा बेचे जाने से आढ़त की कमाई भी बढ़ती है। अधिक दाम मिलने की वजह से किसान यहां बेहद उत्सुकता से आते हैं। यहां पर दर्जन भर से अधिक सैलर प्लांट मौजूद हैं व हर सैला प्लांट के मालिक की इच्छा यही है कि वह अपने प्लांट के लिए अधिक से अधिक धान खरीदें। इसलिए यहां पर किसानों को अधिक दाम मिल जाता है।
लहरागागा के आढ़ती शंभु राम गोयल ने बताया कि किसानों के बाहरी राज्य व जिलों की मंडी में धान बेचे जाने से संगरूर इलाके के आढ़तियों का नुकसान हो रहा है। संगरूर मंडी बोर्ड को साढ़े चार फीसदी टैक्स का घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं आढ़तियों को अढ़ाई फीसदी आढ़त का नुकसान झेलना पड़ रहा है।