शामलात जमीनें बचाने के लिए लामबंद होने की जरूरत : जखेपल
संगरूर पिड बचाओ पंजाब बचाओ द्वारा गांवों की शामलात जमीनों को बचाने के लिए लामबंद होने की जरूरत।
संवाद सहयोगी, संगरूर : 'पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ' मुहिम के तहत गांवों की शामलात जमीनों को बचाने के लिए स्वतंत्रता भवन में सेमिनार करवाया गया। सेमिनार की अगुआई हमीर सिंह, साइंटिफिक अवेयरनेस फोरम के प्रधान एएस मान, पिड बचाओ गांव बचाओ के नेता करनैल सिंह जखेपल ने की। सेमिनार में उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट की बैठक में गांवों की शामलात जमीनों को लैंड बैंक में तबदील कर पंजाब के उद्योगपतियों को देने का फैसला लिया है। पंजाब सरकार ने विलेज कॉमन लैंड रेगुलेशन एक्ट 1961 व 1964 के नियमों को शर्तों का उल्लंघन करके इन नियमों में धारा से जोड़ दी है, क्योंकि सांझी जमीनों को केवल गांवों के विकास के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा जमीनों को अधिगृहित करने सबंधी 2013 के केंद्रीय कानून का भी उल्लंघन किया गया है, जिसके तहत गांव की शामलात जमीनों को अधिगृहित करने के लिए गांव की ग्रामसभा के 80 फीसदी वोटरों की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता। गांव की जमीन हासिल करने के लिए सरकार को भूमिहीन अनुसूचित जाति वर्ग व छोटे किसानों को देनी चाहिए। इस फैसले से प्रभावित लोगों का दोबारा रहने के प्रबंध करने की योजना बनाने व बेघर भत्तों का प्रावधान करना जरूरी है, परंतु पंजाब सरकार सारे बने कानूनों का उल्लंघन करके 25 फीसद कीमत पंचायतों को अदा करके जमीनों को हड़पने की योजना तैयार कर रही है। बाकी की राशि का भुगतान आने वाले दो वर्षों में किश्तों द्वारा करने जा रही है। शामलात जमीनों के तीसरे हिस्से पर गरीब लोग खुद लेकर उस पर खेती करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। शामलात जमीनों से पालतु पशुओं के चारे का भी प्रबंध भी हो जाता है। शामलात जमीनों पर सरकार के कब्जों से सबसे अधिक नुकसान गरीब लोगों को होगा। इसलिए शामलात जमीनों को बचाने के लिए गांव गांव जाकर लोगों को लामबंद करने की जरूरत है। सेमिनार में किरणजीत झनीर, बलदेव सिंह गोसल, दर्शन सिंह, फलजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, गुरमीत कौर, तारा सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।