खुद की पीड़ा दूसरी महिलाओं की किया महसूस
संगरूर विवाह रचाकर सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाले कई एनआरआई दूल्हे का मामला।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
विवाह रचाकर सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाले कई एनआरआइ दूल्हे सात जन्म तो दूर, सात माह तक भी साथ न रहकर लड़कियों की जिदगी को बर्बाद कर रहे हैं। ये विवाहित लड़कियों को न तो ससुराल परिवार रखने तो तैयार हैं तथा न ही मायके परिवार में इनका गुजारा हो पाता है। ऐसी लड़कियों के लिए सतविदर कौर ने आवाज बुलंद की। एनआरआई दूल्हों की ठगी की शिकार हुए महिलाओं को लामबंद करके उनके अधिकारियों व उनके साथ हुए शोषण के लिए सतविदर कई वर्षों से संघर्ष कर रही है। कई लड़कियों को वह उनका अधिकार दिला चुकी है और कईयों के घर दोबारा से बसाने में भी सफल हुई हैं।
सतविदर कौर पुत्री शिगारा सिंह एनआरआई पतियों से तंग औरतों के हक की आवाज बुलंद करते हुए अब नन्हीं नाम से सोशल वेलफेयर संगठन का गठन किया। इस संगठन में 400 के करीब उन लड़कियों को शामिल किया जो एनआरआई दूल्हों की ठगी का शिकार हो चुकी हैं। इसमें से 350 महिलाएं एनआरआइ पतियों से प्रताड़ित हैं व 50 महिलाएं घरेलू हिसा का दर्द झेला है। अब तक वह 100 से अधिक एनआरआइ दूल्हों का पासपोर्ट रद करवाने में सफलता मिल चुका है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एनआरआई दूल्हों की ठगी का शिकार होने से बचाने के लिए संसद तक आवाज उठा रही है। साथ ही विदेश में बैठे एनआरआई दूल्हों को भारत लाने के लिए कानूनी जंग जारी है, ताकि भारत में बैठी विवाहित लड़कियों को उनका हक दिलाया जा सके। खुद से शुरू की लड़ाई, आज बाकियों के लिए जारी है संघर्ष
सतविदर कौर ने कहा कि वह खुद एनआरआई दूल्हे के शोषण का शिकार हुई हैं। एनआरआई पति व सुसराल ने भी उन्हें धोखा दिया था, जिसके चलते उन्होंने अपने पति का पासपोर्ट रद करवाया व अन्य महिलाओं को भी जागरूक करने में जुट गई। अपने संघर्ष के दौरान ही कई अन्य लड़कियां भी एनआरआई दूल्हों के शोषण का शिकार हुई मिली। जिसके बाद उन्होंने अन्य लड़कियों के लिए भी संघर्ष आरंभ किया। उनका मुख्य उद्देश्य धोखेबाज एनआरआई पतियों के खिलाफ कार्रवाई कर महिलाओं को इंसाफ दिलाना है। कई परिवार एनआरआई दूल्हे के वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनआरआइ पतियों से तंग परेशान महिलाओं द्वारा कार्रवाई करवाते हुए 100 के करीब भगोड़े एनआरआइ पतियों के पासपोर्ट रद करवाए। आत्महत्या की राह पर खड़ी हैं विवाहिताएं
सतविदर कौर ने कहा कि कई केस ऐसे है, जिसमें एनआरआई दूल्हे लड़की से विवाह करने के तुरंत एक दो माह में ही यह बहाना बनाकर विदेश भाग जाते हैं कि वह जल्द ही उन्हें भी विदेश बुला लेंगे, लेकिन इसके बाद न तो वह खुद पास लौटते हैं और न ही अपनी पत्नी को विदेश बुलाते हैं। ऐसे हाल में लड़कियों को उनके ससुराल परिवार वाले भी घर से निकाल देते हैं। कई गरीब व मध्यवर्गीय परिवार की लड़कियां कानूनी लड़ाई भी नहीं लड़ सकती है और एनआरआई दूल्हे के वापस लौटने का वर्षों तक इंतजार करती हैं। मायके परिवार वालों को भी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे हालात में कई लड़कियां आत्महत्या करने के राह पर चल पड़ती है। लड़कियों की लगातार काउंसिलिंग की जाती है, ताकि उन्हें बचाया जा सके।