Move to Jagran APP

सात वर्ष से श्मशानघाट में जिदगी गुजारने को मजबूर मां-बेटी

श्मशानघाट! नाम सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन भवानीगढ़ के गांव बालद कलां की मां-बेटी ऐसी भी हैं जो पिछले सात वर्ष से श्मशानघाट में जिदगी गुजार रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 06:15 AM (IST)
सात वर्ष से श्मशानघाट में जिदगी गुजारने को मजबूर मां-बेटी
सात वर्ष से श्मशानघाट में जिदगी गुजारने को मजबूर मां-बेटी

गुरविदर सिंह, भवानीगढ़ (संगरूर)

loksabha election banner

श्मशानघाट! नाम सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन भवानीगढ़ के गांव बालद कलां की मां-बेटी ऐसी भी हैं, जो पिछले सात वर्ष से श्मशानघाट में जिदगी गुजार रही हैं। विधवा महिला व उसकी मंदबुद्धि लड़की के लिए यह श्मशानघाट ही उनका घर है। परिवार के पास न तो खाने का बंदोबस्त है व न ही कमाई का साधन। एकतरफ चिता जलती है तो दूसरी तरफ गरीब परिवार का चूल्हा। मां-बेटी को न तो पेंशन का लाभ मिला है व न ही आटा-दाल स्कीम का। सरकार या प्रशासन ने पिछले सात वर्ष में इनकी सार तक नहीं ली है।

बुजुर्ग महिला लाभ कौर ने बताया कि उसके पति की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। कोई अन्य औलाद नहीं थी व न ही परिवार में कोई कमाने वाला बाकी बचा था। मंदबुद्धि बेटी जवान हो रही थी। उसके विवाह के लिए अपना मकान बेच दिया था। खुशियों से बेटी की शादी की, लेकिन उसका भी घर नहीं बसा व बेटी दो वर्ष पहले ससुराल से वापस उसके पास लौट आई। न तो उसकी बेटी का घर बसा व न ही उनके सिर पर मकान की छत रही। कुछ समय उसने अपनी बेटी के साथ कभी गांव की धर्मशाला तो कभी गांव के अन्य धार्मिक स्थल पर दिन गुजारे। कहीं पर भी उसे सहारा नहीं मिल पाया। कोई अन्य जगह न होने के कारण बेटी के साथ बाकी की जिदगी गुजारने के लिए गांव के श्मशानघाट में शरण ले ली। पिछले करीब सात वर्ष से रह रही है। लोगों द्वारा दी गई दो वक्त की रोटी से वह अपना पेट भर लेते हैं या गलियों में से कांच या प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठा करके बेचने के बाद मिलने वाले कुछ पैसे से रोटी का प्रबंध करती हैं। कभी कभार भूखे पेट ही रहने के लिए मजबूर हैं। सरकारी योजनाओं के लाभ बेशक लोगों को मिल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना, पेंशन स्कीम, आटा-दाल स्कीम, आयुष्मान सेहत बीमा योजना सहित अन्य लोक भलाई स्कीमों का भी उसे कोई लाभ नहीं मिला है।

---------------------

गरीब परिवार की मदद हेतु ग्रामीणों ने लगाई गुहार

गांव निवासी नरिदर कौशल, मेजर सिंह, बबला सिंह, शाम लाल ने कहा कि सरकार व प्रशासन को उक्त गरीब परिवार की सुध लेनी चाहिए। सरकार व प्रशासन मां-बेटी को विधवा व बुढ़ापा पेंशन का लाभ प्रदान करे।

------------------ मामला प्रशासन के ध्यान में लाया जाएगा : सरपंच गांव के सरपंच गुरदेव सिंह ने कहा कि यह परिवार उनकी टर्म से पहले से ही श्मशानघाट में रह रहा है। परिवार की मुखिया लाभ कौर की पेंशन लगी हुई है। मंदबुद्धि लड़की की पेंशन लगवाने के लिए परिवार ने कभी पहल नहीं की। वह यह मामला प्रशासन के ध्यान में लाएंगे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.