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जमीन के लिए सड़क पर मजदूर, यातायात ठप

संगरूर पंजाब सरकार द्वारा शामलात जमीने कार्पोरेट घरानों के बेचने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:35 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:11 AM (IST)
जमीन के लिए सड़क पर मजदूर, यातायात ठप
जमीन के लिए सड़क पर मजदूर, यातायात ठप

संवाद सहयोगी, संगरूर :

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पंजाब सरकार द्वारा शामलात जमीनें कार्पोरेट घरानों के बेचने के फैसले के खिलाफ पंचायती जमीन बचाओ एक्शन कमेटी व जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी की अगुआई में विभिन्न संगठनों ने संगरूर में जिला प्रबंधकीय परिसर के समक्ष धरना लगाया। धरने की वजह से शहर का यातायात भी प्रभावित रहा। पंजाब सरकार के फैसले के खिलाफ एकत्रित हुए मजदूरों व किसानों ने शहर में मुख्य बाजारों में रोष मार्च कर कैप्टन सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर अपनी भड़ास निकाली। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-लुधियाना नेशनल हाईवे पर चक्का जाम करने के लिए महावीर चौक की तरफ कूच की तो कैबिनेट मंत्री विजयइंदर सिगला के पीए मौके पर ज्ञापन लेने के लिए पहुंचे, उन्हें ज्ञापन सौंपकर प्रदर्शन समाप्त किया।

धरने में संबोधित करते हुए जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के कार्यकर्ता मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के धर्मपाल नमोल, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के हरभगवान मूनक, मजदूर मुक्ति मोर्चा के गोबिद छाजली, खेत मजदूर सभा के निर्मल बटड़ियाणा ने कहा कि पंजाब सरकार का शामलात जमीनों को कारपोरेट घरानों को बेचने का फैसले गांवों को बेचने का फैसला है। इस आवाज को गांव गांव पहुंचाया जाना है। इसी मुहिम की कड़ी में शुक्रवार को डीसी कांप्लेक्स के समक्ष धरना लगाया गया है। कैप्टन सरकार के लोक विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे पंजाब में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। शामलात जमीनों को बेचने का फैसला विकास का नहीं, बल्कि विनाश का फैसला है।

पंजाब में 1 लाख 57 हजार एकड़ शामलात जमीन है जिसमें 1 लाख 35 हजार एकड़ जमीन की बोली होती है। लगभग 22 हजार एकड़ पर नाजायज कब्जा है। इस वर्ष इन जमीनों से 340 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। कैप्टन सरकार गांवों से शामलात जमीनें छीन कर गांवों में हो रहे विकास को दरकिनार कर रही है, क्योंकि 1964 में ने पंचायती राज एक्ट के तहत यह जमीन गांवों के विकास से जुड़ कर मेहनतकश किसानों व दलित मजदूरों के रोजगार का साधन है। शामलात जमीन के कारण औरतों के शोषण में भी कमी आई है। इन जमीनों के बिकने से 36 फीसद खेती पर निर्भर 15.88 लाख खेत मजदूरों व 19.35 लाख किसानों को बेरोजगारी की तरफ धक्का देना है। सरकार ऐसा फैसले लेकर पंचायती जमीनों को गैर जम्हूरी तरीके से हथियाना चाहती है। प्रदर्शनकारियों ने एलान किया कि अगर उनकी मांगों को पूरा न किया गया तो कैप्टन सरकार के खिलाफ संघर्ष को और तेज किया जाएगा।


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