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एक हैं जंगल हराभरा नाटक से दिया पेड़-पौधों को बचाने का संदेश

संगरूर रंगशाला थिएटर ग्रुप संगरूर व कला केंद्र संगरूर द्वारा राम वाटिका बग्गीखाना के मंच ने कार्यक्रम करवाया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 11:23 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 11:23 PM (IST)
एक हैं जंगल हराभरा नाटक से दिया पेड़-पौधों को बचाने का संदेश

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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रंगशाला थिएटर ग्रुप संगरूर व कला केंद्र संगरूर द्वारा राम वाटिका बग्गीखाना के मंच पर चल रहे दो दिवसीय थियेटर फेस्टीवल के दूसरे दिन रविवार रात्रि रेखा जैन का लिखा नाटक एक है जंगल हरा-भरा का सफलतापूर्वक मंचन किया गया। यह नाटक पर्यावरण पर आधारित था। इसका निर्देशन यश ने किया। एक खूबसूरत हरा-भरा जंगल है जिसमें जानवर फुदकते हैं, चिड़ियां चहचहाती हैं, कोयल गीत सुनाती है व यहां पर स्कूलों के बच्चे अक्सर पिकनिक मनाने आते रहते हैं। जंगल का मालिक साहूकार जंगल को ठेकेदार के हाथों बेच देता है व ठेकेदार के आदमी सभी पेड़ काटकर ले जाते हैं। जानवर व पक्षी थके-हारे, भूखे-प्यासे आते हैं व जंगल की जगह उजाड़ देखकर दुखी हो जाते हैं। कहते हैं कि जालिमों ने सारे पेड़ काट दिए। पेड़ों ने इनका क्या बिगाड़ा था। पेड़ इन्हें फल, फूल, लकड़ी, छाया देते थे। इंसान हमारे घोसले उजाड़ कर अपना घर बनाता फिरता है। पेड़ होंगे तभी तो बादल पानी बरसेंगे, अगर धरती के नीचे का पानी खत्म हो गया तो हमारा क्या होगा। इंसान भी तो प्यासा मरेगा। कोई इनसे पूछे कि हम अपने बच्चों के लेकर कहां जाएं। इसके बाद बच्चे वहां पिकनिक मनाने आते हैं व उजड़ा हुआ जंगल देखकर उदास हो जाते हैं व अपने टीचर से कहते हैं अब हम कहां खेलेंगे टीचर। अब पिकनिक कहां मनाएंगे। टीचर कहती है कि बच्चों यहां फिर से पौधे लगाएंगे, सभी बच्चे अध्यापकों के साथ मिलकर वहां पौधे लगाते हैं। कुछ समय बाद पौधे पेड़ बन जाते हैं। फिर चिड़िया चहचहाती है, छोटे-बड़े जानवर फुदकते हैं, मोर नाचते हैं व बच्चे खुशी से झूम उठते हैं। ये नाटक संदेश देता है कि हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिए व पानी की बूंद-बूंद बचानी चाहिए।

सभी बाल कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को बाखूबी निभाया। इस नाटक में दिव्याना बांसल, मुस्कान कथूरिया, शुक्रीति कौशल, पीयूष गर्ग, मोहरूप सिंह, अंजू रानी, निर्मत कौर, अविनूर, मन्नत सढोरा, अक्षिता छाबड़ा, आर्यन अत्री, हर्षिता, मृदुला शर्मा, दीप्ती शर्मा, मीनाक्षी, डोलसी, जसमीन, मनस्वी, भवनीत, आरव मित्तल, परीक्षा गोयल, हरनाज कौर, अनमोलप्रीत कौर सोमल, आंचल अरोड़ा, दिव्यजोत सिंह व हुस्नप्रीत कौर ने शानदार कलाकारी का सबूत दिया।

इस नाटक का संगीत रंजीत सिंह लक्खा, लाइट व्यवस्था राजेश कुमार ने की। मेकअप राम आशीश पिटू ने किया। इसके बाद प्रो. सुभाष बातिश ने मनमोहक सितार वादन प्रस्तुत किया, जिनके साथ तबले पर संगत शुभम अटवाल व मनदीप सिंह ने की। ललित शर्मा, रणविजय सिंह, जश्नप्रीत, प्रगट सिंह व शहराज सिंह ने गायन कला के जौहर दिखाए। समारोह के गगनदीप सिंह मैनेजर पंजाब नेशनल बैंक कंगनवाल (संगरूर) मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे व प्रधानगी निवास शर्मा ने की।

इस अवसर पर राजिदर शर्मा, प्रो. चरणजीत सिंह उड़ारी, हरीश कालड़ा, हरजिदर सिंह, दिव्यांशु बांसल व कला केंद्र प्रधान दिनेश एडवोकेट उपस्थित थे।


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