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मिनी पीएचसी मूलोवाल में स्टाफ की कमीं, सेहत सेवाएं प्रभावित

संगरूर मिन्नी पीएचसी मूलोवाल में डॉक्टर सहित अन्य सेहत विभाग के रिक्त पदों के पदों के कारण सेहत सेवाएं प्रभावित हो रही हैं व यह मामला अब किसान संगठनों के भविष्य के एजेंडे पर है। बीकेयू एकता उगराहां के इकाई प्रधान बाबू ¨सह व लोक संघर्ष कमेटी के प्रधान सरबजीत ¨सह अलाल ने पीएचसी मूलोवाल में जाकर सेहत सुविधाओं की जांच की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 04:09 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 04:09 PM (IST)
मिनी पीएचसी मूलोवाल में स्टाफ की कमीं, सेहत सेवाएं प्रभावित
मिनी पीएचसी मूलोवाल में स्टाफ की कमीं, सेहत सेवाएं प्रभावित

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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मिनी पीएचसी मूलोवाल में डॉक्टर सहित अन्य सेहत विभाग के रिक्त पदों के पदों के कारण सेहत सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। भारती किसान यूनियन एकता उगराहां के इकाई प्रधान बाबू ¨सह व लोक संघर्ष कमेटी के प्रधान सरबजीत ¨सह अलाल ने पीएचसी मूलोवाल में जाकर सेहत सुविधाओं का निरीक्षण करने उपरांत दावा किया कि मेडिकल अफसर के न होने के कारण फार्मासिस्ट मरीजों को दवाईयां लिखकर दे रहे हैं। पीएचसी में आयुर्वेदिक मेडिकल अफसर, चौकीदार, लैब टेक्नीशियन के पद रिक्त हैं। उनहोंने बताया कि बाहरी तरफ एक कमरे के दो काउंटर बनाए गए हैं, जहां पहले पर मुफ्त दवाईयां व दूसरे पर मुफ्त लैब टेस्ट लिखा हुआ है, लेकिन दोनों बंद हैं, क्योंकि फार्मासिस्ट डॉक्टर का कार्य कर रहा हैं, ¨कतु उसका अपनी सीट का कार्य प्रभावित हो रहा है। इसी तरह लैब टेक्नीशियन न होने के कारण मुफ्त टेस्ट करने वाला काउंटर सरकार के वादों की पोल खोल रहा है, जबकि सफाई सेवक कम चौकीदार का पद रिक्त होने के कारण सफाई का कार्य स्टाफ के सहारे ही है। उन्होंने कहा कि दवाईयों की कमी के कारण मरीजों को प्राईवेट डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है। जल्द ही इन समस्याओं को लेकर संघर्ष के लिए लोगों को लामबंद किया जाएगा। गांव के सरपंच जगपाल ¨सह जग्गी व कांग्रेसी नेता जस्सी मूलोवाल ने कहा कि वह हलका विधायक दलवीर ¨सह गोल्डी के ध्यान में मामला लाकर हल करवाने की कोशिश करेंगे। सरकार तुरंत यहां पर डाक्टर व पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाए, ताकि मरीजों को बेहदर सुविधा मिल सकें। पर्याप्त मेडिकल सुविधा न मिलने के कारण मरीज प्राइवेट डॉक्टरों के शोषण का शिकार हो रहे हैं। सरकार नए डॉक्टर तैनात करने के दावे तो करती हैं, लेकिन इसके बावजूद अस्पतालों में डाक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं।


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