सरकारें आई व चली गईं, दिड़बा बस स्टैंड पर नहीं पहुंची कोई बस
सरकारें बनीं और वादे भी हुए लेकिन दिड़बा की किस्मत नहीं बदली..।
हरमेश मेशी, दिड़बा (संगरूर)
सरकारें बनीं और वादे भी हुए, लेकिन दिड़बा की किस्मत नहीं बदली..। आज भी दिड़बा इलाका पिछड़े इलाके की गिनती में शामिल है, क्योंकि आज भी इलाका मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सरकारें समय-समय पर इलाके के लिए अनेक वादे व एलान करती रही हैं, लेकिन बदकिस्मती है कि इलाके को विकास के रंग नहीं दे पाए।
शहर में नया बना बस स्टैंड भी सफेद हाथी साबित हो रहा है। कहने को तो बस स्टैंड है, लेकिन एक भी बस टर्मिनल पर नहीं लगती, न ही कोई यात्री नजर आता है। नजर आते हैं, तो केवल बेसहारा पशु व आदिवासियों के ठिकाने।
बता दें कि बस स्टैंड का 15 वर्ष पहले नींव पत्थर रखा दिया गया था। ऐसे में बस स्टैंड की छत, यात्रियों के बैठने के लिए बेंच, बसों के लिए टर्मिनल व पक्का फर्श बन चुका है लेकिन बस स्टैंड चालू न होने से खंडहर बनता जा रहा है। फर्श में दरारें पड़ने लगी हैं। बैंच टूटने लगे हैं। बस स्टैंड का परिसर बेसहारा पशुओं व आदिवासीयों का अड्डा बनता जा रहा है। जगह-जगह गोबर,र् इंट, पत्थर, कांटेदार झाड़ियां, मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। ऐसा लगता है मानों बस स्टैंड नहीं, बल्कि बड़ा सा कूड़े का डंप हो। यहीं नहीं फसल के सीजन में मंडी में फसल बढ़ने पर बस स्टैंड के स्थान पर फसल ढेरी की जाती है। तब बस स्टैंड एक अनाज मंडी का रूप धारण कर लेता है।
गौर हो कि पंद्रह वर्ष पहले 2006 में मुख्य संसदीय सचिव साधु सिंह धर्मसोत ने कांग्रेस सरकार के समय दिड़बा बस स्टैंड का नींव पत्थर रखा था। इसके बाद लगातार दस वर्ष अकाली भाजपा सरकार ने भी र्कोइ ध्यान नहीं दिया। दोबारा फिर से कांग्रेस सरकार र्आइ, लेकिन र्कोइ बदलाव नहीं हुआ। यह भी बता दें कि बस स्टैंड के निर्माण के बाद नगर पंचायत ने बसों पर स्टैंड फीस लगाकर वसूली शुरु कर दी है, जबकि एक भी बस बस स्टैंड के काउंटर पर नहीं लगी। सभी बाहर से होकर आती जाती हैं। --------------- जल्द चालू होगा बस स्टैंड
नगर पंचायत के प्रधान बिट्टू खान ने कहा कि बस स्टैंड के अंदर का काम शुरु करवाकर पूरा किया जाएगा। इसके बाद पूरी तरह से तैयार बस स्टैंड जनता के हवाले होगा।