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सीधी रोपाई करके किसान बचा रहे भूजल, पांच हजार प्रति एकड़ की सीधी बचत

धान के उत्पादन में राज्य भर अहम योगदान देने वाले जिला संगरूर में धान की रोपाई पूरे जोरों पर है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 03:29 PM (IST)
सीधी रोपाई करके किसान बचा रहे भूजल, पांच हजार प्रति एकड़ की सीधी बचत

मनदीप कुमार, संगरूर

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धान के उत्पादन में राज्य भर अहम योगदान देने वाले जिला संगरूर में धान की रोपाई पूरे जोरों पर है। जिले में धान की सीधी रोपाई के लिए भी किसानों में उत्साह पाया जा रहा है। गत वर्ष के रिकार्ड को किसानों ने महज तीन सप्ताह के दौरान में ही तोड़ दिया है।

खेतीबाड़ी विभाग संगरूर व कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी द्वारा संयुक्त तौर पर किसानों को सीधी रोपाई के लिए लामबंद किया जा रहा है। परिणाम यह है कि अब तक जिले में 31 हजार हेक्टेयर रकबे में सीधी रोपाई हो चुकी है। अगले दिनों में इसमें और तेजी आएगी। विभाग द्वारा 58700 हेक्टेयर रकबे में सीधी रोपाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अनुमान है कि अगले दो सप्ताह के दौरान यह लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाएगा। बासमती की रोपाई भी अगले सप्ताह व जुलाई के पहले सप्ताह में हो जाएगी। जिला संगरूर में इस बार दो लाख 87 हजार हैक्टेयर से अधिक इलाके में धान की कुल रोपाई की जानी है।

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किसानों में बढ़ा सीधी रोपाई का रुझान

जिले के किसानों में धान की सीधी रोपाई के लिए रुझान वर्ष दर वर्ष लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में बेशक जिले में करीब 700 हैक्टेयर रकबे में ही सीधी रोपाई हो पाई थी, लेकिन वर्ष 2020 के दौरान कोरोना काल में लेबर की किल्लत होने पर किसानों ने सीधी रोपाई की तरफ रुख किया और 28650 हैक्टेयर में धान की सीधी रोपाई की। इस वर्ष जिला संगरूर में 58 हजार हैक्टेयर से अधिक रकबे में सीधी रोपाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। -------------------------

इन गांवों के किसानों ने दिखाया भारी उत्साह

जिला संगरूर के गांव संगतपुरा खोखर में 600 एकड़, हरियाऊ में तीन सौ एकड़, किशनगढ़ में 400 एकड़, छाजला में तीन सौ, खड़ियाल में सौ, खेतला में 60 एकड़, खानपुर फकिरियां में चार सौ एकड़, कुलार खुर्द में 200 एकड़, ढंडोली कलां में 45 एकड़ रकबे में सीधी रोपाई हो चुकी है। ------------------ पांच हजार रुपये प्रति एकड़ की बचत

गांव छाजला के किसान बलविदर सिंह ने बताया कि वह पिछले दो वर्ष से धान की सीधी रोपाई कर रहे हैं। इस बार 22 एकड़ रकबे में धान की सीधी रोपाई की है। धान की सीधी रोपाई की विधि बेहद आसान है, वहीं लेबर के खर्च व पानी की भी बचत होती है। अनुमान उनका पांच हजार रुपये प्रति एकड़ की बचत हुई है। पानी की भी अधिक जरूरत न पड़ने के कारण बिजली की खपत भी कम होती है। इसलिए अधिक से अधिक किसानों को सीधी रोपाई को तवज्जो देना चाहिए। इससे खेती लागत कम व झाड़ अधिक प्राप्त होता है, जिससे किसानों को सीधे तौर पर मुनाफा मिलता है। --------------------

दस वर्ष से कर रहा हूं सीधी रोपाई, मुनाफा अधिक हुआ : हरपाल गांव खेतलां के किसान हरपाल सिंह ने कहा कि धान की सीधी रोपाई किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। किसानों को यह विधि अपनानी चाहिए, ताकि किसान कृषि संकट के दौर से निकल सके। सीधी रोपाई से पानी की सीधे तौर पर बचत होती है। अगर कुछ दिन बरसात न हो या पानी फसल को न मिल पाए तो सीधी रोपाई से रोपी गई धान को कोई नुकसान नहीं होता, जबकि साधारण विधि से बिजी धान सूखने लगती है। अधिक पानी जमा करने से उमस भी बढ़ती है, जिसका असर वातावरण पर पड़ता है। हरपाल सिंह ने कहा कि वह दस वर्ष से सीधी रोपाई कर रहे हैं और वर्ष दर वर्ष इससे मुनाफा अधिक हुआ है।

-------------------- किसानों की हर मदद के लिए विभाग तैयार, लगातार कर रहे प्रेरित

मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डा. जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल ने बताया कि जिले में अब तक 31 हजार हैक्टेयर में धान की सीधी रोपाई कर ली गई है। लक्ष्य को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। गिरते भूजल स्तर को देखते हुए किसान सीधी रोपाई की तरफ अग्रसर हुए हैं। किसानों को मशीनरी से लेकर सीधी रोपाई के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया जा रहा है। ------------------ - गांव-गांव तक पहुंचाई सीधी रोपाई की मुहिम कृषि विज्ञान केंद्र के सहायक निदेशक डा. मनदीप सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा सीधी रोपाई मुहिम को गांव-गांव तक पहुंचाया जा रहा है। किसानों का भी योगदान मिल रहा है और किसान खुद सीधी रोपाई के लिए आगे आने लगे हैं, जिसकी बदौैलत जिले में सीधी रोपाई का लक्ष्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा। भूजल को बचाने के लिए यह मुहिम बेहद कारगर है।


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