माहिरों का तर्क : तापमान गिरने से लगी सुंडी, किसानों ने ठुकराया
संगरूर धान की कटाई के बाद गेहूं की नई फसल पर शुरूआती समय दौरान ही सैनिक व गुलाबी सुंडी देखी।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
धान की कटाई के बाद गेहूं की नई फसल पर शुरूआती समय में ही सैनिक व गुलाबी सुंडी के प्रकोप ने जिला संगरूर के 3900 एकड़ फसल को प्रभावित किया है, जिस कारण सैकड़ों किसानों को परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है व किसान दोबारा बिजाई के खर्च को लेकर बेहद चितित है। किसानों की फसलों की जायजा लेने के लिए शनिवार को खेतीबाड़ी डायरेक्टर डॉ. स्वतंत्र कुमार ऐरी व किसान भलाई विभाग पंजाब के नेतृत्व में कृषि माहिरों की टीम ने गांव करतारपुरा, नानकपुरा, थलेसा व शेरों में सैनिक व गुलाबी सुंडी से प्रभावित हुए खेतों का दौरा किया। टीम में डॉ. जगतार सिंह बराड़ संयुक्त डायरेक्टर खेतीबाड़ी इनपुट, डॉ. परमिदर सिंह संयुक्त डायरेक्टर खेतीबाड़ी सीसी, पंजाब खेतीबाड़ी युनिवर्सिटी के माहिर डॉ. गुरसाहिब सिंह, एडिशनल डायरेक्टर रिसर्च डॉ. केएस, डॉ. बेअंत सिंह, डॉ. मनदीप सिंह व बूटा सिंह शामिल हुए।
गौर हो कि गत दिवस भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने ब्लॉक सुनाम, शेरपुर, संगरूर, धूरी, दिड़बा, लहरा में उक्त सुंडी से प्रभावित फसल के आकड़ें विभाग को सौंपे थे। किसान जहां पराली के अवशेषों के कारण सुंडी फैलने का तर्क पेश कर रहे हैं, वहीं विभाग का दावा है कि एकदमसे तापमान में कमी आने के कारण सुंडी का कहर बढ़ गया है।
डॉ. स्वतंत्र कुमार ऐरी ने कहा कि खेतों में गेहूं की फसल पर गुलाबी व सैनिक सुंडी का हमला काफी देखने को मिल रहा है। अक्टूबर में बोए गए गेहूं में इस कीट का हमला ज्यादा हुआ है। हमले के बढ़ने का बड़ा कारण नवंबर महीने में एकदम बढ़ा तापमान है। डॉ. जगतार सिंह जेडीए पंजाब द्वारा किसानों को खाद का सही तरीके से इस्तेमाल करने संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जहां पर खाद का इस्तेमाल सही तरीके से किया गया है, वहां पर कीट का हमला कम हुआ है। डॉ. परमिदर सिंह जेडीए ने कहा कि किसान धान की कम समय लेने वाली किस्म उगाएं, ताकि धान की कटाई के बाद गेहूं को बोने के लिए अधिक समय मिल सके।
संगरूर जिले के मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डॉ. जसविदर सिंह ने किसानों को कीट की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाएं कुइनलफास 800 एमएल व क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत एक लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से 100 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करने की हिदायत दी।
इस मौके ब्लॉक खेतीबाड़ी अफसर डॉ. हरबंस सिंह, डॉ. वरिदर सिंह व डॉ. जसविदर सिंह ने किसानों को समय समय पर फसल का निरीक्षण करने को प्रेरित किया। किसानों को मिले मुआवजा व दोबारा बिजाई का खर्च
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने मांग की कि पराली के अवशेषों से निकली सुंडी के कारण किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा है। खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की यह योजना फ्लाप साबित हुई है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है। किसानों की बर्बाद हुई फसल का मुआवजा, किसानों को गेहूं की दोबारा बिजाई का खर्च सरकार द्वारा मुहैया करवाया जाना चाहिए। अगर सरकार ने किसानों को यह मदद प्रदान न की तो किसान यूनियन कड़ा संघर्ष करेगी।