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पराली को बिना जलाए गेहूं की बिजाई कर रहे किसान पर¨वदर

संगरूर पंजाब सरकार द्वारा मिशन तंदरूस्त पंजाब तहत किसानों को धान की पराली को आग न लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके तहत डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी के निर्देशों तहत खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग पंजाब जिला संगरूर द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है ताकि फसलों के अवशेष को जलाने से रोका जा सके। इन उद्देश्यों को पूरा करने में गांव खेड़ी का 25 वर्षीय किसान पर¨वदर ¨सह अहम योगदान दे रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 06:26 PM (IST)
पराली को बिना जलाए गेहूं की बिजाई कर रहे किसान पर¨वदर

जागरण संवाददाता, संगरूर : पंजाब सरकार द्वारा मिशन तंदरूस्त पंजाब तहत किसानों को धान की पराली को आग न लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके तहत डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी के निर्देशों तहत खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग पंजाब जिला संगरूर द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि फसलों के अवशेष को जलाने से रोका जा सके। इन उद्देश्यों को पूरा करने में गांव खेड़ी का 25 वर्षीय किसान पर¨वदर ¨सह अहम योगदान दे रहा है। सफल किसान पर¨वदर ¨सह ने बताया कि पामेती द्वारा यूनाईटेड नेशन इंवायरमेंट प्रोग्राम की मदद से मार्च 2018 से बतौर डेमोनस्ट्रेटर जिला संगरूर के तीन गांव कनोई, तुंगा, उप्पली को वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए व धान की पराली को आग न लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है व जरूरतमंद किसानों को विभाग द्वारा हैपीसीडर, रोटावेटर आदि उपलब्ध करवा रहा है। इस वर्ष गांव उप्पली में 50 प्रतिशत हिस्से में गेहूं की बिजाई हैप्पीसीडर से करवाई जा रही है व आगामी समय में इसे ओर बढ़ाया जाएगा।

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पर¨वदर ¨सह ने बताया कि वर्ष 2018-19 दौरान पंजाब सरकार द्वारा धान की पराली को संभालने हेतु चलाई गई स्कीम क्राप रिजिड्यू रिजिड्यू मैनेजमेंट तहत 10 लाख कस्टम हाय¨रग सेंटर जोकि 11 सदस्यों का है, उसके द्वारा गांव खेड़ी में स्थापित करने के लिए खेती मशीनरी जैसे रिवर्सिबल पलो, एसएमएस कंबाइन, रोटावेटर आदि 80 प्रतिशत सब्सिडी पर ली है। उनके द्वारा अपनी जमीन के मिट्टी के सैंपल सरकार की भूमि सेहत कार्ड स्कीम तहत विभाग से टेस्ट करवाई है व विभाग की सिफारिशों अनुसार ही यह किसान यूरिया, डीएपी व माइक्रो न्यूट्ररीएट का प्रयोग करता है। सफल किसान पर¨वदर ¨सह ने कहा कि वह अब अपने खेतों में यूरिया का इस्तेमाल 5 बोरियां प्रति एकड़ से कम करके 2 बोरियां प्रति एकड़ करता है। पर¨वदर ¨सह ने कहा कि जब उसके द्वारा वर्ष 2017 में यह फैसला किया गया कि वह फसलों के अवशेष को आग नहीं लगाएगा तो उसके आसपास द्वारा उसके इस फैसले का विरोध किया गया तो उसने अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का फैसला किया। वर्ष 2017 में उसने अपने हिस्से में आती 18 एकड़ में गेहूं की बिजाई धान के अवशेष में हैपी सीडर मशीन से की व प्रति एकड़ औसतन झाड़ में करीब 4-5 ¨क्वटल प्रति एकड़ का बढ़ावा प्राप्त किया जोकि बिना हैप्पी सीडर से बिजाई से काफी अधिक था व इससे उसके खेती से संबंधित खर्चों में कमी गई। उसके पास करीब 25 पशु जैसे भैंस, गाय आदि हैं, जिनके गोबर से उसके द्वारा देसी खाद तैयार कर खेतों में उपयोग की जाती है व खेती धंधे के अलावा इस किसान द्वारा सहायक धंधे जैसे डेयरी, पोल्ट्री फार्म आदि का भी काम किया हुआ है।


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