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पेंशनों का फर्जीवाड़ा: रिकवरी के लिए प्रशासन कार्रवाई में जुटा

राज्य भर में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के फर्जीवाड़े के बाद अब प्रशासन के लिए पेंशन के तौर पर अदा की गई जिला संगरूर में 26 करोड़ रुपये की राशि की रिकवरी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 10:29 PM (IST)
पेंशनों का फर्जीवाड़ा: रिकवरी के लिए प्रशासन कार्रवाई में जुटा
पेंशनों का फर्जीवाड़ा: रिकवरी के लिए प्रशासन कार्रवाई में जुटा

जागरण संवाददाता, संगरूर : राज्य भर में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के फर्जीवाड़े के बाद अब प्रशासन के लिए पेंशन के तौर पर अदा की गई जिला संगरूर में 26 करोड़ रुपये की राशि की रिकवरी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी, क्योंकि मात्र 750 रुपये प्रति माह पेंशन लेने वालों की आर्थिकता इतनी मजबूत नहीं है कि वह सरकार को यह राशि का रिफंड कर सकें। बेशक सरकार के आदेशों पर जिले में रिकवरी के लिए कमेटी का गठन हो चुका है, लेकिन रिफंड प्रक्रिया की शुरूआत कैसे की जाए, इस पर अभी भी विचार जारी है। जिला संगरूर में करीब 12 हजार 573 पेंशन धारक अयोग्य पाए गए हैं। इनमें से सबसे अधिक आयोग्य पेंशनधारक लहरागागा ब्लाक के हैं, जबकि सबसे कम शेरपुर ब्लाक से संबंधित हैं। डीसी संगरूर की अगुआई में रिकवरी कमेटी ने रिकवरी के लिए कार्रवाई आरंभ कर दी है। 12573 व्यक्ति जिले भर से पाए गए अयोग्य

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पिछली सरकार ने गांवों में लोगों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन लगाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कैंप इत्यादि लगाकर लोगों के फार्म भरे। इस दौरान अयोग्य व्यक्तियों की आयु को बढ़ाकर लिखने, जमीन-जायदाद छुपाने सहित अन्य प्रकार की गलत जानकारी फार्मों में भरकर बड़े स्तर पर लोगों को पेंशन का लाभ दिया गया। मौजूदा सरकार की ओर से पेंशनों की करवाई गई पुन:पड़ताल में जिले में से ब्लाक शेरपुर में 400, संगरूर में 1130, मालेरकोटला में 938, लहरा में 3035, दिड़बा में 1668, धूरी में 544, भवानीगढ़ में 913, अमरगढ़ में 1121, ब्लाक अनदाना एट मूनक में 807, सुनाम में 2017 पेंशन धारक अयोग्य पाए गए। यह लंबे समय से पेंशन के तौर पर 26 करोड़ 63 लाख रुपये सरकार से ले चुके हैं। सियासतदानों व अधिकारियों की मिलीभुगत से हुआ फर्जीवाड़ा

शहरों व गांवों में सियासतदानों व अधिकारियों की मिलीभगत से ही पेंशन के इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। 40-50 आयु वालों की आयु को बढ़ाकर बुजुर्ग करार देकर बुढ़ापा पेंशन का लाभ मिला। वहीं मरने के बाद भी कई पेंशन धारकों की पेंशन जारी रही। आमदन के स्त्रोत छुपाकर तहसीलदार से झूठे आमदन सर्टिफिकेट बनवाकर पेंशन केस लगाकर पास करवाए गए। कई पेंशन धारकों के घरों का पता भी गलत व पेंशन के लिए लगाए गए दस्तावेज भी गलत पाए गए हैं। सियासतदानों की शह पर अधिकारियों ने भी बिना केसों की पड़ताल किए इन्हें योग्य करार दे दिया गया और यह अयोग्य पेंशन धारक भी पेंशन के हकदार बन गए। ब्लाक स्तर पर केसों की जुटाई जानकारी, जल्द होगी कार्रवाई

जिला सामाजिक सुरक्षा अफसर लवलीन कौर ने बताया कि जिला संगरूर में फर्जी पेंशन धारकों को आंकड़ा सबसे अधिक है, जिस कारण सभी पेंशन धारकों संबंधी रिकॉर्ड इकट्ठा किया गया है, जिस कारण प्रक्रिया में कुछ अधिक समय लगा है। ब्लाक अनुसार इन पेंशन धारकों की पहचान की गई है व ब्लाक अनुसार इन्हें वितरित किया गया है। पेंशन की रिकवरी हेतु कमेटियां बनाई गई है। यह कमेटियां पेंशन धारकों से रकम की रिकवरी के लिए कार्य करेंगी। सरकार की हिदायतों के अनुसार रिकवरी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। पेंशन योजना का किया सियासतीकरण, होनी चाहिए कार्रवाई

आम आदमी पार्टी के विधानसभा में विपक्ष के नेता व विधायक हरपाल सिंह चीमा ने इस मुद्दे पर गंभीरता से नोटिस लेते हुए कहा कि पिछली सरकार के सियासतदानों ने अपने घरों में बैठकर अपने चहेतों को पेंशन का लाभ देने के लिए फर्जीवाड़ा किया है। अधिकारियों की पावर का दुरुपयोग करते हुए अयोग्य लोगों को भी पेंशन प्रदान की गई। इसके लिए सियासतदान व अधिकारी दोनों ही बराबर के गुनाहगार है। योग्य व्यक्ति आज भी पेंशन के हक से वंचित हैं, जबकि अयोग्य व्यक्ति पेंशन की रकम हड़प करते रहे हैं। फर्जी पेंशन लगवाने वाले सियासीदानों व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए कर्जे दर्ज किए जाने चाहिए।


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