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इच्छा मन को कभी शांत नहीं होने देती : महासाध्वी समर्थ

जैन स्थानक मोहल्ला में जारी धर्मसभा में महासाध्वी समर्थ महाराज ने फरमाया कि इच्छाएं घटाए सुख का खजाना पाएं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 05:15 PM (IST)
इच्छा मन को कभी शांत नहीं होने देती : महासाध्वी समर्थ
इच्छा मन को कभी शांत नहीं होने देती : महासाध्वी समर्थ

जागरण संवाददाता, संगरूर

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जैन स्थानक मोहल्ला में जारी धर्मसभा में महासाध्वी समर्थ महाराज ने फरमाया कि इच्छाएं घटाए, सुख का खजाना पाएं। जिदगी को आनंद से भरने के लिए अरमानों का कम होना जरूरी है, क्योंकि मनुष्य पेट तो भर सकता है, लेकिन इच्छाओं के कुएं को नहीं। इसलिए जरूरी है कि इच्छा कम की जाए।

उन्होंने कहा कि इच्छा मन को कभी शांत नहीं होने देतीं। मनुष्य इन्हें पूरा करने के लिए दिन रात एक कर देता है। जब तक कि उसके जीवन का अंत नहीं हो जाता। उसकी पूरी जिदगी धर्म के बगैर नेहफल चली जाती है। उसे किसी प्रकार का फल प्राप्त नहीं होता। उसका दान पुण्य किसी खाते में नहीं पड़ता, क्योंकि दान के पीछे उसकी लालसा छुपी होती है। दान का मतलब बगैर किसी कामना व स्वार्थ के किया अच्छा कर्म है, जो धर्म के खाते में जाता है। इसलिए दान से पहले अपनी भावनाएं व विचार शुद्ध करने चाहिएं। आगे वचन किए कि यदि र्कोइ तपस्या नहीं कर सकता तो उसे किसी तपस्वी, साधु व संत की निदा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि धर्म के रास्ते की सही पहचान इनके बताए मार्गदर्शन से हो पाती है। इस मौके चल रही तपस्या में विजय जैन, गायत्री मित्तल, उषा जैन, जीवन जैन, अतुल गोयल, महेश जैन, सुरभि, शालू, राज रानी ने हिस्सा लिया।


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