कापी - पंजाब के लिए ---- कैप्टन बताएं किस किसान का पूरा कर्जा माफ किया : उगराहां
संगरूर पंजाब की सात संघर्षशील संगठनों द्वारा कर्जे की गंभीर समस्या को लेकर शुक्रवार को स्थानीय डीसी दफ्तर के मुख्य गेट समक्ष धरना दिया गया। किसान नेताओं ने कहा कि चुनावों के समय कैप्टन ने समूह लोगों से वादा किया था कि यदि उनकी सरकार बनी तो वह कर्जा-कुर्की खत्म कर देंगे।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
पंजाब सरकार किसानों के कर्जे माफ करके किसानों को बड़ी राहत प्रदान करने का दावा कर रही है, जबकि दूसरी तरफ जिला संगरूर के 110 किसान एक वर्ष में आत्महत्या कर चुके हैं।
पहले चरण में सरकार ने जिला संगरूर के किसानों का 273 करोड़ रुपये का कर्जा माफ कर चुकी है व दूसरे चरण की भी तैयारी की जा रही है। शुक्रवार को सात संघर्षशील किसान व मजदूर संगठनों ने कर्जमाफी की मांग को लेकर जिला प्रबंधकीय परिसर के समक्ष धरना लगाया व लीड बैंक के समक्ष यातायात जाम किया। सरकार की कर्जमाफी को किसानों ने ऊंट के मुंह में जीरा करार दिया।
धरने को संबोधित करते हुए भाकियू एकता उगराहां के प्रांतीय प्रधान जो¨गदर ¨सह उगराहां, प्रांतीय उप प्रधान जनक ¨सह भुटाल ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि कैप्टन सरकार किसानों के 3585 हजार करोड़ रुपये के कर्जे माफ करने के दावे कर रही है, ¨कतु कैप्टन अम¨रदर ¨सह यह बताएं कि पंजाब के किस किसान का पूरा कर्ज माफ किया है। उन्होंने कहा कि जिन सहकारी बैंकों का कर्जा माफ किया गया है, यह किसानों के कर्ज का एक हिस्सा है। इसके अलावा उन्होंने अन्य बैंकों के भी कर्जे देने हैं, जो खेती मशीनरी, सहयोगी कार्य व अन्य उद्देश्यों संबंधी लिए गए हैं। इसके अलावा आढ़ती के बहुत भारी कर्जे हैं। इसलिए पंजाब के सभी दावे खोखले हैं व किसानों को इनकी बातों में नहीं आना चाहिए। पंजाब में दिए जा रहे धरनों संबंधी कहा कि यह धरने पंजाब के 14 जिलों में दिए जा रहे हैं। इन समूह धरनों में 50 हजार से अधिक किसान कर्जा माफी व अन्य मांगों को लेकर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। दुख की बात यह है कि कर्जा माफी को लेकर यह यूनियन का 12वां धरना है, ¨कतु सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। किसानों के कर्जे का मामला केवल पंजाब का नहीं, बल्कि भारत के सभी राज्यों के किसान आज कर्जदार हो चुके हैं। इसलिए अभी तक किसी भी प्रधानमंत्री ने इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दिया। विभिन्न राज्यों में कर्जा माफी को मुद्दा बनाकर वोटें बटोर लेती हैं, ¨कतु हकीकत में इसका हल नहीं होता। इसलिए हर पार्टी का चुनाव मनोरथ कानून के दायरे में आना चाहिए।
इस मौके पर सुखदेव ¨सह, सुखदेव ¨सह घराचों, अमरीक ¨सह गंढूआं, दरबारा ¨सह, सोमा ¨सह, जगतार ¨सह, दर्शन ¨सह, श्याम दास कांझली आदि उपस्थित थे।
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ये हैं मांगें
उन्होंने किसानों को कर्ज लेते समय किसानों से खाली चेक लेने बंद करने, चल रहे कोर्ट केस बंद करने, सरकार की तरफ से घोषित 2 लाख रुपये की राहत नोटिफिकेशन की धारा 5.2 हटाकर 5 एकड़ तक के सभी किसानों के लिए बिना शर्त धारा 5 प्रतिशत तहत ही लागू करने, जबरी कर्जा वसूली के लिए नीलामियां, कुर्कियां, गिरफ्तारियां, पुलिस दखल, फोटोज सहित डिफाल्टर लिस्टों जैसे हथकंडे पर पाबंदी लगाने, स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने, फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी करने, खर्चे कम करने के लिए कार्पोरेट घरानों को मुनाफा देना बंद करने, कर्ज लौटाने से असमर्थ किसानों-मजदूरों के समूचे कर्ज खत्म करने, कर्ज व आर्थिक तंगी से पीड़ित आत्महत्याएं कर चुके किसानों-मजदूरों के वारिसों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा, 1 सरकारी नौकरी देने, पंजाब के पढ़े-लिखे व अनपढ़ ग्रामीण बेरोजगारों को पक्की नौकरी व बेरोजगारी भत्ता देने, किसानों को जमीनी मालिकी के हक देने, धान की पराली व गेहूं की नाड़ की संभाल के लिए कम से कम 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने, पराली या नाड़ जलाने वाले किसानों पर डाले मामले रद करने, बेसहारा पशुओं व कुत्तों का पक्का प्रबंध करने, पंजाब के सार्वजनिक व निजी जायदाद नुकसान रोकू एक्ट 2016 रद करने, संगठनों के नेताओं को घरों से बिना वारंट गिरफ्तार करने का गैर कानूनी सिलसिला बंद करने, वारंट होने पर भी गांव के पंचायती-गणमान्य व्यक्ति पुलिस के साथ होने, सार्वजनिक नेताओं-वर्करों को थाने में बुलाकर आधार कार्ड व अन्य निजी सूचना पेशेवर आरोपियों की तरह रिकार्ड करने बंद करने, धान लगाने के लिए खेती मोटरों की सप्लाई 1 जून से देने, बिजली दरों में किया बढ़ावा वापस लेने, खेती मोटरों पर मीटर लगाना बंद करने, लोड बढ़ावे की फीस खत्म करने की मांग की।