Move to Jagran APP

अनाज मंडियों में लिफ्टिग को तरस रहा 70 हजार एमटी धान

मौसम अगले दो दिन में एक बार फिर करवट बदलने वाला है। जबकि मंडियों में धान के अंबार लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:11 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:11 AM (IST)
अनाज मंडियों में लिफ्टिग को तरस रहा 70 हजार एमटी धान
अनाज मंडियों में लिफ्टिग को तरस रहा 70 हजार एमटी धान

मनदीप कुमार, संगरूर : मौसम अगले दो दिन में एक बार फिर करवट बदलने वाला है। संगरूर सहित राज्य भर में बूंदाबांदी व तेज आंधी की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में मौसम की मार किसानों पर भी पड़ सकती है, क्योंकि जहां किसान धान की कटाई में जुटे हुए हैं, वहीं मंडियों में धान के अंबार लगे हुए हैं। सप्ताह पहले हुई हल्की बरसात के समय में भी किसानों को मंडियों में धान की फसल भीगने की समस्या पेश आई थी, वहीं एक बार फिर मौसम के बदलते मिजाज की संभावना को देखते हुए किसान चितित है। जिले में अब तक एक लाख 67 हजार 328 मीट्रिक टन धान की आमद हो चुकी है और अनाज मंडी धान के ढेरों से लबालब भर चुकी हैं। हालात ऐसे हैं कि अब सड़कों तक धान के ढेर लग चुके हैं।

loksabha election banner

उल्लेखनीय है कि जिला संगरूर की कुल 167 मंडियों में धान की खरीद चल रही है। अब तक अनाज मंडी में एक लाख 67 हजार 328 मीट्रिक टन धान की आमद हुई है, जिसमें से विभिन्न खरीद एजेंसियों ने एक लाख 58 हजार 698 एमटी धान की खरीद कर ली गई है। अभी भी 8630 एमटी धान की खरीद होनी बाकी है। अनाज मंडियों में धान के अंबार लग रहे हैं, बेशक धान की खरीद लगातार जारी है, लेकिन अब धान की आमद पूरे यौवन पर पहुंच चुकी है, जिस कारण अनाज मंडियों में जगह की भी किल्लत पेश आने लगी है। संगरूर की मुख्य अनाज मडी के भीतर के दो शैड व मार्केट कमेटी दफ्तर के साथ बनाए गए नए बड़े फर्श पूरी तरह से धान से भले हुए हैं। आउटडोर व इनडोर सभी जगहों पर धान के अंबार लग गए है, वहीं खरीद हो चुकी धान की बोरियों भी शैडों में पड़ी हैं। हालात ऐसे हैं कि अब धान लेकर पहुंचने वाले किसानों को मजबूरन अपनी धान सड़क किनारे ढेरी करनी पड़ रही है। अनाज मंडी के भीतर कोआपरेटिव बैंक के समीप रोड धान के लगे ढेरों के कारण बंद हो गया है। ट्रैक्टर-ट्रालियां गुजरने की भी जगह नहीं बची है। वहीं मंडी के बाहर के शैड की जगह भी भर चुकी हैं, जिस कारण अब किसानों को जहां जगह मिल रही है, वहीं धान के ढेर लगे रहे हैं।

70 हजार मीट्रिक टन धान लिफ्टिग को तरसा

जिले में बेशक धान की खरीद तेजी से जारी है और अब तक एक लाख 58 हजार 698 एमटी धान की खरीद हो चुकी है, लेकिन लिफ्टिग की रफ्तार बेहद सुस्त है। अभी तक 88 हजार 169 एमटी धान की ही लिफ्टिग हुई है और खरीद का आधा धान बारियों में बंद अनाज मंडियों में ही पड़ा है। अगले दिनों में बरसात की संभावना जताई जा रही है, जिस कारण किसी भी समय बरसात होने पर लिफ्टिग के लिए अटकी धान भीग सकती है। बेशक विभाग व आढ़ती पर्याप्त तिरपालें मौजूद होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अगर बरसात होती है तो इसका नुकसान अवश्य किसानों को भुगतना होगा, क्योंकि खुले में पड़ी धान को बरसात प्रभावित अवश्य करेगी।

खरीद एजेंसियों ने की इतनी खरीद

पनग्रेन द्वारा 62797 मीट्रिक टन, मार्कफेड द्वारा 48275 मीट्रिक टन, पनसप द्वारा 29345 मीट्रिक टन, वेयरहाउस ने 18281 मीट्रिक टन धान की खरीद की है। एजेंसियों द्वारा अब तक कुल 88 हजार 169 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है। मुख्य खरीद केंद्रों पर बेशक धान की खरीद जारी है, लेकिन ग्रामीण इलाके के खरीद केंद्रों पर किसान परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। किसान कर रहे नमी की शर्त बढ़ाने की मांग

घाबदां की अनाज मंडी में बैठे किसान कुलतार सिंह, जोगिदर सिंह, बलविदर सिंह ने कहा कि मौसम बदलने की वजह से धान में नमी की मात्रा बढ़ने लगी है, जबकि दूसरी तरफ सरकार 17 फीसदी नमी की ही धान खरीदने की शर्त पर अड़ी है। सरकार 20 फीसदी नमी तक की धान की खरीद को मंजूरी दे, ताकि दिन रात मंड़ियों में अपनी फसल लेकर बैठे किसानों की फसल बिक सकें। अब दिन व रात के तापमान मे काफी अंतर होने लगा है, जिससे धान की फसल में नमी बढ़ रही है। 192 करोड़ की हुई अदायगी

डीसी रामवीर ने बताया कि धान की खरीद बिना किसी विघ्न के जारी है। अब तक धान की खरीद एजेंसियों ने एक लाख 58 हजार 698 एमटी खरीद कर ली गई है, जिसके चलते किसानों को 192 करोड़ 41 लाख की अदायगी की जा चुकी है। किसानों को मंडियों में धान की खरीद में किसी प्रकार की परेशानी पेश न आए, इसलिए किसान सूखा धान की मंडी में लेकर पहुंचे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.