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रोपड़ आइआइटी में बन रहे दो विड टावर

रूपनगर हरगोबिद खुराना अकादमिक ब्लाक को तरोताजा रखने के लिए आइआइटी रोपड़ द्वारा दो विड टावर (जिसकी ऊंचाई 35 मीटर प्रति टावर है) को एक आधुनिक तकनीक के साथ स्थापित करना शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 11:07 PM (IST)
रोपड़ आइआइटी में बन रहे दो विड टावर
रोपड़ आइआइटी में बन रहे दो विड टावर

जागरण संवाददाता, रूपनगर : हरगोबिद खुराना अकादमिक ब्लाक को तरोताजा रखने के लिए आइआइटी रोपड़ द्वारा दो विड टावर (जिसकी ऊंचाई 35 मीटर प्रति टावर है) को एक आधुनिक तकनीक के साथ स्थापित करना शुरू कर दिया है। इसके निर्माण में स्लिप फार्मिग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ब्लाक को आर्किटेक्चरल, इंजीनियरिग और निर्माण नवीनता में आकर्षक ढंग से बनाया गया है। ये विड टावर ब्लाक के भीतर ताजी हवा प्रदान करेंगे। इससे आइआइटी का ये ब्लाक न सिर्फ प्राकृतिक हवा हासिल करेगा, बल्कि बिजली की खपत कम होगी और कार्बन उ‌र्त्जन कम होगा। ब्लाक के भीतर कमरे व हाल तो सेंट्रलाइज एसी होंगे, लेकिन ब्लाक के भीतर गैलरी और ओपन एरिया में विड टावर हवा प्रदान करेंगे। स्लिप फार्मिग तकनीक के साथ 35 मीटर के दो विड टावरों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें कंक्रीट की निर्विघ्न कास्टिग निरंतर शटरिग के साथ की जा रही है। संबंधित अधिकारियों से अपेक्षित मंजूरी मिलने के बाद 25 अप्रैल को पहले विड टावर का निर्माण शुरू किया गया था। इस टावर को 30 मीटर तक स्थापित कर लिया गया है। इसका निर्माण 13 मई तक पूरा हो जाएगा। टावर के निर्माण की दर प्रति दिन 2 मीटर है। स्लिप फार्मिग एक ऐसी तकनीक है जो असाधारण संरचनाओं जिनकी ऊंचाई 16 मीटर से अधिक है, के निर्माण में इस्तेमाल की जाती है। इस तकनीक से विड टावर, डैम, चिमनी, सिलोज आदि के गतिशील और स्टिकता सहित निर्माण में सहायता मिलती है। इस तकनीक का लाभ जहां गतिशीलता के साथ असाधारण ढांचों का निर्माण होता है। वहीं इस तकनीक के प्रयोग के साथ समय की बचत होती है और कामगारों की भी कम जरूरत पड़ती है।

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आइआइटी रोपड़ अपना रही लाकडाउन के मापदंड : प्रो. दास आइआइटी रोपड़ के निर्देशक प्रो. सरित कुमार दास ने कहा कि हमारा यत्न हमेशा रहा है कि अधिक से अधिक गुणवत्ता भरपूर निर्माण कम से कम समय में पूरा किया जाए। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि गृह मंत्रालय की हिदायतें का पालन करते लाकडाउन के सुरक्षा और सामाजिक दूरियों के सभी मापदंडों को कायम रखते हुए यह प्रोजैक्ट चलाया जा रहा है। आइआइटी रोपड़ वायुमंडल में से हवा प्रयोग करने और इस का प्रयोग कार्बन निकास को घटाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।


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