सदाव्रत केहरेक घर में वायरल से पीड़ित, इलाज के लिए जाते हैं हिमाचल के देहलां में
शहर में सबसे ज्यादा बुरा हाल शहर के वार्ड नंबर तीन तथा पांच में है। इसके अलावा शहर के अन्य हिस्से भी हैं जहां साफ पानी में मच्छर पैदा हो रहा है और ये मच्छर शहर में डेंगू का कारण बन रहा है। दैनिक जागरण द्वारा सदाव्रत इलाके में दौरा कर पाया कि लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। हरेक घर में एक या दो लोग वायरल बुखार से पीड़ित हैं। ज्यादातर लोग हिमाचल में कपड़ा बेचने के लिए फेरी लगाते हैं तथा वहीं कई कई दिन रहते हैं। यहां परिवार में महिलाएं तथा बच्चे हैं। अब जब बच्चे व महिलाएं वायरल बुखार तथा संदिग्ध डेंगू से बीमार होते हैं तो इलाज के लिए वो एक दो बार स्थानीय सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं। फिर एक दूसरे के देखा-देखी हिमाचल जिला ऊना के नंगल के साथ पड़ते देहलां में एक प्राइवेट डाक्टर के पास जा रहे हैं।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर
शहर में सबसे ज्यादा बुरा हाल शहर के वार्ड तीन तथा पांच में है। इसके अलावा शहर के अन्य हिस्से भी हैं जहां साफ पानी में मच्छर पैदा हो रहा है और ये मच्छर शहर में डेंगू का कारण बन रहा है। दैनिक जागरण द्वारा सदाव्रत इलाके में दौरा कर पाया कि लोग पढ़ेलिखे नहीं हैं। हरेक घर में एक या दो लोग वायरल बुखार से पीड़ित हैं। ज्यादातर लोग हिमाचल में कपड़ा बेचने के लिए फेरी लगाते हैं तथा वहीं कई-कई दिन रहते हैं। यहां परिवार में महिलाएं तथा बच्चे हैं। अब जब बच्चे व महिलाएं वायरल बुखार तथा संदिग्ध डेंगू से बीमार होते हैं तो इलाज के लिए वो एक दो बार स्थानीय सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं। फिर एक दूसरे के देखा-देखी हिमाचल जिला ऊना के नंगल के साथ पड़ते देहलां में एक प्राइवेट डॉक्टर के पास जा रहे हैं। ये जानकारी अपने आप में हैरान करने वाली है। जागरण संवाददाता ने लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वहां इलाज सस्ता है। यहां महंगी दवाएं लेकर भी उन्हें स्वास्थ्य लाभ नहीं हो पा रहा था। अब वो ट्रेन पकड़कर सुबह नंगल पहुंचते हैं तथा वहां से टैंपो पकड़कर हिमाचल के गांव देहलां में डॉक्टर के पास जाते हैं। निशा, सरोज तथा काजल ने बताया कि उन्हें बार-बार बुखार हो रहा था। उन्होंने यहां किसी डॉक्टर से आराम न आने के बाद देहलां में एक डॉक्टर से दवा ली। अब इलाज से उन्हें आराम है। मुद्दा ये है कि सिविल अस्पताल समेत प्राइवेट अस्पताल जहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, उनसे इन लोगों को आराम नहीं आया तथा न ही वो उनमें विश्वास कायम कर पाए। इसके विपरीत वो हिमाचल के गांव देहलां (ऊना) में जाकर एक डॉक्टर से इलाज ले रहे हैं। वहीं, सुलखनी ने बताया कि उसके घर पर वह भी बीमार थी। अब उसके बच्चे राज कुमार, गुरजीत तथा ज्योति बीमार हैं। हजारों रुपये रूपनगर में प्राइवेट अस्पतालों व क्लीनिकों में खर्च चुकी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके वार्ड में कोई कैंप नहीं लगाया गया। जबकि स्वास्थ्य अधिकारी इन वार्डो में कैंप लगाने का दावा कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग नहीं देता डेंगू के टेस्ट को मान्यता
स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट अस्पतालों की लैबोरेटरियों में होने वाले डेंगू के टेस्ट को मान्यता नहीं देते। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अलाइजा टेस्ट ही मान्य है जो स्वास्थ्य विभाग बिलकुल मुफ्त करता है। जिला एपीडीमोलोजिस्ट डॉ. हरमनप्रीत कौर ने कहा कि अभी तो डेंगू कंट्रोल में है। लोग जो पंद्रह दिन पहले बीमार पड़े हैं वहीं हैं। नए केस सामने नहीं आ रहे हैं। इस साल 132 डेंगू केसों की हो चुकी है पुष्टि
स्वास्थ्य विभाग जिले में इस साल अब तक 132 लोगों को डेंगू अब तक अलाइजा टेस्ट के माध्यम से पुष्टी हो चुकी है। ये जनवरी 2018 से लेकर अब तक का आंकड़ा है। पिछले साल जिले में 309 लोगों को डेंगू की पुष्टि हुई थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल 2017 में कुल 957 डेंगू अलाइजा टेस्ट किए गए थे। जबकि इस साल अब तक 436 लोगों के डेंगू अलाइजा टेस्ट किए गए हैं।
कई महीनों से नहीं हुई इलाके में सफाई
सदाव्रत के बीच से गंदे नाले गुजरते हैं जिनकी सफाई कई महीनों से नहीं हुई है। कई कबाड़िये हैं जिनके कबाड़ में बरसाती पानी जमा है और वो डेंगू के मच्छरों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। वार्ड नंबर तीन तथा चार इसलिए अनदेखे रह गए हैं।