Move to Jagran APP

सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश जगा रही समाजसेवा की अलख

हम बात कर रहे हैं कैलाश ठाकुर की। ये नाम अध्यापन क्षेत्र से जुड़ा रहा है पर सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश ठाकुर इलाके के लिए समाजसेवी महिला के रूप में उभरी हैं। जब महिलाएं सेवानिवृत्ति के बाद शांतपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करती हैं तो कैलाश ठाकुर ने समाजसेवा खासकर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में वाकिफ करवाने के लिए काम करके सुकून महसूस करती हैं। कैलाश आइडियल हैं उन कामकाजी महिलाओं के लिए जो सेवानिवृति के बाद समाज के प्रति अपने दायित्वों को नजरंदाज कर देती हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 10:54 PM (IST)
सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश जगा रही समाजसेवा की अलख
सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश जगा रही समाजसेवा की अलख

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर

loksabha election banner

हम बात कर रहे हैं कैलाश ठाकुर की। ये नाम अध्यापन क्षेत्र से जुड़ा रहा है पर सेवानिवृत्ति के बाद कैलाश ठाकुर इलाके के लिए समाजसेवी महिला के रूप में उभरी हैं। जब महिलाएं सेवानिवृत्ति के बाद शांतिपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करती हैं तो कैलाश ठाकुर ने समाजसेवा खासकर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में वाकिफ करवाने के लिए काम करके सुकून महसूस करती हैं। कैलाश आइडियल हैं उन कामकाजी महिलाओं के लिए जो सेवानिवृत्ति के बाद समाज के प्रति अपने दायित्वों को नजरंदाज कर देती हैं। कैलाश ठाकुर 30 अप्रैल 2016 को सरकारी हाई स्कूल दसग्राई से बतौर हिदी मिस्ट्रेस सेवानिवृत्त होने के बाद गांव बरमला में परिवार के साथ बस गई। चंडीगढ़ में घर बनाने की बजाय गांव में रहने की ठानी। गांव बरमला में नारी चेतना मंच का गठन किया, ताकि गांव व इलाके की महिलाओं को जागरूक कर सकें। चाहे बात अधिकारों की हो चाहे स्वास्थ्य समेत अन्य जरूरी विषयों की। महिलाओं के लिए हरेक माह एक एकत्रीकरण करती हैं और उन्हें किसी न किसी एक्सपर्ट से मिलाती हैं ताकि महिलाएं समय के साथ अपडेट रहें। एमए इकनामिक्स और हिदी और एमएड कैलाश ठाकुर सेवानिवृत्ति के बावजूद आज भी युवाओं के बराबर जोश के साथ जुटी हुई हैं। अब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

कैलाश ठाकुर ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं और दोनों ही विदेश में सैटल हैं। पति भी पीएसपीसीएल से सेवानिवृत्ति हैं। पति भी उनका पूरा सहयोग करते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद साल 2016 की 24 जुलाई को उन्होंने नारी चेतन मंच का गठन किया। इसके बाद गांव में ही शहीद ऊधम सिंह यूथ क्लब का गठन करवाया। वो जिला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य हैं। कैलाश कहती हैं कि उन्होंने गांव की बुजुर्ग एवं विधवा महिलाएं जो लिखने पढ़ने में सक्षम नहीं हैं, को पेंशन लगवाई है। गांव की 25 छात्राओं को विश्वास कर्मा लाज लुधियाना से साइकिल भी मुफ्त दिलवाए हैं। अब वो लगातार इस प्रयास में हैं कि गांव व इलाके की महिलाओं को आत्मनिर्भर करने के लिए चटनी, मुरब्बा, आचार बनाने की ट्रेनिग दिला सकें। इसके लिए वो डिप्टी कमिश्नर रूपनगर से भी भेंट कर चुकी हैं। पिछले साल कैलाश ठाकुर को जिला प्रशासन द्वारा सफल महिला का अवार्ड बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जिला समारोह में दिया गया था।

लेखिका भी हैं कैलाश

समाजसेवा के बीच कैलाश लिखने के लिए भी निकालती हैं। उनकी रचनाओं में कहानी संग्रह बेरी वाला घर के अलावा बाल साहित्य में कुक्कड़ू कड़ूं, रुख बोल पए और भूत भाग गया शामिल हैं। उनकी दो रचनाएं प्रकाशन के इंतजार में हैं। संदेश: आत्मविश्वास से जो ठान लो वो मिलेगा

कैलाश ठाकुर ने महिला दिवस पर महिलाओं को संदेश दिया कि वो किसी भी काम को मुश्किल न समझें। महिला अगर कोई काम मन में आत्मविश्वास कायम करते हुए कुछ भी ठान ले और उसका इरादा नेक हो तो उसे प्रकृति भी मदद करती है और वो अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.