स्वाइन फ्लू के केसों को गंभीरता से लें : डॉ. निधि
संवाद सहयोगी, रूपनगर जिले में स्वाइन फ्लू की रोकथाम को लेकर सभी ब्लाकों के सीनियर मेडिकल
संवाद सहयोगी, रूपनगर
जिले में स्वाइन फ्लू की रोकथाम को लेकर सभी ब्लाकों के सीनियर मेडिकल अफसरों की जिला स्तरीय बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता जिला परिवार भलाई अफसर एवं जिला टीकाकरण अफसर डॉ. निधि श्रीवास्तवा ने की। बैठक के दौरान स्वाइन फ्लू पीड़ित मरीजों की स्क्री¨नग, टे¨स्टग व इलाज को लेकर वर्तमान हालातों के अनुसार जारी दिशा निर्देशों के तहत सभी को अवगत करवाया गया। स्वाइन फ्लू के केसों को गंभीरता से लेने की जरूरत पर बल दिया गया।
जिला स्वास्थ्य अफसर डॉ. निधि श्रीवास्तवा ने कहा कि स्वाइन फ्लू के शंकित मरीजों का इलाज कैटेगरी के हिसाब से नियमानुसार ही किया जाए। यह ध्यान रखा जाए कि इलाज शुरू करने में किसी भी स्तर पर देरी न हो। हिदायत दी कि केवल सी कैटेगरी के मरीजों के सैंपल ही जांच के लिए भेजे जाएं। स्वाइन फ्लू मरीजों की देखरेख करने वाले स्टाफ का टीकाकरण हर हाल में सुनिश्चित बनाया जाए। इस मौके सुखजीत कंबोज सहित द¨वदर ¨सह, रणजीत ¨सह, लखवीर ¨सह, डाटा मैनेजर खुशहाल ¨सह व सुख¨वदर कौर हाजिर थे। अरूण कुमार पुरी -----
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सांस के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है स्वाइन फ्लू
डॉ. सुमित शर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू विशेष वायरस एच वन एन वन की देन है जोकि सांस के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। तेज बुखार, खांसी, जुकाम, छींकों का आना, नाक से पानी का बहते रहना, गले में दर्द का रहना, सांस लेते वक्त तकलीफ का होना, छाती में दर्द होना, थूकते वक्त रक्त का आना, दस्त लगना, शरीर में थकावट व कमजोरी जैसा अहसास होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। अगर स्कूल या कालेज के किसी विद्यार्थी या स्टाफ मेंबर में उक्त लक्षण पाए जाते हैं तो उसे पांच से सात दिनों तक घर में ही रहना चाहिए। उन्होंने समझाया कि खांसी करते या छींकते वक्त मुंह पर कपड़ा रखना जरूरी है जबकि आंख, नाक व मुंह को छूने के बाद हाथों को साबुन के साथ धोना चाहिए, भीड़ वाले स्थलों पर जाने से परहेज करना चाहिए।
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सतर्क रहें रैपिड रिसपोंस टीमें
डॉ. निधि श्रीवास्तवा ने बताया कि स्वाइन फ्लू का इलाज व दवाइयां हर अस्पताल एवं स्वास्थ्य केंद्र में पूरी तरह से मुफ्त उपलब्ध हैं। इसलिए स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज को बिना देरी अपने नजदीकी अस्पताल पहुंच करते हुए इलाज शुरू करवाना चाहिए। उन्होंने सारे सीनियर मेडिकल अफसरों को हिदायत दी कि वे जिला स्तर व ब्लाक स्तर पर रेपिड रेस्पोंस टीमों को पूरी तरह से सतर्क रहने के आदेश जारी करें।