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बैड करेक्टर है नशा छुड़ाओ केंद्र का संचालक काका

काके दा साम्राज्य बहुत आशीलान है। पुलिस के रिकार्ड में बीसी (बेड करेक्टर) खुश¨वदर ¨सह काका ने तीन चार साल के बीच नशा छुड़ाऊ केंद्र के रूप में गोरखधंधा खड़ा कर लिया किसी को कानों कान खबर नहीं लगी। अगर नवांशहर की महिला जस¨वदर कौर प्रशासन के पास अपने बेटे को छुड़ाने के लिए पहुंच न करती तो शायद ये केंद्र इसी तरह चलता रहता तथा युवा यहां आकर अमानवीय यातनाएं सहते रहते। केंद्र में रहने वाले लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शौचालय के ऊपर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। खुश¨वदर ¨सह काका के खिलाफ मंगलवार दर्ज हुए केस के बाद कुल 14 एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं। इनमें से पांच में आरोपित काका बरी हो चुका है तथा हत्या समेत आठ मामले अदालत में विचाराधीन हैं। इनमें धोखाधड़ी, मारपीट, चोरी के मामले चमकौर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, सर¨हद, मो¨रडा में दर्ज हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 07:59 PM (IST)
बैड करेक्टर है नशा छुड़ाओ केंद्र का संचालक काका

अजय अग्निहोत्री, जंड साहिब (रूपनगर)

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काके दा 'साम्राज्य' बहुत आलीशान है। पुलिस रिकार्ड में बीसी (बैड करेक्टर) खुश¨वदर ¨सह काका ने तीन-चार साल के बीच नशा छुड़ाओ केंद्र के रूप में गोरखधंधा खड़ा कर लिया और किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी। अगर नवांशहर की महिला जस¨वदर कौर प्रशासन के पास अपने बेटे को छुड़ाने के लिए पहुंच न करती, तो शायद यह केंद्र इसी तरह चलता रहता और युवा यहां आकर अमानवीय यातनाएं सहते रहते। केंद्र में रहने वाले लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शौचालय के ऊपर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। खुश¨वदर ¨सह काका के खिलाफ मंगलवार को दर्ज हुए केस के बाद कुल 14 एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं। इनमें से पांच में आरोपित काका बरी हो चुका है तथा हत्या समेत आठ मामले अदालत में विचाराधीन हैं। इनमें धोखाधड़ी, मारपीट, चोरी के मामले चमकौर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, सर¨हद व मो¨रडा में दर्ज हैं।

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भ्रम में डालने को लिखा, ये नशा मुक्ति केंद्र नहीं

और तो और लोगों में नशा मुक्ति केंद्र को लेकर ज्यादा प्रचार न हो, इसलिए केंद्र के बाहर विशेष रूप से यह बोर्ड लगाया गया है कि जंड साहिब सिख अकादमी केवल गुरमति विद्यालय है। ये नशा मुक्ति केंद्र नहीं है।

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केंद्र को जेल की तरह बनाया हुआ था

जंड साहिब सिख अकादमी की आड़ में चल रहे इस अनाधिकृत नशा छुड़ाओ केंद्र को गुरमति प्रचार की आड़ में चलाया जा रहा था। इस केंद्र के भीतर दाखिल होने के लिए कुल चार गेट पार करने पड़े थे। जिस तरह जिला जेलों में कैदियों को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है, उसी तरह यहां भी व्यवस्था की गई थी। पहले ब्लैक शीशे वाला एल्यूमीनियम का दरवाजा। उसके आगे सामान्य दरवाजा। फिर लोहे की ग्रिल तथा आगे लोहे का गेट। पूरी तरह जैसे जिला जेल में ड्योडी होती है, वैसी व्यवस्था थी। आगे दो सौ के आसपास बेड लंबी लाइनों लगे हैं। इतने बेड होने के बावजूद आपस में बातचीत करने की इजाजत नहीं थी।

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सजा के तौर पर देता था यातनाएं

अगर केंद्र में दाखिल किसी मरीज ने दूसरे से बातचीत की, तो यह सब सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड होता था। इसका कंट्रोल रूम खुश¨वदर सिह उर्फ काका के साथ ही बनी लग्जरी कोठी के भीतर बेडरूम में लगी दो एलसीडी पर है। किसी वीआइपी की कोठी की तरह घर में आधुनिक सुविधाएं हैं।

अगर कोई उल्लंघन करते पाया जाता था, तो फिर शुरू होता था सजा का दौर। इसके तहत 500 बैठकें। नहीं तो डंडों से पिटाई। फार्म में पशुओं की देखभाल की ड्यूटी। मौके पर दो मोटरसाइकिल खड़े पाए गए। जिनमें यामाहा आर-15 और बुलेट का थंडरबर्ड 500 एक्स हैं। दोनों की कीमत तीन लाख के पार है। वहीं, खुश¨वदर ¨सह काका ने अपनी पत्नी को छोड़कर अपने ही एक केंद्र में दाखिल युवक की बहन से विवाह किया हुआ है।

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ये है स्थिति

इसके साथ ही 150 दुधारू पशुओं का फार्म है। जहां बुधवार सुबह से मवेशी भूखे थे तथा दो-तीन युवक उन्हें चारा डालने में जुटे थे। इन युवकों ने कहा कि वो आज पहली बार ही फार्म पर काम करने आए हैं। फार्म पर खरगोश व बतखें भी रखी हुई हैं। केंद्र में रखे गए नशे के आदी लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि फार्म में उनसे लेबर करवाई जाती थी। केंद्र में हालात ये थे कि जानवरों की तरह लोगों को रखा जा रहा था। उनसे उनकी मर्जी के बिना धक्के से न सिर्फ लेबर करवाई जा रही थी बल्कि उनको देर रात नींद से उठा लिया जाता था। उन्हें सुबह तड़के नहाकर पाठ करने के लिए केंद्र की ऊपरी मंजिल पर ले जाया जाता था। जहां पाठ में गलती करने पर पिटाई की जाती थी। उन्हें सजा भी ये दी जाती थी कि एक महीने तक टायलेट धुलवाया जाता था। पोचे लगवाए जाते थे। या फिर हाथों और पांवों को पिल्लर के साथ खड़े करके बांध दिया जाता था। सबसे कड़ी सजा ये थी कि अगर एक-दूसरे से बात की तो समझो डंडों से पिटाई। अगर किसी की तरफ आंखों से इशारा और स्माइल पास कर दी तो खैर नहीं। नशा छुड़ाओ केंद्र के भीतर न तो कोई काउंसलर था न ही डाक्टर।

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तीन दिन तक शौचालय नहीं जाने दिया

डीएसपी नवरीत ¨सह विर्क ने बताया कि उन्हें हिमाचल के नालागढ़ से एक अभिभावक का फोन आया कि उनके बेटे को नशा छुड़ाओ केंद्र में तीन दिन तक शौच नहीं जाने दिया गया। उसे ये सजा दी गई कि वो शौच नहीं जाएगा। तीन दिन तक वो शौच अपनी पेंट में ही करता रहा। ये उनके बेटे ने घर लौटकर बताया है।

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एनआरआइ भी थे केंद्र में

केंद्र में तीन एनआइआर परिवारों के वो लोग भी शामिल थे, जो नशे के आदी थे। विदेशों में बैठे लोग ये सोच रहे थे कि उनके परिवार के सदस्य गुरुबाणी से जुड़ रहे हैं। डीएसपी विर्क ने बताया कि एक कनाडा, एक अमरीका तथा एक दुबई का व्यक्ति भी यहां केंद्र में था। जिसके परिवार वालों को उनके पाठ करते हुए की वीडियो क्लिप बनाकर भेजी दी जाती थी और उसकी एवज में मोटी रकम वसूली जा रही थी।

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उच्च पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार ने कहा कि मुझे दी थी बिजनेस की ऑफर

केंद्र में दाखिल अबोहर के एक व्यक्ति ने बताया कि वो एक उच्च पुलिस अधिकारी का चचेरा भाई है। उसको केंद्र चलाने वाले काका ने ऑफर की थी कि वो उसके साथ बिजनेस में 40 लाख लगाए, वो उसे महीने का आठ लाख रुपये कमाकर देगा। वो सीजीसी घड़ुआं में मैक डोनार्ड और केएफसी की फ्रेंचाइजी लेना चाहता है। वो यहां केंद्र तथा फार्म का काम देखे। मगर, उसने कहा कि वो उससे 40 की बजाय 50 लाख ले ले और प्रत्येक माह केवल छह लाख ही दे। मगर वो उसका काम नहीं देखेगा।


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