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काफिर की पुस्तक चमकौर-ए-यूनीक का विमोचन

साहिबजादा अजीत सिंह एकेडमी में क्षेत्र के बुद्धिजीवियों सहित साहित्यकारों व गुरु घर से प्यार करने वाले प्रभावशाली लोगों की अहम बैठक डॉ. इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता में हुई। जिसमें चमकौर की कच्ची गड़ी के मालिक राय रूप चंद की नौवीं पीढ़ी के राय भूप चंद व उनके पिता राय महिदर सिंह मुख्यातिथि शामिल हुए जिन्होंने साहित्याकार खोजी काफिर की पुस्तक चमकौर-ए-युनीक बैटल का विमोचन किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:54 PM (IST)
काफिर की पुस्तक चमकौर-ए-यूनीक का विमोचन
काफिर की पुस्तक चमकौर-ए-यूनीक का विमोचन

संवाद सहयोगी, रूपनगर : साहिबजादा अजीत सिंह एकेडमी में क्षेत्र के बुद्धिजीवियों सहित साहित्यकारों व गुरु घर से प्यार करने वाले प्रभावशाली लोगों की अहम बैठक डॉ. इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता में हुई। जिसमें चमकौर की कच्ची गड़ी के मालिक राय रूप चंद की नौवीं पीढ़ी के राय भूप चंद व उनके पिता राय महिदर सिंह मुख्यातिथि शामिल हुए, जिन्होंने साहित्याकार खोजी काफिर की पुस्तक चमकौर-ए-युनीक बैटल का विमोचन किया। इस पुस्तक पर बुद्धिजीवियों सहित साहित्यकारों द्वारा चर्चा भी की गई। इस दौरान पंजाबी विश्व विद्यालय पटियाला के प्रोफेसर डॉ. भीमइंद्र सिंह ने रिलीज पुस्तक पर पर्चा भी पढ़ा। इस मौके राय भूप चंद ने कहा कि उनके पूर्वजों द्वारा अपनी कच्ची गड़ी को गुरु के सत्कार में गुरु को सौंपने पर ही परिवार को सिख पंथ में आदर के साथ देखा जाता है। कुछ अनपढ़ों सहित पढ़े-लिखे अनपढ़ों व रोटी कमाने के चक्कर में धर्म का इस्तेमाल करने वालों ने गुरु इतिहास की सार्थकता को करामात की पोषाक पहनाते हुए निम्न स्तर पर पहुंचा दिया है जबकि गुरुर समय की यादों को संगमरमर की स्लेटों तले लगातार हमेशा के लिए दफन किया जा रहा है जोकि दुखदायी है व इस विषय पर मंथन करने की जरूरत है।

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मंच का संचालन हरमिदर कौर व अकेडमी के विद्यार्थियों द्वारा प्रभावी ढंग से किया गया। बैठक के समापन से पहले अकेडमी के निदेशक सुखजिदर सिंह व प्रिसिपल राजन चोपड़ा द्वारा अतिथियों व साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया गया।

गुरु की लिखित को समझना जरूरी

डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि गुरु को जानने के लिए उनकी लिखित को समझना जरूरी है जबकि प्रोफेसर हरकृष्ण सिंह मेहता ने कहा कि गुरु ज्ञान में बढ़ोतरी व इसको समझने के लिए ऐसे आयोजनों का लगातार करवाया जाना जरूरी है। डॉ. स्वराज सिंह अमेरिका ने कहा कि गुरु का सिख पूरे विश्व का भला सोचता है। उन्होंने रिलीज पुस्तक को गुरु सिद्धांतों पर आधारित करार दिया।

अध्यात्म को समझना जरूरी

पंजाबी विश्व विद्यालय पटियाला के प्रोफेसर डॉ. भीमइंद्र सिंह ने कहा कि गुरु का सिख वो व्यक्तित्व है जो शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक रूप से चढ़दीकला में रहता है। लेकिन दुख इस बात का है कि आज इस सिद्धांत का अभाव है जिसे समझना होगा।


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