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मां की सेवा ही सच्ची सेवा: बाबा प्यारा ¨सह

संवाद सहयोगी, रूपनगर : रूपनगर के अंतर्गत पड़ते सर्व धर्म सत्कार तीर्थ धमाना में बाबा प्यारा ¨सह क

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 04:32 PM (IST)
मां की सेवा ही सच्ची सेवा: बाबा प्यारा ¨सह
मां की सेवा ही सच्ची सेवा: बाबा प्यारा ¨सह

संवाद सहयोगी, रूपनगर : रूपनगर के अंतर्गत पड़ते सर्व धर्म सत्कार तीर्थ धमाना में बाबा प्यारा ¨सह के जन्म दिवस को लेकर सालाना समागम आयोजित किया गया। इस दौरान कई श्रद्धालु बाबा जी का आशीर्वाद हासिल करने के लिए पहुंचे। बाबा प्यारा ¨सह जी द्वारा किया गया सत्संग सावन माह की अष्टमी व नवमी को समर्पित था। सत्संग से पहले बाबा जी ने श्रद्धालुओं सहित जारी हवन यज्ञ में विश्व कल्याण की भावना लेकर आहूतियां डालीं।

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यहां बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु इस तीर्थ के प्रमुख बाबा प्यारा ¨सह जी के द्वारा बनवाए गए श्री दुर्गा मंदिर सहित श्री शनिदेव मंदिर, श्री शिव मंदिर, श्री वरूणदेव मंदिर, श्री विष्णु मंदिर, श्री शेषनाग मंदिर, श्री बाबा बालक नाथ मंदिर तथा श्री मस्त बाबा मंदिर के साथ-साथ इतिहासगढ़ साहिब में अखंड ज्योति के दर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा श्रद्धालु धमाना के जंगल में जाकर बाबा प्यारा ¨सह की प्रेरणा से पशु व पक्षियों को चारा, अनाज व पानी डालने की सेवा भी करने में लगे हुए हैं। बाबा जी ने कहा कि मां सबकी मुरादें पूरी करती है लेकिन जगत माता से आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले जन्म देने वाली माता को खुश करना एवं जन्म माता का सम्मान करना जरूरी है। हमें मां की सेवा करनी चाहिए। इस मौके बाबा जी ने श्रद्धालुओं को हर ग्रंथ, धर्म, जाति तथा वर्ग का सत्कार करने के लिए प्रेरित भी किया। हिमाचल में भी लगते हैं मेले

आज संगतों का मार्ग दर्शन करते बाबा प्यारा ¨सह जी ने कहा कि सावन के नवरात्रों के दौरान भोले बाबा के साथ-साथ मां दुर्गा की आराधना भी की जाती है जबकि सावन माह में शक्ति पीठ श्री नयना देवी, मां ¨चतपूर्णी, मां ज्वालाजी, मां चामुंडा जी, मां बगुलामुखी तथा नगरकोट गढ़ कांगड़ा दरबार में मेला लगता है। माता-पिता को दुख देने वाला नहीं रहता सुखी

उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी माता व पिता को दुख देते हैं तथा उनका सम्मान नहीं करते हैं उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता। बाबा जी ने इस दौरान संगतों को गो व गरीब की सेवा करने के लिए भी प्रेरित किया। बाबा जी ने कहा कि गऊ व गरीब बेजुबान होते हैं लेकिन इनकी आवाज एवं दर्द प्रभु के दरबार तक पहुंच करता है इसलिए इन्हें सताना पाप कमाने के बराबर है।


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