जीवन में कभी अहंकार न करें
श्री राम कथा के में मंगलवार को भी भक्तजनों का वेद ग्रंथों के प्रेरणा प्रसंगों से आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया गया।
जागरण संवाददाता, नंगल
समीपवर्ती परम लोक आश्रम दड़ौली में जारी श्री राम कथा के धार्मिक कार्यक्रम में मंगलवार को भी भक्तजनों का वेद ग्रंथों के प्रेरणा प्रसंगों से आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया गया। इस दौरान आश्रम के संचालक स्वामी कृपालानंद महाराज ने सीता स्वयंवर में पहुंचे प्रभु श्री राम के धनुष तोड़ने के प्रसंग का व्याख्यान किया। स्वामी जी ने कहा कि प्रभु श्री राम ने धनुष नहीं बल्कि अहंकार को तोड़कर सभी को समरसता व स्नेह का संदेश दिया था। इसलिए सभी को अपना जीवन अहंकार रहित व्यतीत करने के साथ-साथ दीन दुखियों की मदद करने में बिताना चाहिए। पूज्य श्री ने कहा कि समाज व परमात्मा से संबंध रखने से ही प्राणी को प्रभु की अपार कृपा प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि सदैव परमात्मा को याद रखने वाला प्राणी कभी भी दु:ख के क्षणों में डांवाडोल नहीं होता। अच्छे संस्कारों के कारण मनुष्य के इर्दगिर्द एक ऐसा कवच बन जाता है, जिससे उसकी रुचि बुरे कामों में नहीं बढ़ पाती तथा वह सदैव सतकर्मो में लगा रहता है। संस्कारों के लिए गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन व्यर्थ है। जब-जब भी संसार में अधर्म व अत्याचार बढ़ने लगा, तब-तब संतों व गुरुजनों ने जगत में ज्ञान का प्रकाश फैलाकर ठंडक पहुंचाई व शांति का मार्ग दिखाया। इस दौरान पं. केशव, पं. अखिलेश, समनतानंद पुरी, पं. राकेश कुमार सेठी, डा. शादी लाल, योगाचार्य आरएस राणा, पीके शर्मा, हरीश चंद्र, विश्वानाथ, प्रेम भारद्वाज, पवन कुमार, मधु बाला, सोढी राणा, मोहन भाई, सुखदेव, अजय कुमार, करनैल सिंह राणा, श्वेता राणा, विनोद कुमार व महेंद्र कुमार ने कथा सुनते हुए प्रभु के नाम की जय-जयकार की।