आज डाली जाएगी श्री शिव महापुराण यज्ञ की पूर्णाहुति
नंगल डैम से निकलते सतलुज दरिया के तटवर्ती मोजोवाल कस्बे में निर्मित शिव मंदिर भक्तों की अगाध श्रद्धा का केंद्र है।
सुभाष शर्मा, नंगल
नंगल डैम से निकलते सतलुज दरिया के तटवर्ती मोजोवाल कस्बे में निर्मित शिव मंदिर भक्तों की अगाध श्रद्धा का केंद्र है। यहां चल रहे भव्य कैलाश वास पुण्य स्मृति महोत्सव में आज शनिवार को देश के विभिन्न प्रांतों से ब्रह्मलीन स्वामी ज्ञान गिरी जी महाराज के हजारों शिष्य पहुंच रहे हैं, जो श्री शिव महापुराण यज्ञ में पूर्णाहुति डालेंगे। गौर हो कि मंदिर दक्षिण भारत की शिल्प कला पद्धति के अनुसार बनाया गया है। महान तपस्वी ब्रह्मलीन 1008 स्वामी ज्ञान गिरी जी महाराज ने इस शिवलिंग को यहा भव्य महायज्ञ का आयोजन कर स्थापित करवाया था। उड़ीसा के शिल्पकारों ने कड़ी मेहनत से शिल्प कला से तैयार किए मंदिर में नर्वदेश्वर शिवलिंग वर्ष 1958 में स्थापित किया था। आयोजकों ने मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। शनिवार से महाशिवरात्रि पर्व तक ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप छह आचार्य शुरू करेंगे, जो दिन-रात चलेगा।
आश्रम के संचालक स्वामी मुलखराज गिरी ने कहा कि 70 साल पहले यहा तपस्या में लीन स्वामी ज्ञान गिरी जी महाराज ने नर्वदेश्वर शिवलिंग स्थापित करवाया था। मंदिर के आगे ही भगवान शिव और माता पार्वती की विराट मूर्ति स्थापित है, जो मुख्य मार्ग से आने-जाने वाले भक्तों की अगाध आस्था का केंद्र बन चुकी है। उन्होंने कहा कि बाबा अमरनाथ बर्फानी तथा मणिमहेश में भी स्वामी ज्ञान गिरी जी ने बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं बनवाई गई हैं, जहा यात्रा के दिनों में लगातार लंगर चलते हैं। शिव मंदिरों का नवीनीकरण करवाकर मानवता को धर्म मार्ग से जोड़ा मुलखराज गिरी ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी ज्ञान गिरी जी महाराज ने सदैव धर्म मार्ग के लिए अग्रणी योगदान देते हुए कई प्राचीन शिव मंदिरों का नवीनीकरण व मरम्मत का कार्य करवाया है। इनमें नूंह (गुड़गांव) के पास नालंदा महादेव मंदिर, दोआबा के भवानीपुर में निर्मित शिव मंदिर, हिमाचल के जिला हमीरपुर के दख्योड़ा गांव स्थित भोले शंकर का मंदिर व जिला ऊना के ढाडा छतरपुर में भगवान शंकर का मंदिर लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। इसके अलावा दुलैहड़ में शिव मंदिर का निर्माण करवाने के अलावा दिल्ली में जरूरतमंद लोगों के लिए डिस्पेंसरी का संचालन भी दशकों पहले पूज्य श्री ने शुरू करवाया था। उन्होंने कहा कि स्वामी जी सदैव सत्कर्म पर विश्वास रखते थे। सेवा का हौसला इतना बुलंद था कि उन्होंने बाबा अमरनाथ बर्फानी की गुफा के पास ऐसे स्थल पर धर्मशाला का निर्माण करवा दिया, जहां दुर्गम हिमखंडों के बीच कुछ घंटों के लिए भी रहना बेहद मुश्किल व जोखिम भरा है।