आठ साल से मुकम्मल होने की राह देख रहा मिनी बाईपास
लगभग सवा किलोमीटर लंबे बाईपास का मात्र 200 मीटर हिस्सा आज भी अधूरा है।
संवाद सहयोगी: नेहरू स्टेडियम से पहले व सरहिद नहर के पुल के पास से नवांशहर-रूपनगर हाईवे को सीधा चंडीगढ़-रूपनगर-नंगल हाईवे से जोड़ने के उद्देश्य से बनाए जाने वाले मिनी बाईपास का काम आठ साल से अधर में लटका है। लगभग सवा किलोमीटर लंबे इस बाईपास का मात्र 200 मीटर हिस्सा ऐसा है, जोकि रेलवे लाइन के नीचे से होकर गुजरता है। इसे आज तक पक्का नहीं किया जा सका है जबकि शेष पूरे बाईपास की सड़क आठ वर्ष पहले ही बनाई जा चुकी है। यही नहीं इस रोड पर आठ वर्ष पहले स्ट्रीट लाइटें भी लगाई गई थीं , जोकि आज नगर कौंसिल की अनदेखी कारण मात्र शोपीस बनी हुई हैं। 20 लाख रुपये की लागत से इस मिनी बाइपास का निर्माण करने का उद्देश्य नवांशहर-रूपनगर हाईवे पर ट्रैफिक के बोझ को घटाते हुए जहां आम लोगों सहित वाहन चालकों को राहत देना था, वहीं इस बाईपास के बन जाने से लोगों का सफर भी लगभग डेढ़ किलोमीटर कम होना था। इस बाईपास की आधारशिला 24 फरवरी 2009 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने रखी थी, जबकि रेलवे लाइन के नीचे वाले हिस्से को छोड़ शेष मिनी बाइपास का निर्माण वर्ष 2010 में पूरा होने के बाद इसे ट्रैफिक के लिए खोल भी दिया गया था। यह प्रोजेक्ट पहले नगर कौंसिल के पास था, जिसे बाद में नगर सुधार ट्रस्ट को सौंपा गया। इस बाईपास के चालू हो जाने से गांव मलिकपुर साहित ख्वासपुरा, कटली, लोधीमाजरा, हुसैनपुर, लाडल, नानकपुरा, सदाब्रत कालोनी, नवां मलिकपुर, घनौली, थली, मदोमाजरा व माजरी आदि में रहने वालों को बड़ी राहत मिल रही है, क्योंकि इसके कारण जहां उनका सफर कम हुआ है, वहीं लोगों को रेलवे फाटकों से मुक्ति भी मिली थी। बावजूद इसके इस मिनी बाइपास के उपर से गुजरती रेलवे लाइन वाला हिस्सा आज तक पक्का नहीं किया जा सका है, जहां गहरे गड्ढे पड़े हुए हैं। बारिश होने के बाद इस हिस्से में पानी का तालाब बन जाता है।
.. तो 20 लाख खर्च करने का क्या फायदा मिनी बाईपास पर लोगों की सुविधा के लिए स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी, जो रिपेयर न होने के कारण पिछले लंबे समय से शोपीस बनी हुई हैं। यही नहीं इस रोड के आसपास जंगली बूटी अपना घर बना चुकी है, जिसके चलते इस रोड पर असमाजिक तत्वों का खतरा बढ़ता जा रहा है । इस बारे नॉर्दन रेलवे यूजर कमेटी के पूर्व मेंबर एवं एआईसीसी के पूर्व मेंबर रमेश गोयल ने कहा कि जिला प्रशासन को रेलवे विभाग से बात करते हुए इस समस्या का समाधान जल्द करना चाहिए । गांव महतोत के रहने वाले गुरदीप सिंह ने कहा कि मिनी बाईपास का लाभ तो बहुत है, लेकिन गड्ढों में बदल चुका 200 मीटर वाला टुकड़ा परेशानी बना हुआ है। गांव ख्वासपुरा के पूर्व सरपंच रूपिदर सिंह रूपा सहित गुरध्यान सिंह, पवन कुमार, कुलविदर सिंह गुरजीत सिंह लाडल आदि ने कहा कि अगर मिनी बाईपास का निर्माण पूरा नहीं करवाना था, तो 20 लाख रुपये खर्च करने की भी क्या जरूरत थी। जल्द होगा समस्या का समाधान: डीसी
इस बारे डीसी डॉ. सुमित जारंगल ने कहा कि मिनी बाईपास पर रेलवे लाइन के नीचे वाला जो रास्ता है, उस बारे उन्हें ज्ञात है। इस मुद्दे पर रेलवे विभाग के साथ बात चल रही है। उम्मीद है कि समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा।