एनइपी की सफलता के लिए किया मंथन
रयात बाहरा यूनिवर्सिटी ने नीति आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग के साथ एनइपी (नेशनल एजूकेशन पालिसी) लागू करने में अध्यापकों की भूमिका विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, रूपनगर : रयात बाहरा यूनिवर्सिटी ने नीति आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग के साथ एनइपी (नेशनल एजूकेशन पालिसी) लागू करने में अध्यापकों की भूमिका विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन मुख्य वक्ता डा. राघवेंद्र पी. तिवारी वाइस चांसलर केंद्रीय यूनिवर्सिटी पंजाब, बठिडा ने किया। उन्होंने कहा कि एनइपी की सफलता के लिए रिवायती शिक्षा प्रणाली पर फिर विचार करने की जरूरत है। अध्यापकों को अध्यापन क्षेत्र को एक मिशन के तौर पर समझना चाहिए। यह विद्यार्थियों की जरूरतों को पूरा करेगा । इस दौरान मुख्य मेहमान के तौर पर शिरकत कर डा. रजनीश अरोड़ा, मैनेजिग डायरेक्टर, अमृतसर कालेज आफ इंजीनियरिग और टेक्नोलाजी, अमृतसर ने आए हुए डेलिगेट्स का स्वागत किया। प्रोग्राम रयात बाहरा यूनिवर्सिटी के चांसलर गुरविदर सिंह बाहरा के नेतृत्व में करवाया गया। रयात बाहरा यूनिवर्सिटी स्कूल आफ एजुकेशन प्रमुख डा. नवनीत चोपड़ा ने मुख्य वक्ताओं का स्वागत किया। इस मौके यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डा. परविंदर सिंह ने कहा कि यूनिवर्सिटी का यह वेबिनार करवाना सम्मान वाली बात है। उन्होंने भारत को टिकाऊ विकास के रास्ते पर पहुंचाने के लिए सामूहिक यत्नों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि एनइपी 2020 के जरिये नीति और गुण की शिक्षा को लागू करने के साथ जुड़े मुददों को हल करने के लिए केंद्र और राज्य को निजी
क्षेत्र के साथ मिलकर यत्न करने के लिए आगे आना चाहिए। डा.दविदर सिंह ठाकुर व संयोजक बीएसएम पंजाब नेनीति आयोग को क्षेत्र के शैक्षिक संस्थानों में जानकारी के प्रसार के लिए बीएसएम को एक मौका देने के लिए धन्यवाद किया। अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कांतीकर ने चुनौतियों और गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली की तरह स्वीकृत करने का प्रस्ताव दिया। समागम के अंत में डीन डा. नीना मेहता ने मेहमानों का धन्यवाद किया। छात्रों को रैलियों व जागरूकता समागमों में न भेजें स्कूल प्रमुखों संवाद सहयोगी, रूपनगर: स्कूल शिक्षा विभाग पंजाब ने स्कूल प्रमुखों को निर्देश जारी किए हैं कि विद्यार्थियों को रैलियों, जागरूकता समागम व विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के करवाए जाने वाले कार्यक्रमों में न भेजा जाए। आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि बदलते मौसम में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर जहां बुरा असर पड़ सकता है, वहीं किसी को चोट आदि भी लग सकती है । कोविड 19 के चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई का पहले ही काफी नुकसान हो चुका है, इसलिए किसी सामर्थ अधिकारी की आज्ञा के बिना किसी भी विद्यार्थी को ऐसे कार्यक्रमों में न भेजा जाए। जिला शिक्षाधिकारी सीनियर सेकेंडरी राज कुमार खोसला ने कहा कि विद्यार्थियों की सालाना व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बहुत कम समय रह गया है। इन दिनों हर स्कूल में सुबह व शाम के साथ छुट्टी वाले दिन भी विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए अतिरिक्त समय दिया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई के हुए नुकसान की भरपाई हो सके। ऐसे में अगर कोई संस्था या एजेंसी अपने किसी प्रोग्राम के लिए विद्यार्थियों की पढ़ाई के समय को नष्ट करती है, तो स्कूलों में अपनाई जाने वाली सारी योजना प्रभावित होती है। इसलिए शिक्षा विभाग पंजाब ने यह सराहनीय फैसला लिया है। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन रुपिदर सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के जारी आदेश सही हैं। इनका पूरी ईमानदारी व गंभीरता से पालन होना चाहिए, ताकि मिशन शत प्रतिशत को सफल बनाया जा सके।