बाईपास पर अंधेर नगरी: 95 लाख का बिल पेंडिंग, स्ट्रीट लाइटों की बत्ती गुल
रूपनगर रूपनगर बाईपास पर रोजाना 10 से 15 हजार के बीच वाहन सरपट दौड़ते हैं और राज्य की राजधानी को मंत्री और अन्य वीपीआइपी आते हैं, पर इस बाईपास ना तो स्ट्रीट लाइटें जलती हैं और दो चौक तो ऐसे हैं जहां सिग्नल लाइटें ही बंद पड़ी हैं।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर
रूपनगर बाईपास पर रोजाना 10 से 15 हजार के बीच वाहन सरपट दौड़ते हैं और राज्य की राजधानी को मंत्री और अन्य वीपीआइपी आते हैं, पर इस बाईपास ना तो स्ट्रीट लाइटें जलती हैं और दो चौक तो ऐसे हैं जहां सिग्नल लाइटें ही बंद पड़ी हैं। तेज रफ्तार भारी वाहन खासकर लग्जरी बसें, ट्राले और अन्य वाहन तो इतनी रफ्तार पर होते हैं कि उन्हें रोकना असंभव हो जाता है। रूपनगर के एक वकील द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई जानकारी के मुताबिक एक करोड़ के आसपास बाईपास की स्ट्रीट लाइटों का बिजली का बिल बकाया है । इसके अलावा जागरण द्वारा जुटाई जानकारी के मुताबिक ना तो सिग्नल लाइटों की कंपनी को फुल पेमेंट हो पाई है और उसका रिपेयर एग्रीमेंट तक समाप्त हुए कई माह बीत गए हैं। बता दें यहां पर कि अक्टूबर 2015 में ट्रैफिक सिग्नल लाइटें लगी थी। एडवोकेट जसवंत ¨सह सैनी ने बताया कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग को साल 2017 और 2018 में जो आरटीआइ डाली और उनका जो जवाब आया वो देखकर तो ऐसा लगता है कि ना तो सरकार गंभीर है ना ही पीडब्ल्यूडी विभाग। क्योंकि सितंबर 2107 में जो स्ट्रीट लाइटों का बिजली का बिल 61 लाख 49 हजार रुपए बकाया था, वो अब अगस्त 2018 में बढ़कर 95 लाख 75 हजार हो गया है। दस महीने में बकाया बिल 34 लाख के आसपास बढ़ गया है। विभाग के सूत्रों के मुताबिक पिछले तीन सालों का ये बिल बकाया है और एक माह का बिल ही जमा हो पाया था। रूपनगर बाईपास जोकि रूपनगर पुलिस लाइन से आरंभ होकर सतलुज दरिया पार शहीद भगत ¨सह नगर के आसरों गांव को जोड़ता है, पर कुल 302 स्ट्रीट लाइटें लगी हैं तथा इनमें से 166 स्ट्रीट लाइटें बिजली बिल जमा ना होने के कारण सितंबर 2017 में बंद पड़ी थी तथा अब दस महीने में इनकी संख्या में और इजाफा हो गया है। रिपेयर का एग्रीमेंट भी खत्म आरटीआइ में पीडब्ल्यूडी विभाग के इलेक्ट्रिकल ¨वग ने जानकारी दी है कि बाईपास पर जो चौकों पर ¨सग्नल लाइटें हैं, उनकी रिपेयर का ठेका सैनीको इलेक्ट्रिकल पटियाला क पास है। तीन साल का मरम्मत का एग्रीमेंट कंपनी के साथ किया गया। मो¨रडा तथा चमकौर साहिब चौकों की सिग्नल लाइटें तकनीकी नुक्स के कारण खराब हैं। और तो और विभाग ने सिग्नल लाइटों की रिपेयर के लिए खुद कोई जहमत नहीं उठाई। एक भी रुपया इन लाइटों की रिपेयर पर खर्च नहीं किया गया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक लाइटें लगाने की कुल 19 लाख की अदायगी में से केवल 60 फीसद अदायगी ही कंपनी को हो पाई है। बाकी अदायगी के लिए फाइल सरकार के पास पें¨डग पड़ी है।
डीसी से मिलेंगे: एडवोकेट जसवंत सैनी एडवोकट जसवंत ¨सह सैनी ने कहा कि बाईपास पर ट्रैफिक सिग्नल लाइटों तथा स्ट्रीट लाइट के मुद्दे को लेकर जल्द ही वो डीसी डॉ.सुमीत जारंगल से मिलेंगे तथा सारा मामला बताएंगे। बाईपास पर होने वाले हादसे तथा मौतों के लिए जिम्मेदारी फिक्स करने की जरूरत है। क्यों बिजली बिल जमा नहीं हो रहे। क्यों सिग्नल लाइटों की रिपेयर नहीं हो रही। कोई जवाबदेही तो चाहिए ही। सरकार को लिखा गया है: एसडीओ जस¨वदर ¨सह पीडब्ल्यूडी विभाग के इलेक्ट्रिसिटी ¨वग के एसडीओ जस¨वदर ¨सह ने कहा कि विभाग का बिजली बिल का संबंधित हेड 3054 ही बंद हो गया है। इस वजह से बिलों की अदायगी नहीं हो पा रही। सरकार को बिलों की अदायगी के लिए लिखा गया है। जो ट्रैफिक सिग्नल लाइटें हैं, उसका रिपेयर का एग्रीमेंट मुकम्मल हो चुका है। इस बारे भी विभाग को लिखा जा चुका है।