तापमान कम होने से अभी तक नंगल वेटलैंड में प्रवासी प¨रदों ने जमाया है डेरा
सुभाष शर्मा, नंगल हिमालय की बर्फीली पर्वत श्रंखलाओं व दूर देशों के ठंडे इलाकों में बर्फबारी के चलत
सुभाष शर्मा, नंगल
हिमालय की बर्फीली पर्वत श्रंखलाओं व दूर देशों के ठंडे इलाकों में बर्फबारी के चलते यहां नंगल डैम की सतलुज झील में पहुंचे हजारों प्रवासी पक्षी अभी तक वापस जाने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि इस बार हो रही बारिशों के कारण मौसम ठंडा बना हुआ है। लग रहा है कि इस बार मार्च माह के अंत में प्रवासी पक्षी नंगल से वापस अपने वतन लौटेंगे। इस बार पक्षियों की आमद के बारे यदि बात की जाए तो पिछले वर्षो की तुलना में यहां शिवालिक रेंज में प्रवासी पक्षियों की आमद का ग्राफ बढ़ा है। इसका कारण नंगल डैम झील की स्वच्छता व शिकार पर लगाई पाबंदी को ही माना जा रहा है। राष्ट्रीय वेटलैंडका खिताब हासिल कर चुकी नंगल डैम झील में इस बार स्थानीय व प्रवासी पक्षियों में शिवलेर, बारहैडेडगीस, पिनटेल सिंकपार, मैलोर्ड, ग्रेलेग गूस, कूट ब्लैककूट, रैड क्रेस्टेड, पूछहड, ग्रीन बार्बट, ग्रेट कार्मेट, बीसन, अनास पेनालॉक, रुढी शैल्डक के अलावा हिमाचल के पर्वतों पर रहने वाला सुन्दर पक्षी स्टीप ईगल तथा ईजफशियन जैसे सुंदर पक्षी पहुंचे हुए हैं जो गर्मी का मौसम शुरू होते ही अपने-अपने गन्तव्यों की तरफ लौट जाएंगे। वन्य प्राणी विभाग के इंटर प्रटेशन सेंटर नंगल के प्रभारी अमृत लाल शर्मा के अनुसार अभी मौसम ठंडा है। इस लिए अभी तक यहां हजारों प्रवासी पक्षी वेटलेंड में डेरा जमाए हुए हैं। पक्षी वापस जाने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि अभी तक वातावरण उनके अनुकूल है। मौसम के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि इस बार प्रवासी पक्षी नंगल से मार्च माह के अंत में वापस लौटने शुरू हो जाएंगे।
इस बार पहुंचे 4110 प्रवासी पक्षी
इस बार गत 13 जनवरी को नंगल आए प्रवासी पक्षियों की गणना की गई थी जिसमें पक्षियों की संख्या 4110 थी। 12वें बर्ड सर्वेक्षण करने वाले संगठनों वाईल्ड लाईफ विभाग, चंडीगढ़ की एवीएन हेवीटेट सोसायटी, चंडीगढ़ वर्ड क्लब, जागृति संस्था व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के पर्यावरणविदों ने यह पाया था कि नंगल डैम के डाऊन स्ट्रीम में 1850 प्रवासी पक्षी तथा एनएफएल के ऐश पौंड नया नंगल में 150 पक्षी पहुंचे हुए थे। बर्फीले इलाकों से यहां आते हैं पक्षी
सतलुज व ब्यास नदी के संगम से बनी नंगल डैम झील की राष्ट्रीय वेटलेंड में हर वर्ष बर्फीले इलाकों रशिया, अफगानिस्तान, मंगोलिया, तिब्बत, श्रीलंका, वर्मा, साईबेरिया, चाईना आदि से अनुकूल वातावरण के मद्देनजर गर्मियां शुरू होने तक यहां प्रवास करते हैं। यह पक्षी पंजाब की वेटलेंड रोपड़, कांजली, गुरदासपुर के शालापतन में आकर अपने दिनों को सुखद वातावरण में बिताते हैं। ये पक्षी ठंड के दिनों में यहां करीब चार महीने तक प्रवास के बाद वापस अपने वतन लौट जाते हैं।