¨सथेटिक चमड़े के लिए नैनो-को¨टग की खोज
आइआइटी रूपनगर के पूर्व छात्र के देव गुरेरा ने ¨सथेटिक चमड़े के लिए एक नैनो-इंजीनिय¨रग बनावट का आविष्कार किया है, जिसमें कमल के पत्ते का गुण है। यानी उस पर पानी तथा तेल दोनों नहीं टिकेंगे।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
आइआइटी रूपनगर के पूर्व छात्र के देव गुरेरा ने ¨सथेटिक चमड़े के लिए एक नैनो-इंजीनिय¨रग बनावट का आविष्कार किया है, जिसमें कमल के पत्ते का गुण है। यानी उस पर पानी तथा तेल दोनों नहीं टिकेंगे। गुरेरा ने 2014 आइआइटी में पढ़ाई पूरी की थी। गुरेरा वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए में यांत्रिकी और अंतरिक्ष अभियांत्रिकी विभाग में स्नातक छात्र (पीएचडी) हैं। यह प्लास्टिक-आधारित ¨सथेटिक चमड़े के लिए प्रकृति से प्रेरित को¨टग है, जो पानी और तेल दोनों को पीछे छोड़ देता है। दोनों पानी और तेल को¨टग से रोल करते हैं, जो चमड़े की सतह को 70 डिग्री सेल्सियस (158 डिग्री फारेनहाइट) के तापमान तक चिपकने से रोकता है। ¨सथेटिक चमड़ा प्लास्टिक आमतौर पर पॉलीयूरेथेन (पीयू) या पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) के साथ लेपित कपड़े से बना है। पीवीसी और पीयू दोनों को फ्लैट शीटस में ढाला जा सकता है, जो इसे चमड़े की तरह बनावट देता है। इनके मार्गदर्शन में किया शोध ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भरत भूषण, ओहियो के प्रख्यात विद्वान और यांत्रिकी अभियांत्रिकी के प्राध्यापक हावर्ड डी विनबिग्लर जैसे अपने सलाहकारों के मार्गदर्शन में देव ने कृत्रिम चमड़े की सतह पर सिलिका नैनो-कणों के को¨टग को छिड़ककर एक बनावट बनाने की कोशिश की है। उन्होंने जल्दी खोज लिया कि ¨सथेटिक चमड़े में प्लास्टाइजर (जो प्लास्टिक को प्लास्टिसिटी देते हैं) ने नैनो-कणों को चिपकने से रोक दिया। खासतौर से चमड़े के दिखने वाले ग्रूव के भीतर। इसलिए उन्होंने आमतौर पर कंप्यूटर चिप निर्माण में इस्तेमाल एक पराबैंगनी प्रकाश उपचार के साथ सतह की सफाई की। नैनो-कण साफ ¨सथेटिक चमड़े पर फंस गए और एक ऊबड़ सतह बनाई। फिर शोधकर्ताओं ने एक सिलिकॉन रेसिन के साथ नैनो-कणों को सील कर दिया। को¨टग ज्यादातर पारदर्शी थी, इसलिए चमड़े की तरह बनावट अभी भी दिखाई दे रही थी।