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मुकाबला त्रिकोणीय : यहां होने वाला है रोचक दंगल

(ग्राउंड रिपोर्ट) हर तरफ तीनों उम्मीदवारों की मजबूती व कमजोरी पर हो रही है चर्चा 24अ

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 08:10 PM (IST)
मुकाबला त्रिकोणीय : यहां होने वाला है रोचक दंगल
मुकाबला त्रिकोणीय : यहां होने वाला है रोचक दंगल

(ग्राउंड रिपोर्ट)

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हर तरफ तीनों उम्मीदवारों की मजबूती व कमजोरी पर हो रही है चर्चा

24आरपीआर-02-03-04

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर

पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी रूपनगर में राजनीतिक अखाड़ा में दंगल त्रिकोणीय ही रहेगा। चुनाव प्रचार में सबसे आगे अकाली दल के डॉ.दलजीत ¨सह चीमा इलाके में विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अमरजीत ¨सह संदोआ इलाके में विकास नाममात्र होने का प्रचार कर रहे हैं। संदोआ भाषणों में अकसर कहते हैं कि इलाके में घूमते घूमते उन्हें डिस्क प्राब्लम हो गई है। उधर, कांग्रेस के युवा उम्मीदवार ब¨रदर ¨सह ढिल्लों ने टिकट घोषणा देरी से होने के कारण बेशक चुनावी मुहिम चंद दिन पहले ही छेड़ी है लेकिन ढिल्लों को युवाओं का मिल रहा समर्थन नजरंदाज नहीं किया जा सकता। ढिल्लों कहते हैं कि इलाके में जो विकास का केनवास है वो झूठा है। वहीं, ढिल्लों के विरोध में उतरे जिले के नाराज कांग्रेसी नेता एक के बाद एक ढिल्लों की चुनावी मुहिम में उतरने शुरू हो गए है। सबसे खास बात ये है कि ढिल्लों पिछले दो विधानसभा चुनावों में अकाली दल क नैया पार लगाने में अहम खैवनहार समाजसेवी एवं सर्जन.आरएस परमार को अपने कारवां में जोड़ने में सफल रहे हैं। जबकि अकाली दल के पूर्व राज्यमंत्री मास्टर तारा ¨सह लाडल और व्यापार मंडल रूपनगर के प्रधान पर¨वदरपाल ¨सह ¨बटा भी ढिल्लों को समर्थन दे चुके है। इसका इलाके खासकर रूपनगर शहर में पाजीटिव रिस्पांस देखने को मिल रहा है। उधर, डॉ.चीमा भी इसका जवाब देने के लिए नाराज पार्टी वर्करों तथा नाराज कांग्रेसियों को अपनी तरफ करने में जुटे हैं। जबकि आप उम्मीदवार संदोआ इलाके में सरकार विरोधी लहर होने का दावा करते हैं। चुनावी अखाड़े में होने वाले दंगल का नतीजा क्या निकलता है यो तो 11 मार्च को तब पता चलेगा, जब ईवीएम मशीनें बोलेंगी कि जनता किसे अपनी सर आंखों पर बिठाती है।

डॉ.चीमा की मजबूती

बड़े बादल के अति नजदीकियों में से एक।

शहरी व ग्रामीण इलाके में करवाए विकास कार्य।

डॉ.चीमा को चुनौती

नाराज टकसाली वर्करों का न मना पाना।

पिछले चुनाव में मदद करने वाले कुछ सिपहेसारों के कांग्रेस को समर्थन करना।

ब¨रदर ढिल्लों की मजबूती

सभी उम्मीदवारों में से सबसे युवा और बेबाक भाषणबाजी। धीरे धीरे वर्करों को अपने साथ जोड़ने की कला।

कांग्रेस प्रधान कैप्टन अम¨रदर व राज्यसभा सदस्य अंबिका के नजदीकी।

ढिल्लों को चुनौती

बाहरी कहकर विरोध करने वाले सभी नेताओं को साथ लेकर चलना।

कम समय में पूरे इलाके में दौरा करना।

अमरजीत संदोआ की मजबूती

इलाके के गांवों में आप की हवा।

नूरपुरबेदी इलाका जमपल होना।

संदोआ को चुनौती

एक पुराने मामले को विरोधी पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाना।

टिकट न मिलने से नाराज वर्कर कैडर को मन से साथ न चला पाना।

इतिहास

2012 डॉ.दलजीत ¨सह चीमा (शिअद)

2007 संत अजीत ¨सह (शिअद)

2002 डॉ.रमेश दत्त शर्मा (कांग्रेस)

1997 तारा ¨सह लाडल (शिअद)

1992 डॉ.रमेश दत्त शर्मा (भाजपा)

1985 तारा ¨सह लाडल (शिअद)

1980 बसंत ¨सह (कांग्रेस)

1977 माधो ¨सह (जेएनपी)

1972 ज्ञानी जैल ¨सह (कांग्रेस)

प्रचार

चुनाव आचार संहिता लगने से पहले ही डॉ.चीमा के हक में मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल रूपनगर व नूरपुरबेदी में कई दिन संगत दर्शन कर चुके हैं। आचार संहिता लगने के बाद कोई बड़ा नेता न तो डॉ.चीमा के हक में आया है न ही अभी कांग्रेसी उम्मीदवार ब¨रदर ¨सह ढिल्लों के हक में। वहीं, संदोआ के हक में आचार संहिता लागू होने के बाद दिल्ली के सीएम अर¨वद केजरीवाल, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, नेता संजय ¨सह रैलियां व बैठकें कर चुके हैं। आने वाले दिनों में ढिल्लों के हक में कांग्रेस प्रधान कैप्टन अम¨रदर ¨सह समेत नवजोत ¨सह सिद्धू के प्रचार करने आने की चर्चाएं हैं। फिलहाल इनकी तिथियां घोषित नहीं हुई हैं।

मुद्दा

पिछले विधानसभा चुनाव से पहले जो सौ फीसद सीवरेज तथा वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट का नींव पत्थर बड़े बादल ने रखा था। न तो चार लाख गैलेन की बड़ी टंकी से शहर में शुद्ध पेयजल की सप्लाई शुरू हो पाई है और न ही सीवेरज का मुकम्मल काम हो पाया है। सबसे बड़ी मांग सुविधा संपन्न बस स्टैंड देने में सरकार नाकाम रही है। पांच साल में नींव पत्थर भी रखा नहीं जा सकता। जबकि इसके लिए अनिवार्य औपचारिकताओं का लंबा चौड़ा जाल पिछले पांच सालों में बुना गया था। सोल्ड वेस्ट मैनेजमेंट की कमी इन पांच सालों में खलती रही। बेशक इलाके के शहरी व ग्रामीण इलाके में डॉ.चीमा ने ग्रांटों की झड़ी लगा दी। लेकिन शहर की शान कहे जाने वाले ¨पकाशिया टूरिस्ट कांप्लेक्स (बोट क्लब) को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई। जिसे एक प्राइवेट कंपनी को लीज पर दिया गया था और उसने इसे नेस्तानाबूत करने के बाद बीच में ही छोड़ दिया।


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