40 साल बाद खुला जनरल आत्मा सिंह लाइब्रेरी का ताला, सैनिक टेकते हैं यहांं माथा
जनरल आत्मा सिंह लाइब्रेरी का उद्घाटन 1951 में हुआ था लेकिन 80 के दशक में यह बंद हो गई। इसका फिर से ताला खुला है।
रूपनगर [अरुण कुमार पुरी]। राजनीति से जुड़े लोग अकसर शहीदों को नमन करने के साथ उनसे जुड़ी यादों की संभाल करने का संदेश तो देते रहते हैं, लेकिन खुद सत्ता में रहने के बावजूद अपने ही संदेश पर अमल करने से गुरेज करते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है साथ लगते गांव बहरामपुर जिमीदारां में सात दशक पूर्व स्वर्गीय जनरल आत्मा सिंह की याद में बनाई गई जिला बोर्ड लाइब्रेरी के साथ। हालांकि अब इसे गांव की पंचायत ने अपने स्तर पर दोबारा खोल दिया है, जिससे यहां पुस्तक प्रेमियों की रौनक लौट आई है।
पूर्व में यह लाइब्रेरी सरकारों की अनदेखी की हमेशा से शिकार रही है। गांव के पूर्व सरपंच हरविंदर सिंह कहते हैं कि इस लाइब्रेरी का उद्घाटन 24 नवंबर 1951 को जेसीओ ईस्ट पंजाब जेसी कटोच ने किया था। उस वक्त लाइब्रेरी के फाउंडर आइसीएस कमिश्नर महिंद्र सिंह रंधावा थे। उस दौरान विख्यात लेखकों व साहित्यकारों की लिखित व बच्चों के लिए इतिहास से जुड़ी किताबें यहां उपलब्ध करवाई गई थीं। सरकार ने उस समय बोर्ड के माध्यम से एक लाइब्रेरेरियन, एक सेवादार व एक माली भी उपलब्ध करवाया था।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1980 के दशक में जब जिला बोर्ड टूटा तो उसके साथ ही लाइब्रेरी भी बंद हो गई। यहां तैनात स्टाफ को सरकार ने बदल दिया। इसके बाद धीरे-धीरे इमारत खंडहर बनने लगी और उस समय की सरकार ने भी इसकी कोई सुध नहीं ली। वहीं, वर्तमान सरपंच सतनाम सिंह सोही ने बताया कि इस लाइब्रेरी को दोबारा चालू करने का बीड़ा हरविंदर सिंह के नेतृत्व वाली पिछली पंचायत ने उठाया था। उनके नेतृत्व वाली पंचायत पूर्व सरपंच के साथ मिलकर इसकी संभाल कर रही है। पूर्व सरपंच हरविंदर सिंह की मानें तो लाइब्रेरी की इमारत सड़क के किनारे है। यहां से जब भी कोई सेना को वाहन गुजरता है, तो सैनिक जनरल आत्मा सिंह का नाम देख यहां माथा टेकते हैं।
पांच लाख खर्च कर बदली नुहार
पूर्व सरपंच हरविंदर सिंह कहते हैं कि आज इसमें एक भव्य हाल, दो कमरे व यू आकार का बरामदा बना हुआ है। इसके अलावा लाइब्रेरी में तीन बड़े टेबल, 20 कुर्सियां व लगभग 200 किताबें उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं। इसके अलावा हर दिन लाइब्रेरी में पांच अखबार भी आने लगे हैं। लाइब्रेरी में इन दिनों बुजुर्गों व बच्चों ने भी आना शुरू कर दिया है।
लाइब्रेरी में लगाए गए हैं शहीदों के चित्र
सरपंच सतनाम सिंह ने बताया कि लाइब्रेरी में भारतीय थल सेना के जनरल आत्मा सिंह, 1976 में नागालैंड वार में शहादत पाने वाले शेर सिंह बाला, 1971 में अरब सागर में तबाह हुए जहाज में शहादत पाने वाले पैटी अफसर रणजीत सिंह, आजाद हिंद फौज में रहते हुए गांव को सम्मान दिलाने वाले परगट सिंह बाला का चित्र लगाया है। वहीं 1960-61 में एसजीपीसी अध्यक्ष रहे अजीत सिंह बाला, अंबाला बस सिंडीकेट के सचिव रहे बचन सिंह बाला व चेयरमैन रहे गुरशरण सिंह बाला तथा पंजाब स्टेट मोर्चा की मेंबर रही जत्थेदार करतार कौर के चित्र भी लगाए गए हैं।
पंजाबी साहित्य सभा से लगाई सहायता की गुहार
वर्तमान सरपंच सतनाम सिंह सोही के अनुसार इस वक्त लाइब्रेरी की संभाल पंचायत कर रही है। इसे हर दिन खोलने व बंद करने की जिम्मेवारी गांव के चौकीदार को सौंपी गई है, जो कि साफ सफाई का भी ध्यान रखता है।
लाइब्रेरी के लिए जनरल आत्मा सिंह के परिवार ने जहां सहयोग का भरोसा दिया है, वहीं पंचायत ने पंजाबी साहित्य सभा नई दिल्ली के चेयरमैन को भी पत्र लिखते हुए सहायता की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी अपील मानी जाती है तो लाइब्रेरी को 20 हजार किताबों सहित लाइब्रेरियन व सेवादार भी मिल सकता है। लाइब्रेरी के आगे खाली पड़ी जमीन पर पूर्व सरपंच हरविंदर सिंह से सहयोग से पार्क भी बनाया जाएगा।
जेएंडके में तैनात थे आत्मा सिंह
गांव के पूर्व सरपंच हरविंदर सिंह के अनुसार देश को आजादी मिलने के बाद जनरल आत्मा सिंह जम्मू कश्मीर में तैनात रहे। जब पाकिस्तान के साथ मिलकर कबायलियों ने देश पर हमला किया तो उनको खदेड़ने में जनरल आत्मा सिंह ने अहम भूमिका निभाई। उस वक्त जनरल ने भारत सरकार से दो दिन उनके ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करने की गुहार यह कहते हुए लगाई थी कि उनके जवान दो दिनों में मैदान जीतकर दिखाएंगे, लेकिन भारत सरकार ने आज्ञा नहीं दी। जनरल का निधन एक सड़क हादसे में हुआ था, जिसके बाद जहां सेना ने जम्मू-कश्मीर में उनकी समाधि बनाई, वहीं उनके पैतृक गांव बहरामपुर जिमींदारा में उनकी याद में जनरल आत्मा सिंह जिला लाइब्रेरी भी बनाई।
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