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चैत्र नवरात्र में मंदिर में नारियल चढ़ाने पर प्रतिबंध

हिमाचल प्रदेश के विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नयना देवी में आयोजित होने वाले चैत्र नवरात्रों के दौरान मंदिर में कड़ाह प्रसाद नारियल चढ़ाने पर प्रतिबंध रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 09:57 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 09:57 PM (IST)
चैत्र नवरात्र में मंदिर में नारियल चढ़ाने पर प्रतिबंध

संवाद सहयोगी, आनंदपुर साहिब: हिमाचल प्रदेश के विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नयना देवी में आयोजित होने वाले चैत्र नवरात्रों के दौरान मंदिर में कड़ाह प्रसाद नारियल चढ़ाने पर प्रतिबंध रहेगा। डीसी बिलासपुर रोहित जमवाल ने बताया कि पूजा- पाठ व हवन पर भी मनाही रहेगी। मेले के दौरान श्रद्धालुओं कि सुविधा हेतु पैकिग फूड की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने मेले में व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर कहा कि कोविड 19 महामारी के कारण अधिकारियों व कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं। नवरात्रों के दौरान सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। मेले के दौरान भीड़ एकत्रित नहीं होने दी जाएगी। श्रद्धालु भी कोविड 19 महामारी के इस दौर में निर्देशों का पालन करें। सोशल डिस्टेंसिग बनाए रखें और भीड़ एकत्रित न करें। जैसे-जैसे पुलिस कर्मचारी और सेक्टर मजिस्ट्रेट उन्हें दर्शनों के लिए भेजेंगे, उसी का पालन करें। जो श्रद्धालु मास्क लगाकर मंदिर में नहीं पहुंचेंगे, उन्हें जुर्माना भी किया जाएगा। डीसी ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु पीने के पानी , बिजली व सुलभ शौचालय की उचित व्यवस्था की गई है। मंदिर न्यास का उद्देश्य है कि श्रद्धालुओं को माता के दर्शनों में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस मौके उन्हें मंदिर अधिकारियों ने सम्मानित भी किया। हर किसी को भारतीय संस्कृति का ज्ञान होना जरूरी संवाद सहयोगी, रूपनगर: देश की वर्तमान पीढ़ी को पहली जनवरी से शुरू होने वाले अंग्रेजी नववर्ष का तो पता है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष किस दिन से शुरू होता है, इस बारे किसी को भी ज्ञान नहीं। यह बातें श्री सनातन धर्म सभा के प्रबंधों तले चल रहे श्री कृष्णा मंदिर गांधी चौक के मुख्य पुजारी पंडित परशुराम शास्त्री जी ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के ज्ञाता भारत को दोबारा विश्व गुरु बनाने की बात तो कर रहे है, लेकिन इसी देश में रहने वालों को अपनी संस्कृति के अनुसार नववर्ष के बारे जानकारी न होना बड़ा शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि ऐसा परिवारों में बढ़ती दूरियों व संस्कारों के प्रसार के अभाव इसका कारण है, जोकि बड़ी चिता का विषय है। घर के बुजुर्गों को तथा भारतीय संस्कृति का ज्ञान रखने वालों को पहल करते हुए लोगों को अपनी संस्कृति के बारे समय समय पर अवगत करवाते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष एवं नव संवत 2078 का आगाज कल से होने जा रहा है। नव संवत चैत्र माह में होने वाले नवरात्र के पहले नवरात्र से ही माना जाता है। इसी दिन सतयुग शुरू हुआ था व इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसके अलावा इसी दिन को सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने चिरस्थायी बनाने के लिए विक्रमी संवत प्रारभ किया था। नव वर्ष के आगमन एवं नवरात्रों के दौरान पांच देवताओं श्री गणेश जी महाराज सहित श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी महाराज तथा माता दुर्गा जी की पूजा ब्राह्मणों से करवानी चाहिए। उधर नव संवत के आगमन पर श्री सनातन धर्म सभा के वित्तीय सचिव मुकेश महाजन ने पूरे समाज से अपील की है कि 13 अप्रैल को नए संवत का स्वागत पूरे हर्षोल्लास के साथ किया जाए। सुबह पूजा अर्चना करते हुए अपने घरों पर भगवा ध्वज फहराकर भगवान का भजन करें। जिस दिन लोग भारतीय संस्कृति को अपना लेंगे, उसी दिन भारत विश्व गुरु बन जाएगा।

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