सस्कौर व अबियाणा खुर्द पंचायत में प्रबंधक लगाने के आदेश रद
नूरपुरबेदी क्षेत्र के दो गांवों की पंचायतों को भंग करके विकास करने के नाम पर प्रबंधक लगाने का है।
संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी
गांव के विकास के लिए लोगों द्वारा चुनी गई पंचायतों को पंजाब पंचायती राज्य एक्ट 1994 में विशेष अधिकार दिए गए हैं, लेकिन कई बार अधिकारियों की धक्केशाही और सियासी रंजिश के कारण गांव की पंचायतों को विकास कार्य करने के बजाय प्रबंधक लगाकर लोकतंत्र का कत्ल किया जाता है। बावजूद इसके देश की निष्पक्ष न्यायपालिका ऐसे मामलों में अपनी बनती भूमिका अदाकर रही हैं। ऐसा ही एक मामला नूरपुरबेदी क्षेत्र के दो गांवों की पंचायतों को भंग करके विकास करने के नाम पर प्रबंधक लगाने का है। जानकारी अनुसार ब्लॉक विकास और पंचायत अफसर नूरपुरबेदी ने 24 जुलाई 2019 को पंजाब राज्य पंचायती एक्ट 994 की धारा 200(1) तहत सस्कौर व अबियाणा खुर्द में पंचायतें होने के बावजूद प्रबंधक नियुक्त कर दिया। बीडीपीओ नूरपुरबेदी ने दोनों गांवों में प्रबंधक लगाने के आदेश जारी किए थे। इस पर ग्राम पंचायत सस्कौर की सरपंच मनजीत कौर पत्नी बलराज सिंह सस्कौर ने भारतीय संविधान की धारा 226/227 के तहत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की थी। अदालत में सिविल रिट पटीशन नंबर 23558 ऑफ 2019 में पंजाब पंचायती राज्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर संजीव गर्ग ने पेश होकर अदालत को बताया कि ग्राम पंचायतों में प्रबंधक किन हालतों में लगाया जाता है। उनके द्वारा दिए बयान के अनुसार बताया गया कि पंजाब राज्य पंचायती एक्ट 1994 की धारा 200 के अनुसार अगर किसी ग्राम पंचायत का पंच बिना किसी ठोस कारण से पंचायत की दो लगातार बैठकों में गैरहाजिर रहता है, तो उसको धारा 20 (1) डी अनुसार सस्पेंड किया जा सकता है। वहीं सरपंच द्वारा बुलाई गई बैठक में कोई पंच संबंधित विकास के एजेंडे से बिना किसी ठोस के कारण के सहमत नहीं होता, तो उसको धारा 20(1) ई या एफ अनुसार सस्पेंड किया जा सकता है। उन्होंने अदालत को बताया कि अगर पंचायत की बैठक किसी प्रस्ताव के पास होने में बराबर वोटें हों , तो ऐसे हालातों में सरपंच एक्ट की धारा 24(3) अनुसार अपनी कास्टिग वोट का इस्तेमाल कर सकता है। डिप्टी डायरेक्टर अनुसार अगर कोरम पूरा होने के बावजूद सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवाता, तो डीडीपीओ उसको नोटिस देता है। इन सभी दलीलों को कोर्ट ने गलत ठहराते हुए दोनों गांवों में प्रबंधक लगाने के फैसले को रद कर दिया। कोर्ट ने डीडीपीओ रूपनगर द्वारा बीडीपीओ नूरपुरबेदी को अपने आदेश नंबर-3730 तहत दोनों गांव में प्रबंधक लगाने के आदेश को रद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने बीडीपीओ नूरपुरबेदी को यह भी हिदायत दी कि भविष्य में किसी भी गांव में प्रबंधक लगाने के लिए हाईकोर्ट के आदेशों की पालना की जाए। अधिकारियों के खिलाफ अदालत को करनी चाहिए कार्रवाई
वहीं लोगों का कहना है कि लोगों द्वारा चुनी गई पंचायत को एक तरफ करके गलत ढंग से प्रबंधक लगाने के आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी अदालत को कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि जब किसी भी अधिकारी द्वारा नियमों को ताक में रखकर ऐसे आदेश दिए जाते हैं, तो पीड़ित पक्ष को बड़ी रकम खर्च के अदालत का सहारा लेना पड़ता है, जिसके लिए आरोपित अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाना बनता है, ताकि भविष्य में कभी भी गांव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के भंग न किया जाए। पंजाब में ऐसा व्यवहार अक्सर देखने को मिलता है कि पंचायतों को किसी न किसी बहाने निशाना बनाया जाता है, जिसके साथ संविधान में दिए अधिकारों का हनन होता होता है।