Move to Jagran APP

रेवेन्यू के बढ़े लक्ष्य और नौ माह के ठेकों के लिए रिस्क लेने को तैयार नहीं ठेकेदार

शराब के कारोबारियों को आप सरकार की शराब नीति रास नहीं आ रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 12:09 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 12:09 AM (IST)
रेवेन्यू के बढ़े लक्ष्य और नौ माह के ठेकों के लिए रिस्क लेने को तैयार नहीं ठेकेदार
रेवेन्यू के बढ़े लक्ष्य और नौ माह के ठेकों के लिए रिस्क लेने को तैयार नहीं ठेकेदार

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर : शराब के कारोबारियों को आप सरकार की शराब नीति रास नहीं आ रही है। स्थानीय ठेकेदारों ने ठेके के लिए ई-टेंडरिग में हिस्सा नहीं लिया है। ऐसे में बाहर के ठेकेदार यहां टेंडर भरकर मनमर्जी के दाम वसूल सकते हैं। फिलहाल जिले में शराब के ठेकों की ई-टेंडरिग का काम लगातार लटक रहा है। जिले में शराब के छोटे ग्रुपों (सर्किल) को तोड़कर बड़े ग्रुप बना दिए गए हैं। जिले के ठेकों से रेवेन्यू 30 से 40 फीसद तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। पहले सात आठ ठेकों का एक ग्रुप (सर्किल) होता था, लेकिन इस बार 34-35 ठेकों का ग्रुप बना दिया गया है। ऐसा करने के बाद जिले में मात्र पांच ही ग्रुप बने हैं। इनमें रूपनगर-एक, रूपनगर-दो, नंगल-एक, नंगल-दो और मोरिडा शामिल हैं। ठेकेदार इतने बड़े ग्रुप लेने से गुरेज कर रहे हैं। यही नहीं, इस बार पर्चियों के जरिए नहीं बल्कि ई-टेंडरिग के माध्यम से नीलामी होनी है। अब साल के नौ माह बचे हैं तो ठेकेदार नई शराब नीति को लेकर खौफ में हैं। ठेकेदार किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते। क्या शराब महंगी होगी

loksabha election banner

हाल ही में जिस तरह चर्चाएं उड़ रही थीं कि शराब सस्ती हो जाएगी, उससे ठेकेदारों में माह की शुरूआत में ही दाम कम करके स्टाक क्लीयर करने की होड़ लग गई थी। अब चर्चा ये उड़ ही है कि अगर स्थानीय ठेकेदारों ने ई-टेंडरिग में हिस्सा नहीं लिया तो बाहर से ठेकेदार आएंगे या लाए जाएंगे। बाहरी ठेकेदार महंगे ठेके भरेंगे और शराब की मनमर्जी के दाम पर ही बिक्री करेंगे। क्योंकि शराब के न्यूनतम दाम ही सरकार द्वारा तय किए जाते रहे हैं। इस बार भी नई शराब नीति में अंग्रेजी शराब के न्यूतनम दामों को निर्धारित नहीं किया गया है। इसलिए ठेकेदार भाग रहे हैं नई पालिसी से

जिला रूपनगर में पहले शराब के ठेकों के लिए सर्किल बनाकर पर्चियां डाली जाती रही हैं। प्रत्येक पर्ची का दाम हजारों में होता था। नए सिस्टम के तहत एक ग्रुप में 35 तक ठेके हैं, जिनकी ई-टेंडरिग की जरिए नीलामी होगी। एक ग्रुप 35 करोड़ रुपये का होगा। एक टेंडर निकलने पर ठेकेदार को पहले पांच से आठ करोड़ रुपये एक हफ्ते में अदा करने होंगे। जबकि पहली नीति के तहत एक हफ्ते में डेढ़ दो करोड़ रुपये अदा करने होते थे। हर रोज 13 लाख कैसे जमा करवाएंगे: ठेकेदार

एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नई पालिसी के तहत टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदार को नौ माह अनुमानित 272 दिन में हर रोज 13 लाख रुपये जमा करवाने होंगे। तभी 35 करोड़ रुपये कवर हो पाएंगे। जबकि न तो इतनी ठेकों की सेल है और न ही बाकी खर्चे माल खरीदने समेत ढांचा और मुलाजिमों का वेतन व अन्य खर्चे निकल पाएंगे। इस बार टेंडर निकलते ही 17 फीसद राशि मांगी गई थी और उसे एडजस्ट करने की प्रक्रिया भी लंबी है। इससे ठेकेदार को घाटा ही होगा। एल वन तोड़ने से नाखुश हैं ठेकेदार

ठेकेदारों में इस बात को लेकर भी रोष है कि अब एल वन को खत्म करके सुपर एल वन बना दिए गए हैं। पहले एल वन चलाने वाली पुरानी कंपनी से ठेकेदार उधार भी कर लेते थे, लेकिन अब सुपर एल वन वाली नई फर्म न तो उधार करेगी न ही कोई छूट देगी। नई नीति को लेकर नहीं दिखा रहे उत्साह ठेकेदार

एक्साइज विभाग रूपनगर के इंसपेक्टर मनप्रीत सिंह ने कहा कि शराब नीति के तहत 34-35 ठेकों के ग्रुप बनाकर ई टेंडरिग की जा रही है। ठेकेदार इस बार की नीति को लेकर उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। ई-टेडरिग की तारीख बढ़ाने के अधिकार उच्चाधिकारियों के पास हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.