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टप्परियां घड़ीसपुर में चार पक्षों में मुकाबला

पंचायत चुनाव को लेकर चुनाव मैदान पूरी तरह से गर्माया हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 12:34 AM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 12:34 AM (IST)
टप्परियां घड़ीसपुर में चार पक्षों में मुकाबला
टप्परियां घड़ीसपुर में चार पक्षों में मुकाबला

जागरण संवाददाता, रूपनगर : पंचायत चुनाव को लेकर चुनाव मैदान पूरी तरह से गर्माया हुआ है। इस गर्माए चुनाव मुकाबलों के दौरान रूपनगर के निकटवर्ती गांव टप्परियां घड़ीसपुर में पंचायत के चुनाव को लेकर चार पक्षों में मुकाबला चलता नजर आ रहा है। इनमें से मुख्य मुकाबला कांग्रेसी नेता एवं कर्मचारी नेता सुखदेव ¨सह सुरतापुरी और अकाली दल के नेता निर्मल ¨सह रंगा के बीच में है।

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उल्लेखनीय है कि सुखदेव ¨सह सुरतापुरी मिन्नी सचिवालय की कर्मचारी जत्थेबंदी के जिला प्रधान के रूप में कर्मचारियों की मांगों के प्रति जिम्मेदारी निभाते आ रहे हैं। इसके अलावा सुरतापुरी गरीब लड़कियों के विवाह समागमों में भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं, जबकि अब गांव के विकास के मुख्य मुद्दे के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। उधर अकाली नेता और पूर्व सरपंच निर्मल ¨सह रंगा भी अकाली दल की ओर से पिछली सरकार के समय करवाए गए विकास कार्यों को मुख्य मुद्दा बनाकर लोगों से वोटों की मांग कर रहे हैं। निर्मल ¨सह रंगा ने ब्लॉक समिति के चुनाव में भी हिस्सा लिया था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव मुकाबलों को लेकर दोनों ही उम्मीदवारों का राजनैतिक भविष्य भी दाव पर लगा हुआ है। इस पंचायत के अधीन 60 एकड़ जमीन आती है जबकि पंचायत के कार्यों को लेकर पिछले काफी समय से विवाद ही चलता आ रहा है। जिसके संबंध में एक शिकायत को लेकर विजीलेंस विभाग जांच कर रहा है। विजीलेंस विभाग की यह जांच भी इस समय मतदान में मुख्य मुद्दा बनी हुई है। इसके अलावा इस चुनाव मैदान में निर्मल ¨सह सुरतापुर और गुरपाल ¨सह भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

सुखदेव ¨सह सुरतापुरी ने बताया कि आरटीआइ के अंतर्गत ली गई जानकारी के अनुसार पिछले दिनों पंचायत को 65 लाख रुपए गांव की आमदन के रूप में आए हैं। जबकि सरकार की ओर से भी 18 लाख रुपए अलग अलग विकास कार्यों के लिए आए। यह राशि गांव के विकास कार्यों के लिए ठीक तरीकों के से नहीं खर्च की गई। जिसके कारण गांव के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाएं न मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गांव में पेयजल की बड़ी समस्या का हल न होने के चलते गांववासी दूसरे गांवों से पेयजल लाकर गुजारा चला रहे हैं।


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