लॉकडाउन में खत्म हुआ फूल व प्रसाद का कारोबार
मार्च माह से बंद पड़े मंदिर व अन्य धार्मिक स्थल अब आठ मई से खुलने तो जा रहे हैं लेकिन अभी उन लोगों की मुश्किलें कम होने की उम्मीद नहीं है
संवाद सहयोगी, रूपनगर : मार्च माह से बंद पड़े मंदिर व अन्य धार्मिक स्थल अब आठ मई से खुलने तो जा रहे हैं लेकिन अभी उन लोगों की मुश्किलें कम होने की उम्मीद नहीं है जिनकी रोजी-रोटी मंदिरों से चलती है, क्योंकि मंदिर तो खुलेंगे लेकिन उनमें न प्रसाद रूप में कुछ चढ़ाया जा सकेगा तथा न ही वहां फूल चढ़ाए जा सकेंगे। हालांकि श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों का खुलना खुशी की बात है लेकिन मंदिरों के बाहर बैठे फूल व हार बेचने वालों सहित प्रसाद के रूप में कोई मिष्ठान बेचने वाले मायूस हैं।
रूपनगर के विख्यात एवं ऐतिहासिक श्री लहरी शाह मंदिर के बाहर फूल बेचने वाले गुरप्रीत फ्लावर हाउस के राजेश कुमार ने कहा कि कोरोना ने कारोबार चौपट करके रख दिया है। मंदिरों के खुलने से उम्मीद थी कि उनका कारोबार फिर से यौवन पर आएगा लेकिन सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी ने हर फूल विक्रेता को मायूस करके रख दिया है। कर्फ्यू से पहले हर दिन वे अपनी मेहनत से पांच-छह सौ रुपया कमाई कर लेते थे जोकि अब फिलहाल पूरी तरह से ठप्प पड़ी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि अगर धार्मिक स्थल खोले जा रहे हैं तो उनके कारोबार बारे भी सोचा जाए।
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तीन मंदिरों के बाहर प्रसाद का काम करने वाले लक्ष्मी साईं स्वीट्स के दिनेश कुमार ने बताया कि जनता कर्फ्यू के बाद लगाए गए कर्फ्यू दुकानदारों को माल खराब हो जाने के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा है। अकेले उन्हें लगभग दो-ढाई लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है जबकि इसके बाद कारोबार तो बंद रहा लेकिन आठ कारीगरों की रोटी का इंतजाम तो हर दिन करना ही पड़ा है और वेतन भी देना पड़ा है। अब मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों के खुलने की उम्मीद से उनके दिन फिरने की उम्मीद जगी थी लेकिन सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी में प्रसाद चढ़ने पर लगाई गई रोक ने उन जैसे हर दुकानदार को मायूस करके रख दिया है। उनके अनुसार कर्फ्यू से पहले उनकी दुकान पर रोजाना दस से बारह हजार की बिक्री हुआ करती थी जो फिलहाल पूरी तरह से ठप्प पड़ी है।