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बसपा को याद आई पार्टी के संस्थापक की याद, ख्वासपुरा में मनाएंगे जन्मदिन

बसपा पंजाब बाबू कांशीराम के जन्मदिन पर 15 मार्च पर उनके गांव ख्वासपुरा में राज्य स्तरीय रैली करवा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 06:16 AM (IST)
बसपा को याद आई पार्टी के संस्थापक की याद, ख्वासपुरा में मनाएंगे जन्मदिन
बसपा को याद आई पार्टी के संस्थापक की याद, ख्वासपुरा में मनाएंगे जन्मदिन

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर: बहुजन समाज हमेशा से ही सियासी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण रहा है। यह कहने में भी कोई अतिकथनी नहीं होगी कि बसपा संस्थापक बाबू कांशीराम की पार्टी का वोट बैंक सियासी समीकरणों को बदलने के लिए सियासी पार्टियां इस्तेमाल करती आई हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में नाममात्र वोट प्रतिशत हासिल करने वाली बसपा को अब अपनी पार्टी के संस्थापक की याद आ गई है। बसपा पंजाब बाबू कांशीराम के जन्मदिन पर 15 मार्च पर उनके गांव ख्वासपुरा में राज्य स्तरीय रैली करवा रही है। हालांकि प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के डर से जहां सभी शिक्षण संस्थानों को 31 मार्च तक बंद कर दिया है, वहीं रैलियों और अन्य सरकारी समारोहों पर भी रोक लगा दी है। इसके बावजूद बसपा रैली को करने जा रही है। इस बारे में बसपा के पंजाब प्रदेश प्रधान जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि बाबू कांशूराम के जन्मदिन समारोह को वह सार्वजनिक स्थल पर नहीं मना रहे हैं। इसे हम उनके पैतृक गांव में मना रहे हैं। उनके पास इसकी मंजूरी भी रही बात एकत्रीकरण करने की, तो उन्हें सरकार से ऐसे आदेश के बारे में जानकारी नहीं है। वहीं बसपा के नेताओं ने बाबू कांशीराम के जन्म स्थान उनके नानके गांव (जहां उनका जन्म हुआ) पिरथीपुर बूंगा में बाबू के मंदिर में होने वाले वार्षिक समारोह को लेकर यह एतराज जताया था कि समारोह में बसपा के अलावा अन्य पार्टियों को भी शामिल होने दिया जाता है, इसलिए ऐसा न किया जाए। इस पर कांशीराम की बहन स्वर्ण कौर ने किसी भी पार्टी के नेताओं को शामिल होने से रोकने पर हामी नहीं भरी, जिसके बाद बसपा ने बाबू कांशीराम के गांव ख्वासपुरा में उनके जन्मदिवस पर राज्य स्तरीय रैली रखी। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को यूपी के अलावा किसी राज्य में एक भी सीट नहीं मिली और अंतिम विधानसभा चुनावों में राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी दो-दो विधायक ही बने हैं।

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देहांत के बाद गांव में पहली बार हो रही रैली अहम बात यह भी है कि बाबू कांशीराम के देहांत के बाद से लेकर अब तक बसपा ने उनके गांव में कोई प्रोग्राम नहीं किया। बाबू कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को हुआ था और देहांत आठ अक्टूबर 2006 को हुआ था। तब से लेकर आज तक पंजाब में उनके जन्मदिन पर कोई बड़ा प्रोग्राम पार्टी ने नहीं किया है। दूसरे वर्ग से नहीं, अपने वर्ग से खतरा: अमरीक बाबू कांशीराम के चाचा के बेटे और दिहाड़ीदार अमरीक सिंह ख्वासपुरा ने कहा कि बाबू कांशीराम परिवारवाद से गुरेज करते थे। एससी वर्ग के लिए सियासी पार्टियां कंपनियों का रूप ले चुकी हैं। आज बहुजन समाज को दूसरे वर्गों से नहीं, बल्कि अपने ही वर्ग से ही खतरा है। कुछेक लोग आरक्षण का लाभ लेकर दूसरे समाज को बेवकूफ बना रहे हैं। इस वर्ग के लिए असलियत में कोई काम नहीं कर रहा। केवल इमारतें बनाकर एससी वर्ग की भलाई के दावे खोखले हैं।

शुक्रवार तक रैली के लिए कोई मंजूरी नहीं ली: डीसी बबलानी उधर रूपनगर के कार्यकारी डीसी रहे विनय बबलानी ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को चार्ज छोड़ दिया है, क्योंकि डीसी सोनाली गिरि की ट्रेनिग शुक्रवार को पूरी हो गई है। शुक्रवार तक उनके ध्यान में ऐसी कोई रैली या एकत्रीकरण के लिए मंजूरी लेने के लिए अर्जी नहीं आई थी। वहीं जब इस बारे में डीसी सोनाली गिरि से बात करने की कोशिश की गई, तो हर बार उनका मोबाइल बंद मिला।


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