बुधकी नदी में आई बाढ़ सरकारी लापरवाही का परिणाम
यह सफाई देना बिलकुल गलत है कि दरिया सतलुज में अधिक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का पानी दरिया में नहीं जा सका।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
गांव खैराबाद के पास 18 अगस्त को बुधकी नदी का पानी बांध को तोड़कर बड़ा-छोटा फूल, रेडूआणा, गुरदासपुरा आदि गांवों में तबाही मचाते हुए दरिया सतलुज में पहुंच गया था। गांव मे हुई तबाही का तो मुख्यमंत्री खुद आकर जायजा ले चुके हैं, पर यह कोई कुदरती आपदा नहीं है, बल्कि सरकारी आफत है, जोकि संबंधित विभागों की ओर से बरती गई लापरवाही का परिणाम है। यह बातें आम आदमी पार्टी के नेता सुरिदर सिंह, बलविदर सैनी, बलराज शर्मा, सर्बजीत सिंह हुंदल, रणजीत सिंह पतियालां, बलविदर सिंह गिल आदि ने कहीं। सभी ने कहा कि कई सालों से कुदरती रास्ते से यह नदी दरिया सतुलज में आसानी से मिलती रही है, लेकिन अब यह बांध टूटने वाली जगह से सतलुज दरिया के किनारे तक सात किलोमीटर के रास्ते पर पड़ती नदी के बीच 1,400 के करीब पेड़ जंगल का रूप धारण कर चुके हैं। पेड़ों की मोटाई जोकि 40 इंच है । 20 वर्ष पहले इस नदी में से क्षेत्र के जरूरतमंद लोग अकसर मिट्टी उठाते रहते थे, जिससे नदी की गहराई बरकरार रहती थी, लेकिन अब नदी अपने वास्तविक तल से दस से 15 फीट तक ऊंची हो चुकी है, जिससे पानी के बहाव में रुकावट आ रही है। आप के जिला मीडिया इंचार्ज रणजीत सिंह पतियालां ने कहा कि सरकारी तंत्र की ओर से यह सफाई देना बिलकुल गलत है कि दरिया सतलुज में अधिक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का पानी दरिया में नहीं जा सका। वास्तविक तथ्य यह है कि 26 सितंबर 1988 को हेड वर्क्स रूपनगर से पांच लाख क्यूसिक पानी दरिया सतलुज में छोड़ा जा गया था।