इलाज के बहाने जेल से बाहर गए पूर्व सब इंसपेक्टर ने घर में किया आराम
हत्यारोपित एक पूर्व सब इंसपेक्टर ने इलाज के बहाने जेल से बाहर आकर घर जाकर आराम किया।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
पुलिस मुलाजिम परमजीत सिंह की हत्या मामले में 26 साल बाद जिला जेल में बंद 10 पूर्व पुलिस अफसरों व मुलाजिमों में से एक पूर्व सब इंसपेक्टर स्वास्थ्य चेकअप के बहाने चंडीगढ़ अपने घर पर जाकर लुत्फ लेते पाया गया। पीजीआइ चंडीगढ़ और सेक्टर 32 अस्पताल चंडीगढ़ के लिए जिला जेल से छह आरोपितों से साथ निकला पूर्व सब इंसपेक्टर संतोख सिंह अपनी निजी गाड़ी में चंडीगढ़ घूमता रहा और फिर अपने घर जाकर आराम किया। फिर सायं उसी कार में बैठकर जिला जेल पहुंच गया, जबकि उसे जिला पुलिस की गारद के साथ जिला जेल प्रबंधन ने पीजीआइ चंडीगढ़ चमड़ी रोग विशेषज्ञ के पास भेजा था। उसके साथ वीडियो क्लिप में गारद का एक मुलाजिम ही दिखाई दे रहा है। वे वाक्या मंगलवार का है। पूर्व सब इंसपेक्टर संतोख सिंह के अपने घर से निकलने और अपने परिवार के सदस्यों में छोटे बच्चे को दुलारते हुए और निजी कार में बैठने और फिर जिला जेल में जाने के लिए अपनी निजी कार से उतरकर जाने की एक वीडियो क्लिप मृतक कांस्टेबल परमजीत सिंह के भाई ने बनाई है। उधर, मामले की जानकारी मिलने के बाद जिला जेल प्रबंधन ने एसएसपी रूपनगर को इस घटना के बारे लिखते हुए जांच के लिए कहा है। साथ ही जेल प्रबंधन ने अपने उच्चाधिकारियों के ध्यान में ये मामला ला दिया है। उधर, वीडियो क्लिप बनाने वाले मृतक कांस्टेबल परमजीत सिंह के भाई रणधीर सिंह ने मुख्यमंत्री पंजाब समेत जेल मंत्री, डीजीपी पंजाब, एडीजीपी जेल आदि को ईमेल के जरिये भी शिकायत कर दी है। वीआइपी ट्रीटमेंट दे रही है पुलिस रणधीर सिंह ने बताया कि उन्हें पहले ही सूचनाएं मिल रही थीं कि पूर्व पुलिस अधिकारियों को जेल में वीआइपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। उन्हें जेल के बाहर भेजा जा रहा है और वो अपने परिवारों से घर जाकर मिल रहे हैं। इसके बाद उन्होंने फिर सूचना रखनी शुरू की। मंगलवार को पूर्व सब इंसपेक्टर संतोख सिंह जिला जेल से निकला, तो आगे अपनी निजी इनोवा गाड़ी (पीबी65डब्ल्यू7689) में सवार हो गया। उसके साथ गारद का एक मुलाजिम था। रणधीर सिंह ने आरोप लगाया कि जेल में बंद आरोपित उन पर दबाव बना रहे हैं कि वो अपना केस वापस ले लें। पुलिस अधिकारी भी कथित तौर पर उन्हें बुलाकर दबाव डाल रहे हैं।
पूर्व पुलिस अफसरों पर परमजीत सिंह के एंकाउंटर का है आरोप पूर्व कांस्टेबल परमजीत सिंह के भाई एवं वीडियो क्लिप बनाने वाले रणधीर सिंह ने बताया कि नौ जुलाई 1993 की शाम उसके भाई कांस्टेबल परमजीत सिंह को महिदर कौर के गांव में पुलिस पार्टी ने गोलियां मारकर मार दिया था। तब उसका भाई ख्वासपुरा के भाग सिंह की पांच हजार रुपये की राशि महिदर कौर से लेने अकेला गया था। पांच हजार रुपये की राशि महिदर कौर ने भाग सिंह को नौकर ढूंढकर देने के लिए ली थी, लेकिन नौकर न ढूंढकर देने पर भाग सिंह ने अपनी राशि वापस मांग ली थी। बाद में तलाशी के दौरान उसका पहचान पत्र देखकर पुलिस को पता चला कि परमजीत सिंह मुलाजिम है। इसके बाद पुलिस ने मामले को आतंकियों के साथ मुठभेड़ का बना दिया था और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर नंबर-32 (1993) में दर्ज की थी। इस मामले में रूपनगर की अदालत ने 30 मार्च 2019 को आरोपित तत्कालीन एसएसचओ हरपाल सिंह (सेवानिवृत्त एसपी) समेत तत्कालीन एएसआइ संतोख सिंह, गुरनाम सिंह तत्कालीन एएसआइ बेला चौकी, इकबाल मुहम्मद तत्कालीन हेड कांस्टेबल, मोहिदर सिंह तत्कालीन कांस्टेबल, सुखविदर लाल तत्कालीन कांस्टेबल, परमेल सिंह तत्कालीन कांस्टेबल, रजिदर सिंह तत्कालीन कांस्टेबल, जसविदर सिंह तत्कालीन कांस्टेबल, मोहिदर कौर पर हत्या मामले में चार्ज फ्रेम किए गए थे। इनमें से इकबाल मुहम्मद महिदर सिंह और जसविदर सिंह अभी भी पुलिस सर्विस में हैं। परमजीत सिंह के दादा दलजीत सिंह पहले पोते की मौत के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए लड़ रहे थे। 2002 में अदालत ने मामले में 304बी और गैर इरातन हत्या की धारा शामिल कर दी थी। दादा दलजीत सिंह की मौत के बाद परमजीत सिंह का भाई रणधीर सिंह मामले की पैरवी कर रहा है। चार जुलाई को जमानत याचिका पर सुनवाई उल्लेखनीय है कि रूपनगर के अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज रवदीप सिंह हुंदल द्वारा पूर्व एसपी हरपाल सिंह संधू समेत बाकी 11 आरोपितों पर आरोप तय करने के बाद सभी आरोपितों ने हाईकोर्ट की शरण ले ली थी। हाईकोर्ट ने 29 जुलाई तक रूपनगर कोर्ट को अदालती कार्रवाई पर रोक लगाने की हिदायत दी हुई है, जबकि चार जुलाई को आरोपितों की हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है।
एसएसपी को लिखा है कार्रवाई के लिए रूपनगर जिला जेल के एसपी अमरीक सिंह टिब्बी ने कहा कि उनके ध्यान में मामला मंगलवार को ही आ गया था और उन्होंने लिखित में कार्रवाई के लिए एसएसपी रूपनगर को सूचना दे दी है। इस मामले में जेल विभाग के उच्चाधिकारियों को भी सूचित कर दिया है। हम तो हवालाती को पुलिस गारद के हवाले कर देते हैं। हमारी जिम्मेदारी जेल के भीतर होती है।