खाना ऐसा लजीजी कि आप अंगुलियां चाटते रह जाओगे
आनंदपुर साहिब लंगर को देखकर आप दंग रह जाएंगे। लंगर में पंगत में बैठकर खाने से ऐसा लगेगा कि आप रेस्टोरेंट में बैठे लजीज व्यंजन खा रहे हों। गुरदासपुर के दीनानगर के गांव बाड़ा से नरिदर सिंह बाड़ा 1999 में श्री आनंदपुर साहिब मे लंगर लगाने के लिए आए थे व उनके बाद हरेक साल होला महल्ला में संगत लंगर लगाने के लिए अपनी 600 लोगों की सेवा ब्रिगेड लेकर पहुंचते हैं।
बीएस लोदीपुर, आनंदपुर साहिब
लंगर को देखकर आप दंग रह जाएंगे। लंगर में पंगत में बैठकर खाने से ऐसा लगेगा कि आप रेस्टोरेंट में बैठे लजीज व्यंजन खा रहे हों। गुरदासपुर के दीनानगर के गांव बाड़ा से नरिदर सिंह बाड़ा 1999 में श्री आनंदपुर साहिब मे लंगर लगाने के लिए आए थे व उनके बाद हरेक साल होला महल्ला में संगत लंगर लगाने के लिए अपनी 600 लोगों की सेवा ब्रिगेड लेकर पहुंचते हैं। ब्रिगेड में बाड़ा समेत आसपास के गांवों की संगत शामिल होती है। तख्त साहिब में पानी की टंकी के निकट लगाए जाने वाले इस लंगर में सुबह चने भटूरे परोसे जाते हैं। दोपहर को खाने में डिश अलग होती है। यही नहीं, अकादमी के विद्यार्थी दो शिफ्टों में लंगर बरताने की सेवा करते हैं। आनंदपुर साहिब खालसा अकादमी कपूरथला के 150 विद्यार्थी महल्ला दौरान आए हुए हैं तथा वे अपनी अकादमी की ड्रेस में लंगर बरताते हरेक का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। बाबा श्री चंद जी सेवा सोसायटी के नुमाइंदे नरिदर सिंह बाड़ा ने बताया कि वो पहले समाजसेवा के अपने इलाके में काम किया करते थे। लड़कियों की शादी करवाना, जरूरतमंद की मदद करना आदि का काम करते थे। सोलह साल पहले उन्होंने होला महल्ला में लंगर लगाने का विचार किया। पहले साल चाय तथा मट्ठी आदि का लंगर लगाया। फिर दूसरे साल से पूरा लंगर लगाना आरंभ कर दिया। देसी घी से बनता है लंगर बाड़ा की संगत की ओर से लगाए गए लंगर का एक विशेष मीनू भी तैयार किया है जिसमें तीन दिन मेले के अलग अलग पकवान लिखे हुए हैं। ये सारा लंगर देसी घी के साथ बनाया जाता है व शाम को तीन बजे से पांच बजे तक केसर बादाम का दूध संगत को पिलाया जाता है। महल्ला पर बनेंगे अति विशेष व्यंजन नरिदर सिंह बाड़ा बताते हैं कि लंगर तीन दिन चलता है तथा महल्ला वाले दिन लंगर में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। शुक्रवार को महल्ले वाले दिन सुबह पांच बजे चाय के साथ ब्रेड पकौड़े, समोसा, गुलाब जामुन परोसे जाएंगे। जेलबियां तो पूरे लंगर के दौरान बरताई जाती हैं। नाश्ते में अमृतसरी नान, भटुरे, दहीं भल्ला और गुलाब जामुन बरताई जाएगी। दोपहर में शाही पनीर, राजमाह, दही तथा खीर बरताई जाएगी। इस बार कुल्फी का लंगर भी लगाया जाएगा। नरिदर सिंह बाड़ा ने बताया कि वो लंगर के लिए सेवा के लिए किसी के पास जाते नहीं हैं। लोग खुद सेवा देते हैं। सोसायटी के लंगर में तीन दिन में डेढ़ लाख के लगभग संगत लंगर छक लेती है। उनके लंगर पर 12 से 15 लाख खर्च आता है। वो लंगर के लिए 40 हलवाई, 10 तंदूर तथा 20 तंदूरिये तथा दो रुमाली रोटी की भट्टियों पर चार लोग दीनानगर से ही लेकर आए हैं।