जानें ऐसा क्या हुआ कि पंजाब के अध्यापकों ने कैप्टन को भेजीें अपने खून से भरीं बोतलें
पंजाब के एसएसए-रमसा शिक्षकों ने अपने वेतन में की गई कटौती के खिलाफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमदिंर सिंह को अपने खून से भरी बोतल भेजी है।
जेएनएन, पटियाला। पंजाब के एसएसए-रमसा अध्यापकों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह काे अपने खून से भरी बोतलें भेजी हैं। खून देने वालों में काफी संख्या में महिला शिक्षक भी शामिल थीं। शिक्षकों ने अपने वेतन में की गई कटौती के खिलाफ मुख्यमंत्री को खून से लिखा पत्र भी भेजा हैद्य
एसएसए-रमसा अध्यापक यूनियन के प्रांतीय प्रधान हरदीप सिंह टोडरपुर ने कहा कि पंजाब सरकार अध्यापकों के वेतन में कटौती करके उनका खून चूस रही है। अगर सरकार को अध्यापकों का खून ही चाहिए तो हर महीने सीएम को अपना खून भेज दिया करेंगे। यहां मिनी सचिवालय के सामने शिक्षकों ने सीएम को भेजने के लिए खून निकलवाया।
बता दें कि हाल ही में पंजाब कैबिनेट ने अध्यापकों की तनख्वाह 42800 से घटाकर प्राथमिक वेतन 15000 पर उन्हें पक्का करने का निर्णय लिया है। इसके बाद राज्यभर में अध्यापकों ने इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया। इसी के अंतर्गत शुक्रवार को अध्यापकों द्वारा सीएम को डीसी के माध्यम से खून की बोतलें भेजी गईं।
इस दौरान अध्यापकों ने अपने निकाले खून से सचिवालय की दीवारों पर भी इस फैसले के विरोध में 'तनख्वाह कटौती नहीं मंजूर' के स्लोगन लिखे। इसके बाद उन्होंने डीसी दफ्तर की ओर मार्च किया। जब अध्यापक डीसी दफ्तर के बाहर खून की बोतलें लेकर पहुंचे तो उन्हें डीसी नहीं मिले। इसके बाद उन्होंने डीसी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। तहसीलदार ने प्रदर्शनकारियों से खून की बोतल और उनका मांगपत्र लेकर प्रदर्शन खत्म करवाया।
'फर्जी आंकड़े को आधार बनाकर लिया फैसला'
एसएसए-रमसा अध्यापक यूनियन के जिला प्रधान भरत कुमार ने सरकार के इस फैसले को अध्यापक विरोधी बताते हुए कहा कि 94 प्रतिशत अध्यापकों की सहमति के फर्जी आंकड़ों को आधार बनाकर सभी 8800 अध्यापकों के परिवारों को उजाड़ने का फैसला लिया है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं करेंगे और संघर्ष जारी रहेगा।